Touch Wood क्यों कहते हैं: जब भी हम अपनी या परिवार की तरक्की, खुशकिस्मती या सेहत का ज़िक्र करते हैं, कई लोग तुरंत पास में रखी किसी लकड़ी को छूकर कहते हैं, “Touch Wood।”
यह आदत सिर्फ़ भारत में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में प्रचलित है। माना जाता है कि ऐसा करने से बुरी नज़र और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो जाता है।
हालांकि यह विश्वास अधिकतर परंपरा और मान्यता पर आधारित है।
वैज्ञानिक नज़रिए से क्या सच में असर करता है Touch Wood?
Touch Wood क्यों कहते हैं: सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि लकड़ी छूने से नज़र उतरती है, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है।
विज्ञान इसे एक मनोवैज्ञानिक क्रिया मानता है। यानी, जब हम लकड़ी छूते हैं, तो हमारे भीतर एक तरह की सकारात्मक सोच जागती है और हम मानसिक रूप से सुरक्षित महसूस करते हैं।
कहां से आई यह परंपरा?
Touch Wood क्यों कहते हैं: ‘टच वुड’ कहने की परंपरा बहुत पुरानी है और इसके पीछे दो प्रमुख मान्यताएँ सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं।
पहली मान्यता प्राचीन पैगन सभ्यता से जुड़ी है, जहाँ लोगों का विश्वास था कि पेड़-पौधों में देवी-देवताओं और रक्षात्मक आत्माओं का निवास होता है।
किसी पेड़ या लकड़ी को छूना मतलब था दैवीय शक्ति से जुड़ना और अपनी खुशी या सफलता को बुरी शक्तियों से बचाना।
एक अन्य सिद्धांत ईसाई धर्म से आता है। ईसाइयों के अनुसार, ईसा मसीह के क्रूस की लकड़ी पवित्र मानी जाती थी।
लोग क्रॉस या लकड़ी को छूकर ईश्वर का आशीर्वाद और सुरक्षा मांगते थे।
धीरे-धीरे यह आदत एक सामान्य परंपरा बन गई और “Touch Wood” कहने की प्रथा दुनियाभर में फैल गई।
ज्योतिषीय मान्यता: लकड़ी से क्यों जुड़ी है शुभता और सकारात्मक ऊर्जा?
Touch Wood क्यों कहते हैं: ज्योतिष के अनुसार, लकड़ी का संबंध मुख्य रूप से दो शुभ ग्रहों—बृहस्पति (गुरु) और चंद्रमा—से माना जाता है।
गुरु संरक्षण, सकारात्मकता और ज्ञान का कारक है, जबकि चंद्रमा मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन का प्रतीक है।
माना जाता है कि लकड़ी छूने से इन ग्रहों का शुभ प्रभाव बढ़ता है और नकारात्मक ऊर्जा का असर कम होता है।
इसलिए टच वुड कहना एक प्रतीकात्मक उपाय माना जाता है जो व्यक्ति को मानसिक सुरक्षा का भाव देता है।
क्या सच में लकड़ी छूने से नज़र नहीं लगती?
Touch Wood क्यों कहते हैं: यह कहना मुश्किल है कि इससे सच में बुरी नज़र रुकती है या नहीं, क्योंकि इसके प्रमाण नहीं मिलते।
लेकिन परंपरा, आस्था और मनोवैज्ञानिक संतुलन—तीनों मिलकर इसे एक मजबूत सांस्कृतिक आदत बनाते हैं।
दरअसल, कई लोग मानते हैं कि जब किसी अच्छी बात का ज़िक्र हो रहा हो, तब लकड़ी छूना उस बात को सुरक्षित रखने का तरीका है।
यह विश्वास ही उन्हें नकारात्मकता से बचाव का एहसास करवाता है।
Disclaimer: यह लेख परंपराओं, मान्यताओं और सांस्कृतिक विश्वासों पर आधारित जानकारी प्रस्तुत करता है। ‘Touch Wood’ कहने या लकड़ी छूने का बुरी नज़र रोकने से संबंधित कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। लेख में दिए गए विचार केवल सामान्य जन-मान्यताओं, ज्योतिषीय धारणाओं और ऐतिहासिक मान्यताओं पर आधारित हैं। पाठकों से अनुरोध है कि वे इसे आस्था और परंपरा के दृष्टिकोण से देखें, न कि वैज्ञानिक सत्य के रूप में।

