पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के एक कार्यक्रम में पार्टी की महिला मोर्चा अध्यक्ष चैताली घोष साहा ने ऐसा बयान दिया है जिसने फिर से राजनीतिक हलचल मचा दी है।
उन्होंने पार्टी विधायक मोसरफ हुसैन की तुलना भगवान और अल्लाह से करते हुए कहा कि “भगवान और अल्लाह ने इंसानी रूप में मोसरफ दा को भेजा है।”
चैताली घोष यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने आगे कहा, “2026 के विधानसभा चुनाव में मोसरफ दा के नेतृत्व में भयंकर खेला होगा।”
उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है।
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‘खेला होबे’ से ‘भयंकर खेला’ तक: बंगाल की राजनीति का डरावना नारा
पश्चिम बंगाल: ‘खेला होबे’ का नारा 2021 के बंगाल विधानसभा चुनावों में टीएमसी का सबसे बड़ा हथियार बना था। यह नारा टीएमसी की पहचान तो बना, लेकिन इसके साथ ही हिंसा और डर का प्रतीक भी बन गया।
चुनाव के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले, घरों को जलाना और महिलाओं से दुर्व्यवहार जैसी घटनाएँ इसी नारे के बाद सामने आई थीं।
टीएमसी के वरिष्ठ नेता अणुब्रत मंडल ने तो उस समय ‘भयंकर खेला होबे’ का नारा देकर माहौल को और भी तनावपूर्ण बना दिया था।
इस नारे के बाद ही भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर लगातार हमले हुए।
यहाँ तक कि केंद्रीय मंत्रियों पर भी पत्थरबाजी और हिंसा की घटनाएँ दर्ज की गईं।
2021 में फैली थी भयावह हिंसा
पश्चिम बंगाल: बंगाल चुनाव 2021 आठ चरणों में सम्पन्न हुए थे, और लगभग हर चरण में हिंसा की घटनाएँ देखने को मिलीं।
बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्याएँ, घरों को जलाना, दुकानों में लूटपाट और महिलाओं के साथ दुष्कर्म जैसे मामलों ने पूरे देश को हिला दिया था।
लोगों को उम्मीद थी कि परिणाम घोषित होने के बाद यह हिंसा थमेगी, लेकिन आज तक कई इलाकों में भाजपा समर्थकों और हिंदू परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है।
फिर से दोहराई गई वही धमकी भरी भाषा
पश्चिम बंगाल: अब जब चैताली घोष साहा ने 2026 के चुनावों से पहले फिर ‘भयंकर खेला होबे’ का जिक्र किया है, तो इससे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि टीएमसी अपनी पुरानी रणनीति दोहराने की तैयारी में है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह बयान न केवल आपत्तिजनक है, बल्कि इसे सीधी धमकी के रूप में भी देखा जा सकता है।
धार्मिक अपमान और राजनीतिक संदेश
पश्चिम बंगाल: मोसरफ हुसैन को ‘भगवान और अल्लाह का इंसानी रूप’ बताने वाला बयान धार्मिक रूप से भी विवादास्पद है।
कई लोगों ने इसे आस्था के अपमान के रूप में देखा है और सोशल मीडिया पर टीएमसी के खिलाफ तीखी प्रतिक्रियाएँ दी हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि टीएमसी इन बयानों के ज़रिए अपने समर्थक वर्ग को उकसाने और हिंदू मतदाताओं को भावनात्मक रूप से भड़काने की कोशिश कर रही है।
2026 चुनावों से पहले बढ़ा तनाव
पश्चिम बंगाल: चैताली घोष का बयान यह दिखाता है कि आने वाले चुनावों में भी बंगाल हिंसा और विभाजनकारी राजनीति की चपेट में आ सकता है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगर ऐसे बयान यूँ ही जारी रहे, तो 2026 में “खेला” नहीं बल्कि “खून-खराबा” हो सकता है।