माउंटबैटन ब्रिटिश भारत के आखिरी वाइसराय थे। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और माउंटबैटन की दोस्ती के किस्से आज भी मशहूर है। इनका ताल्लुक ब्रिटेन के राजघराने से था। भारत के आजाद होने के बाद उन्हें गवर्नर जनरल बनाया गया। वहीं जब माउंटबैटन भारत से 21 साल बाद ब्रिटेन लौटे तो कुछ उग्रवादियों ने उनकी हत्या कर दी थी।
भारत के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू के साथ अपने खास संबंधों के लिए चर्चित रहने वाले लॉर्ड माउंटमेटन अब इस दुनिया में नहीं है। करीब 45 साल पहले एक बम ब्लास्ट में उनकी ब्रिटेन में कुछ उग्रवादियों द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया था। इतने सालों से ये माना जा रहा था कि ये हत्या किसी भारतीय क्रांतिकारी ने की थी लेकिन ये सच नहीं है। उनकी हत्या किसी भारतीय क्रांतिकारी ने नहीं बल्कि आयरिश रिपब्लिक आर्मी (IRA) ने की थी। बता दें कि IRA ब्रिटेन के कब्जे से मुक्त अपने स्वतंत्र देश आयरलैंड की की मांग कर रही थी। इस हत्याकांड के 45 वर्षों बाद अब यह खुलासा हुआ है कि जिस व्यक्ति को इस हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी उसका मास्टरमाइंड कोई और था। वह बीते 45 सालों तक कभी कानून के नजरों में आया ही नहीं। यह खुलासा किसी ओर ने नहीं बल्कि खुद उसी हत्यारे ने किया है, जो इस घटना का मैं मास्टरमाइंड था। इस खुलासे से ब्रिटेन और भारत के लोग हैरत में हैं।
बदले की आग में जलकर बनाया था माउंटबैटन की हत्या का प्लान
लॉर्ड माउंटबेटन की हत्या का कबूलनामा करने वाले इस व्यक्ति का नाम माइकल हेस है। ब्रिटिश न्यूज वेबसाइट डेली मेल से बातचीत में उसने कहा कि अगस्त 1979 में लुईस माउंटबेटन की हत्या के पीछे थॉमस मैकमोहन नहीं, बल्कि वह खुद था।
हेस ने इसकी वजह का खुलासा भी किया है। उसका कहना है कि ब्रिटेन के लोग उनके देश पर जबरन कब्जा बनाए हुए थे और उनके लोगों की एक बाद एक हत्याएं कर रहे थे और बदले की आग में उन्होंने ही माउंटबेटन को मारने का प्लान बनाया और फिर उसे अंजाम भी दिया।
अब वो ब्यक्ति वृद्ध 90 साल के हो चुके हैं। माइकल हेस ने कहा कि वे IRA की एक बटालियन के कमांडिंग अफसर थे, जबकि थॉमस मैकमोहन उनके जूनियर कमांडर थे। फिलहाल वो आयरलैंड की राजधानी डबलिन में अकेले रह रहे हैं। हेस ने बताया कि लॉर्ड माउंटबेटन उत्तरी आयरलैंड को इंग्लैंड का हिस्सा बनाना चाहते थे और इस बात का IRA विरोध कर रही थी।
ब्रिटेन को सबक सीखना चाहती थी IRA
माइकल हेस ने डेली मेल को ये भी बताया कि IRA के कमांडर्स ने बहुत सोच-विचार के बाद लॉर्ड माउंटबेटन की हत्या का फैसला लिया था। जिससे ब्रिटेन को सबक मिल जाए और वह उत्तरी आयरलैंड पर जबरन कब्जा करने की कोशिश ना करें। इसके बाद हत्या का प्लान बनाने और उसे अमलीजामा पहनाने का जिम्मा माइकल हेस को सौंपा गया.
हेस ने आगे ये भी बताया कि, ‘मुझे यह कार्य सौंपने की वजह ये थी कि मैं ब्लास्ट एक्सपर्ट था और बिना कोई नुकसान उठाए इस मिशन को अंजाम दे सकता था। इसके बाद थॉमस मैकमोहन और IRA के दूसरे मिलिटेंट्स ने बड़े खुफिया तरीके से काम करते हुए लॉर्ड माउंटबेटन के मछली पकड़ने वाले जहाज, शैडो वी पर 50 पाउंड का बम प्लांट कर दिया गया।अगस्त 1979 में ब्लास्ट के दौरान माउंटबेटन कि मौत हो गई। बता दें कि इस हमले में लार्ड माउंटबेटन, उनका पोता और एक अन्य किशोर समेत 3 लोग मारे गए थे।
माइकल हैस पर पिछले 45 साल में नहीं चला एक भी मुकदमा
इस बम ब्लास्ट में माइकल हेस का नाम संदिग्धों की सूची में आया जर्रोर लेकिन उन पर कभी किसी तरह का कोई मुकदमा नहीं चलाया गया। हेस कहते हैं, ‘मैं ही इस हमले का सबसे मेन कमांडर था। मैंने ही अटैक की पूरी strategy बनाई और उसे सही तरीके से अंजाम तक भी पहुंचाया’।अपने आखिरी दिन वो आयरलैंड के उत्तर-पश्चिमी तट पर डोनेगल नामक खाड़ी में अपने परिवार के साथ दिन बिता रहे थे।