High Cholesterol: हाई कोलेस्ट्रॉल या हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया को अक्सर “साइलेंट किलर” कहा जाता है, क्योंकि इसके लक्षण लंबे समय तक छिपे रहते हैं। लेकिन जब शरीर चलते समय चेतावनी देने लगे, तो सतर्क हो जाना बेहद जरूरी है।
इस स्थिति में शरीर कुछ सूक्ष्म लेकिन अहम संकेत देने लगता है, जो पेरिफिरल आर्टरी डिजीज (PAD) से जुड़े होते हैं। इन्हें नजरअंदाज करना आगे चलकर गंभीर परिणाम दे सकता है।
क्या होता है कोलेस्ट्रॉल?
High Choleseetrol: कोलेस्ट्रॉल एक तरह का लिपिड (वसा) है जो शरीर खुद भी बनाता है। यह मांस, अंडे और डेयरी जैसे फूड आइटम्स से भी प्राप्त होता है।
शरीर के लिए यह जरूरी होता है, लेकिन जब इसकी मात्रा सीमाओं को पार कर जाए, तो यही सेहत के लिए खतरा बन जाता है।
चलने या सीढ़ियां चढ़ने में परेशानी
High Cholesterol: अगर वॉकिंग या सीढ़ी चढ़ने पर पिंडलियों, जांघों या नितंबों में दर्द होने लगे, तो यह शुरुआती चेतावनी हो सकती है।
ऐसा तब होता है जब आर्टरीज में कोलेस्ट्रॉल जमने से रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है और मांसपेशियों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती।
मांसपेशियों की कमजोरी
High Cholesterol: रक्त में ऑक्सीजन की कमी से मांसपेशियों में थकान और कमजोरी आने लगती है। इससे चलना, संतुलन बनाना और लंबे समय तक खड़े रहना कठिन हो जाता है।
अगर ये स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो मसल एट्रोफी यानी मांसपेशियों का सिकुड़ना शुरू हो सकता है।
पैरों का ठंडा पड़ जाना
High Cholesterol: एक टांग या पैर का दूसरी की तुलना में अधिक ठंडा महसूस होना कोलेस्ट्रॉल से जुड़ा संकेत हो सकता है।
यह रक्त परिसंचरण की कमी का परिणाम होता है और वॉकिंग के बाद विशेष रूप से महसूस होता है।
झनझनाहट और सुन्नपन
High Cholesterol: फिजिकल एक्टिविटी के दौरान या बाद में पैरों में सुन्नपन या झनझनाहट की अनुभूति हो तो इसे सामान्य मानकर टालें नहीं।
यह संकेत देता है कि नसों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच रही और नर्व डैमेज की शुरुआत हो चुकी है।
पैरों के रंग में बदलाव
High Cholesterol: ब्लड सर्कुलेशन खराब होने की स्थिति में पैरों की स्किन का रंग नीला-बैंगनी हो सकता है।
गंभीर मामलों में यह सायनोसिस का रूप ले सकता है, जिसमें टिशूज़ में ऑक्सीजन की भारी कमी होने लगती है।
ऐसे में अगर चलने में थोड़ी सी भी तकलीफ महसूस हो, पैर ठंडे पड़ें या उनका रंग बदलने लगे, तो समझ लीजिये की यह शरीर की चेतावनी है।
ऐसे संकेतों को नजरअंदाज न करें और तुरंत विशेषज्ञ की सलाह ले, क्योंकि समय रहते पहचान ही जीवन बचा सकती है।