बिहार चुनाव 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल अब गरमाने लगा है। एक तरफ एनडीए (BJP-JDU) है तो दूसरी तरफ इंडिया ब्लॉक, लेकिन दिलचस्प बात ये है कि इस बार जनता के बीच कोई बड़ा गुस्सा यानी एंटी-इनकंबेंसी नहीं दिख रही।
वरिष्ठ पत्रकार अजीत द्विवेदी के मुताबिक, मौजूदा हालातों में नीतीश कुमार और एनडीए गठबंधन को फायदा मिलता नजर आ रहा है।
उन्होंने कहा कि आजकल के दौर में सरकारें बहुत कम हार रही हैं — इसकी बड़ी वजह है प्रो-इनकंबेंसी यानी जनता का दोबारा भरोसा।
योजनाओं का ‘डायरेक्ट बेनिफिट’ बन रहा गेमचेंजर
बिहार चुनाव 2025: द्विवेदी के अनुसार, इस भरोसे के पीछे सबसे बड़ा कारण हैं सरकारी योजनाएं, जो सीधे जनता के बैंक खातों तक पहुंच रही हैं। नीतीश कुमार ने हाल ही में महिलाओं के खातों में 10,000 रुपये ट्रांसफर किए हैं — और वो भी दिवाली से ठीक पहले। ऐसी योजनाएं हमेशा से गेमचेंजर साबित होती रही हैं।
उन्होंने अन्य राज्यों का हवाला देते हुए कहा कि —
- मध्य प्रदेश की लाड़ली बहना योजना,
- महाराष्ट्र की मांझी लड़की बहन योजना,
- छत्तीसगढ़ की महतारी बंधन योजना,
- और झारखंड की मैया सम्मान योजना —
इन सभी ने चुनावी समीकरणों को पूरी तरह बदल दिया था।
नीतीश बनाम तेजस्वी, भरोसे की जंग
बिहार चुनाव 2025: वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि इस समय तेजस्वी यादव और महागठबंधन जनता को ‘हर घर नौकरी’ जैसे वादों से आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार सीधे पैसे खाते में पहुंचा रहे हैं, और जनता को उस पर भरोसा भी है।
उन्होंने कहा, “लोगों के खातों में पैसा आ रहा है, और आज की डेट में भरोसा उसी पर बन रहा है जो नतीजा दिखा सके।”
20 साल के बाद भी क्यों कायम है नीतीश पर भरोसा?
बिहार चुनाव 2025: नीतीश कुमार लगभग दो दशकों से बिहार की राजनीति के केंद्र में हैं। हालांकि, जनता में उनके लंबे शासन के कारण थोड़ी बहुत ‘ऊबन’ जरूर है, लेकिन ऐसा कोई एंगर (anger) नहीं है कि लोग उन्हें उखाड़ फेंकना चाहते हों।
द्विवेदी कहते हैं, “अगर जनता में नीतीश के खिलाफ गुस्सा होता, तो ये योजनाएं असर नहीं दिखातीं। पर ऐसा नहीं है। लोग अब भी उन्हें भरोसेमंद चेहरा मानते हैं।”
मध्य प्रदेश का उदाहरण: 15 साल बाद भी कांग्रेस को मुश्किल जीत
बिहार चुनाव 2025: अजीत द्विवेदी ने मध्य प्रदेश के 2018 चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि उस वक्त शिवराज सिंह चौहान 12 साल से सत्ता में थे और बीजेपी 15 साल से।
राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ जैसे नारों के साथ जोरदार कैंपेन किया, फिर भी कांग्रेस को 230 में से सिर्फ 114 सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी को 109 सीटें।
उन्होंने कहा, “ठीक वही स्थिति हमें बिहार में भी नजर आ रही है — आलोचना है, लेकिन गुस्सा नहीं।”
इस बार का खेल भरोसे बनाम बदलाव का
बिहार चुनाव 2025: बिहार की जनता फिलहाल एक दोराहे पर है। एक तरफ नीतीश कुमार की योजनाओं से मिला भरोसा, दूसरी ओर तेजस्वी यादव का वादों भरा अभियान।
वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि अगर यही रुझान जारी रहा, तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए को बढ़त मिल सकती है।पर राजनीति के मैदान में आखिरी ओवर तक कुछ भी हो सकता है, क्योंकि बिहार में जनता अक्सर आखिरी पल में ‘गेम बदल’ देती है।