Banswara: पहली बार ऐसा होने जा रहा है जब चर्च का रूपांतरण हिन्दू मंदिर में किया गया है। राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के सोडलादूधा गांव में पुराने चर्च को भैरवजी का मंदिर बना दिया गया है। ये पहल खुद चर्च के पूर्व पादरी रहे गौतम गरासिया ने की। इन्होनें हाल ही में दुबारा हिन्दू धर्म में वापसी की है। चर्च का अब रूपांतरण किया किया गया है। दीवारों को भगवा रंग से रंगा गया है। जहां पहले ईसाई धर्म का पवित्र क्रॉस था वहां अब वहां अब भगवान भैरव की मूर्ति स्थापित की गयी है।
Banswara: गांव के लोगों ने अपने धर्म में वापसी की
Banswara: गाँव में एक बड़ी संख्या में लोग ईसाई धर्म अपना चुके थे। लेकिन विश्व हिन्दू परिषद और भारत माता मंदिर परियोजना के प्रयासों से 80 परिवारों ने हिन्दू धर्म स्वीकार कर अपने धर्म में वापसी की है। फिर इन्हीं स्थानीय लोगों ने चर्च को मंदिर में बदलने का निर्णय लिया। 9 मार्च को मंदिर में भैरव भगवान की प्रतिमा स्थापित की गयी।
कैसे हुआ चर्च का मंदिर में परिवर्तन?

Banswara: मंदिर से क्रॉस का निशान हटा दिया गया है और दीवारों पर भगवा रंग चढ़ गया है। चर्च के अंदर पूजा स्थल का निर्माण किया गया है। यहाँ की छत को समतल किया जायेगा, जहां पहले ईसाई धर्म की प्रार्थना सभाएं होती थी वहां अब भगवान भैरव की मूर्ति के लिए चबूतरे का निर्माण किया गया है।
कौन है पूर्व पादरी गौतम गरासिया
Banswara: नाम से ही पता चलता है कि ये हिन्दू हैं लेकिन 30 साल पहले गौतम ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए थे। वो गांव में परिवर्तन करने वाले पहले व्यक्ति थे। बाद में इन्हें चर्च का पादरी नियुक्त कर दिया गया था। वो चर्च में प्रार्थना सभाएं आयोजित करते थे। धीरे-धीरे गांव के अन्य लोग भी ईसाई धर्म अपनाने लगे थे।
गौतम ने बताया कि उन्होंने तीन साल पहले ही अपनी खुद कि जमीन पर चर्च का निर्माण किया था । पहले बाहर से पादरी आकर धर्म सभाएं आयोजित करते थे। इन्हीं के कारण लोग उनसे आकर्षित होने लगे और ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए लेकिन अब वो अपने धर्म में वापस लौट रहे हैं।
धर्म वापसी के बाद गांव के मुख्य प्रवेश द्वार पर धार्मिक पताकाएं फहरायी गयी हैं। चर्च में अब भगवान राम की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है। अब गांव में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी बढ़ गया है।
भैरवजी मंदिर की स्थापना ही क्यों?
Banswara: गांव के लोगों ने मिलकर भैरवजी की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भैरवजी को क्षेत्रपाल देवता माना जाता है जो गांव की रक्षा करते हैं। प्रतिमा को गाजे-बाजे के साथ तलवाड़ा से लाकर स्थापित किया गया है।
तीसरी संतान बेटी तो 50 हजार रुपए, बेटे के जन्म पर मिलेगी गाय