Friday, November 28, 2025

छत्तीसगढ़ में आएगा सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून: 10 साल जेल और भारी जुर्माना, जनजातीय इलाकों में बढ़ते विवाद पर कसा जाएगा शिकंजा

छत्तीसगढ़ सरकार आने वाले शीतकालीन सत्र में नया धर्मांतरण निषेध कानून पेश करने जा रही है।

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बस्तर, जशपुर और रायगढ़ जैसे जनजातीय इलाकों में अवैध धर्मांतरण को लेकर तनाव लगातार बढ़ रहा था, जिसके कारण प्रशासन को कई बार हस्तक्षेप करना पड़ा।

अभी मध्य प्रदेश का पुराना कानून लागू है, लेकिन सरकार का मानना है कि मौजूदा परिस्थितियों के हिसाब से वह काफ़ी कमजोर पड़ गया है।

नया कानून क्यों जरूरी महसूस हुआ?

छत्तीसगढ़: जनजातीय समुदायों में धार्मिक हस्तक्षेप की वजह से सामाजिक विभाजन गहराता जा रहा है।

कई इलाके ऐसे हैं जहाँ परिवार दो हिस्सों में बँट गए हैं और सांस्कृतिक त्योहार भी अलग-अलग मनाए जा रहे हैं।

इन तनावपूर्ण हालात को देखते हुए सरकार ने कानून को और कड़ा बनाने का फैसला लिया, ताकि जनजातीय पहचान और सामाजिक सौहार्द दोनों सुरक्षित रह सकें।

नए कानून की मुख्य बातें

छत्तीसगढ़: सरकार का मसौदा इस बार पहले से कहीं अधिक सख्त और विस्तृत है।

धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया को पारदर्शी और नियंत्रित बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है।

1. धर्म परिवर्तन से पहले DM को अनिवार्य सूचना

छत्तीसगढ़: कानून के तहत कोई भी व्यक्ति धर्म बदलने से पहले निर्धारित समय के भीतर जिला मजिस्ट्रेट को लिखित सूचना देगा।

यदि बिना सूचना दिए धर्म बदला जाता है, तो वह धर्म परिवर्तन कानूनन मान्य नहीं माना जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परिवर्तन पूरी तरह स्वेच्छा से हुआ है।

2. लालच, दबाव या धोखे से धर्मांतरण पर कड़ी सजा

छत्तीसगढ़: अगर कोई व्यक्ति डर, धमकी, लालच, नौकरी के प्रस्ताव या किसी अन्य प्रकार के प्रलोभन का इस्तेमाल करके किसी का धर्म बदलवाने की कोशिश करता है, तो उसे 10 साल तक की जेल और लाखों रुपये के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।

यह अपराध गैर-जमानती होगा, यानी गिरफ्तारी के बाद आसानी से जमानत नहीं मिलेगी।

3. शादी के बहाने धर्म परिवर्तन पर रोक

छत्तीसगढ़: कानून में यह भी प्रावधान जोड़ा जा रहा है कि यदि कोई व्यक्ति शादी करवाने के मकसद से धर्म परिवर्तन करवाता है या ऐसा करने के लिए दबाव डालता है, तो ऐसी शादी अदालत में अवैध घोषित की जा सकती है।

यह कदम उन मामलों पर रोक लगाएगा जिन्हें कई राज्यों में ‘लव जिहाद’ के नाम से जाना जाता है।

धार्मिक स्वतंत्रता सुरक्षित, लेकिन प्रक्रिया होगी सख्त

छत्तीसगढ़: सरकार का कहना है कि नया कानून व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता पर कोई रोक नहीं लगाता।

हर व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी भी धर्म को अपना सकता है, लेकिन यह प्रक्रिया कानून के दायरे में, पूरी पारदर्शिता के साथ और बिना किसी दबाव के ही पूरी की जानी चाहिए।

इससे धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक संतुलन दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

किन राज्यों में पहले से लागू हैं ऐसे कानून?

छत्तीसगढ़: भारत में धर्मांतरण विरोधी कानून की शुरुआत ओडिशा ने 1967 में की थी। इसके बाद मध्य प्रदेश ने 1968 में ऐसा कानून लागू किया।

समय के साथ कई राज्यों ने अपने कानूनों को और मजबूत किया, जिनमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक शामिल हैं।

इन राज्यों में जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन करवाने पर 3 से 10 साल की जेल और भारी जुर्माना लगाया जाता है।

स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वालों के लिए भी DM को 30–60 दिन पहले सूचना देना अनिवार्य है।

अवैध धर्मांतरण से समाज को कैसे नुकसान होता है?

छत्तीसगढ़: सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि अवैध धर्मांतरण अक्सर योजनाबद्ध और संगठित तरीके से होता है।

कमजोर आर्थिक स्थिति वाले लोगों को निशाना बनाकर धीरे-धीरे पूरी बस्तियों या गाँवों की धार्मिक संरचना बदल दी जाती है।

इसका असर केवल धर्म तक सीमित नहीं रहता, बल्कि स्थानीय राजनीति, प्रशासन और सामाजिक माहौल पर भी गहरा प्रभाव डालता है।

कई जगहों पर परिवारों के बीच दूरी बढ़ जाती है, परंपराएँ टूट जाती हैं और सामाजिक रिश्तों में कड़वाहट पैदा हो जाती है

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी और सुरक्षा का पहलू

छत्तीसगढ़: सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन सिर्फ सामाजिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा भी बन सकता है।

कमजोर और भावनात्मक रूप से टूटे लोगों को कट्टरपंथी समूह अपने प्रभाव में ले लेते हैं, जिससे सामाजिक अस्थिरता बढ़ती है।

इसी कारण कई राज्यों की सरकारें अपने कानूनों को लगातार और मजबूत कर रही हैं।

छत्तीसगढ़ का प्रस्तावित कानून धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए अवैध धर्मांतरण को रोकने के उद्देश्य से बनाया जा रहा है।

इससे जनजातीय इलाकों में फैल रहे तनाव को कम करने, सामाजिक विभाजन को रोकने और पारंपरिक सांस्कृतिक ढांचे की सुरक्षा में बड़ी मदद मिलेगी।

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