Thursday, September 19, 2024

Labour Party: ब्रिटेन में जीती लेबर पार्टी इंडिया में क्यों है चर्चा में, क्या इसका भारत से कोई कनेक्शन है?

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Labour Party: 14 साल बाद लेबर पार्टी ब्रिटेन में सत्ता में लौटी है। क्या आपको पता है कि ये पार्टी 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है। इस पार्टी का भारत का खासकर भारत की आजादी से खास कनेक्शन हैं।

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ब्रिटेन में 14 साल बाद लेबर पार्टी को सत्ता मिली है। क्या आपको पता है इस पार्टी का भारत से एक खास रिश्ता रहा है। इस पार्टी को हमेशा भारत के सबसे ज्यादा साथ देने वाली पार्टी के तौर पर हमारे भारत में याद किया जाता है। ये न होती तो आज भारत शायद आजाद भी न होता क्यूंकि ये वो ही पार्टी है जिसने सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान भारत को आजादी देने का कानून बनाया और वास्तव में इस देश को आजाद भी कर दिया।

जबकि ब्रिटेन की दूसरी बड़ी पार्टी कंजर्वेटिव पार्टी और इसके, उस जमाने के दिग्गज नेता विंस्टन चर्चिल हमेशा भारत को आजादी देने के सख्त खिलाफ थे। बस यही वजह है आज जब ब्रिटेन में लेबर पार्टी जीती है तो इसका गूंज भारत तक में गूँज रही है। ये पार्टी जब भी चुनाव लड़ती है या सत्ता में आती है तो भारत का विशेष रूप से ख्याल रखती है और इतना ही नहीं उसके घोषणा पत्र में भारत और भारतीयों को जगह भी दी जाती हैं, और उन किये सभी वादों को पूरा भी किया जाता है।

कब और क्यों हुआ था लेबर पार्टी का गठन ?

लेबर पार्टी का गठन 1900 में ब्रिटेन में ट्रेड यूनियनों औऱ समाजवादियों के तहत काम करने वाले सेक्शंस की आवाज को संसद तक पहुंचाने के लिए किया गया था। ऐसा भारत की किताबें कहती हैं कि ये पार्टी हमेशा से ही भारत को लेकर अच्छी भावना रखती थी। 1917 से लेकर 1939 तक इस पार्टी के सभी नेता अपने भाषणों में भारत के आजादी आंदोलन के प्रति एक सच्ची और ज्यादा सहानुभूति रखते थे।

1945 में हुए में लेबर पार्टी ने भारत को आजादी देना का वादा किया था जिसे पार्टी ने बखूबी निभाया भी।

सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद जब ब्रिटेन में 1945 में आम चुनाव हुए तो ब्रिटिश मतदाताओं के पास युद्ध से परेशान अपने देश का भविष्य सुधारने का मौका था। दो मुख्य राजनीतिक दल उस समय थे, वो थे – कंजर्वेटिव पार्टी, जिसने दूसरे सेकंड वर्ल्ड वॉर लको जितने में अहम किरदार निभाया था, लेकिन इसका खामियाजा भुगतना पड़ा ब्रिटेन कोजो कि उसने संसाधनों के तौर पर खोखला होकर चुकाया। वहीं लेबर पार्टी महत्वाकांक्षी सामाजिक सुधार कार्यक्रम के प्रस्ताव ला रही थी। तब तक भारत ब्रिटिश साम्राज्य के लिए एक सुनेहरा मौका था जिसका जिक्र दोनों पार्टियों ने अपने घोषणापत्र में किया। कंजर्वेटिव पार्टी जहाँ भारत के विरुद्ध कड़ी कोई तो वहीं लेबर पार्टी ने भारत का समर्थन किया।

1945 में असर दिखना शुरू हो गया था

सितंबर 1945 में, भारत के वायसराय लॉर्ड वेवेल ने सार्वजनिक प्रसारण में लेबर सरकार की नई नीति के बारे में बात की थी। इसमें उन्होंने बताया कि भारत में में पूरे स्वशासन केसं किया जायेगा। भारत में जल्द से जल्द एक संविधान-निर्माण के लिए तैयारियां की जाएगी। भारतीय इसकी मांग 1930 मध्य से कर रहे थे। ये बात स्पष्ट थी कि लेबर पार्टी भारत को आजादी देने का मन बना चुकी थी लेकिन ये कदम वो इस तरह से रखना चाहती थी हर भारतीय इसके लिए तैयार हो जाए।

फिर बना वो कानून जिसने भारत को आजादी दिलाई

लेबर पार्टी जीतने के साथ ही ये भी तय कर चुकी थी कि अब भारत को पूरी तरह स्वतंत्रता दे दी जाएगी। वर्ष 1946 में लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली की सरकार वह कानून तैयार करने में जुट गई, जिसके जरिए भारत को आजादी मिलनी वाली थी।

इस कानून 18 जुलाई, 1947 को मिली मंजूरी

इस कानून का नाम रखा गया इंडिया इंडिपेंडेंस एक्ट,1947 यानि भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947। इसे ब्रिटिश संसद में मंजूरी 18 जुलाई, 1947 को मिली। इससे ये तय हो गया कि भारत को अब आजादी मिल जाएगी।

15 अगस्त 1947 को लेबर पार्टी ने भारत को आजाद करा दिया

प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने 20 फरवरी, 1947 को हाउस ऑफ कामंस में घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार 30 जून 1948 तक ब्रिटिश भारत को पूरी तरह से आजाद कर देगी। फिर भारत 15 अगस्त 1947 को हम आजाद हो गए।

लेबर पार्टी ना होती तो इस काम में और देरी हो जाती

इससे जाहिर है कि भारत की आजादी के लिए जिस तरह से तेजी से लेबर पार्टी की एटली सरकार ने कदम उठाया, वो सच में बहुत बड़ा कदम था। इसके बाद भी लेबर पार्टी जब भी सत्ता में आई, उसने भारत का खास ख्याल रखा है।

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