शेख हसीना: बांग्लादेश की अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को निहत्थे नागरिकों पर गोली चलाने और मानवता के खिलाफ अपराध के मामले में दोषी ठहराया है।
कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने पाया कि शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों को दबाने और मारने के लिए घातक हथियारों और ड्रोन का इस्तेमाल करने के आदेश दिए थे।
इस गंभीर अपराध के चलते उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है। अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि शेख हसीना और उनके सहयोगियों के आदेशों पर ही मानवता के खिलाफ अपराध अंजाम दिए गए।
शेख हसीना: हेलीकॉप्टर, ड्रोन और घातक हथियारों से कार्रवाई करने के निर्देश
बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने सोमवार (17 नवंबर) को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ गंभीर अपराधों में दोषी पाया।
अदालत ने कहा कि शेख हसीना ने 2024 में चल रहे छात्र और नागरिक आंदोलनों को दबाने के लिए पुलिस, सुरक्षा एजेंसियों और विशेष यूनिट्स को हिंसक कार्रवाई के आदेश दिए थे।
फैसले में यह भी कहा गया कि विरोध कर रहे नागरिकों पर हेलीकॉप्टर, ड्रोन और घातक हथियारों से कार्रवाई करने के निर्देश सीधे हसीना और उनके नजदीकी राजनीतिक सहयोगियों ने दिए थे।
ऑडियो रिकॉर्डिंग और दर्जनों गवाहों के बयान अदालत के सामने रखे
ICT के जज ने फैसला पढ़ते हुए बताया कि जांच टीम ने कई महत्वपूर्ण सबूत, ऑडियो रिकॉर्डिंग और दर्जनों गवाहों के बयान अदालत के सामने रखे।
एक महत्वपूर्ण गवाह के अनुसार, शेख हसीना और दक्षिण ढाका म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के पूर्व मेयर शेख फजल नूर तपोश के बीच हुई एक कथित बातचीत में हिंसा का आदेश दिए जाने का स्पष्ट उल्लेख था।
जांच रिपोर्ट में कहा गया कि इन आदेशों का मुख्य मकसद बड़े पैमाने पर हो रहे छात्र विरोध और सरकार विरोधी प्रदर्शनों को किसी भी कीमत पर रोकना था।
अबू सैयद की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को कई बार बदलवाया
अदालत ने कहा कि इन आदेशों के कारण कई निर्दोष नागरिकों की मौत हुई, जिनमें विश्वविद्यालय के छात्र भी शामिल थे।
जज के अनुसार, हसीना सरकार ने न केवल कार्रवाई कराई बल्कि बाद में सबूतों को दबाने की भी कोशिश की।
कोर्ट में यह भी बताया गया कि सरकार ने 16 जुलाई 2024 को पुलिस फायरिंग में मारे गए छात्र अबू सैयद की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को 4 से 5 बार बदलवाया।
डॉक्टरों को धमकाया गया और उन्हें सरकारी दबाव में रिपोर्ट संशोधित करनी पड़ी।
कड़ी और हिंसक कार्रवाई” के आदेश
जज ने यह भी कहा कि ढाका विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ फोन कॉल में हसीना ने छात्रों के खिलाफ “कड़ी और हिंसक कार्रवाई” के आदेश दिए थे।
अदालत ने इस कॉल को फैसले का अहम हिस्सा माना और कहा कि हसीना के बयान अपमानजनक होने के साथ-साथ हिंसा के लिए उकसाने वाले भी थे।
अदालत के अनुसार, इन आदेशों से यह साबित होता है कि हसीना ने विरोध कर रहे छात्रों को “राज्य का दुश्मन” मानते हुए उनके खिलाफ दमनकारी कदम उठाने की मंजूरी दी।
फैसले में ICT ने कहा कि शेख हसीना के निर्देश केवल राजनीतिक विरोध को रोकने तक सीमित नहीं थे,
बल्कि उन आदेशों ने सीधे तौर पर मानवता के खिलाफ अपराधों को जन्म दिया। इसी आधार पर अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई।
यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा मोड़ माना जा रहा है, क्योंकि पहली बार किसी पूर्व प्रधानमंत्री को इतने गंभीर आरोपों में दोषी करार दिया गया है।
कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी इस केस पर नजर रखी हुई है।

