प्रयागराज में अवैध धर्मांतरण का एक नया मामला सामने आने के बाद इलाके में तनाव की स्थिति बन गई है। 29 नवंबर को म्योराबाद स्थित एक चर्च में चंगाई सभा आयोजित की गई थी।
यह कार्यक्रम सामान्य प्रार्थना सभा की तरह बताया गया, लेकिन आरोप है कि इसी के दौरान लोगों का अवैध रूप से धार्मिक परिवर्तन कराया जा रहा था।
प्रयागराज: कार्यक्रम रोकने पहुंचे कार्यकर्ता
विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यकर्ताओं को खबर मिली कि चंगाई सभा के बहाने लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए लालच दिया जा रहा है।
जैसे ही जानकारी फैली, कई वीएचपी कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और सभा को रोकने की कोशिश की। इसी दौरान दोनों पक्षों में बहस शुरू हो गई और माहौल अचानक गर्म हो गया।
मारपीट के आरोप
वीएचपी कार्यकर्ता अमित मिश्रा ने पुलिस को बताया कि सभा में मौजूद कुछ लोगों ने उनके साथ मारपीट की और गमछे से उनका गला दबाकर जान से मारने की कोशिश की।
उनका आरोप है कि चंगाई सभा का असली उद्देश्य लोगों को पैसे और नौकरी जैसी सुविधाओं का लालच देकर धर्मांतरण कराना था।
अमित के मुताबिक, कई लोगों को झूठे वादे किए जा रहे थे, ताकि वे धर्म बदलने के लिए तैयार हो जाएं।
दो आरोपी गिरफ्तार
शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस तुरंत कार्रवाई में जुट गई। जांच के बाद पुलिस ने दो लोगों सभा के आयोजक सीपी राजू और अनिल थॉमस को गिरफ्तार कर लिया है।
दोनों को अदालत में पेश करने के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। वहीं दो अन्य आरोपी अब भी फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश में लगातार छापेमारी कर रही है।
अवैध धर्मांतरण के मामलों की बढ़ती कड़ियां
चंगाई सभाओं और प्रार्थना कार्यक्रमों के जरिए धर्मांतरण किए जाने के आरोप कोई नए नहीं हैं। उत्तर भारत में कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं,
जहां गरीब और कमजोर परिवारों को आर्थिक लालच, नौकरी, इलाज या शिक्षा की सुविधाओं का वादा करके उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है।
इन घटनाओं के कारण समाज में अविश्वास और तनाव बढ़ता है, जिससे सामुदायिक सौहार्द प्रभावित होता है।
सरकार को कड़े कदम उठाने की ज़रूरत
आये दिन धर्मांतरण के मामले सामने आते रहते हैं, जिससे समाज में असुरक्षा और असंतोष बढ़ता है। इसलिए ज़रूरी है कि सरकार इस दिशा में और सख्त कदम उठाए।
जिन राज्यों में एंटी-कन्वर्ज़न लॉ लागू है। वहां कड़ी निगरानी और प्रभावी कार्रवाई बेहद जरूरी है।
वहीं जहां ऐसे कानून नहीं हैं, वहां स्पष्ट नियम बनाकर सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी प्रकार के प्रलोभन, दबाव या धोखे के आधार पर धर्म परिवर्तन न कराया जाए।
धर्म बदलना किसी का व्यक्तिगत अधिकार है, लेकिन यह तभी सही है जब यह पूरी तरह स्वेच्छा से हो।
लालच या धोखे की आड़ में किया गया धर्मांतरण न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि सामाजिक सौहार्द के लिए भी खतरनाक है। प्रशासन, सरकार और समाज सभी को मिलकर ऐसे मामलों पर सतर्क रहना होगा।

