Pakistan News: पाकिस्तान में अहमदी मुसलमानों पर जुल्म बढ़ता ही जा रहा है। यहां कट्टरपंथी TLP के आह्वान के बीच अहमदिया समुदाय को एक बार फिर ईद की नमाज पढ़ने से रोक दिया गया।
पाकिस्तान के 7 शहरों में इस तरह के मामले सामने आए हैं। मंगलवार (10 जून, 2025) को जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (JAP) ने यह दावा बड़ा किया।
बता दें पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय अल्पसंख्यक की श्रेणी में आता है। पिछले दिनों अहमदिया समुदाय को कम से कम सात शहरों में ईद की नमाज अदा करने से कथित तौर पर रोका गया।
पंजाब पुलिस ने दो अहमदियों को गिरफ्तार किया और तीन अन्य के खिलाफ ईद-उल-अजहा के दौरान पशु बलि देने की कोशिश के आरोप में केस दर्ज किया है।
जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान ने कहा कि कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के सदस्यों ने दो अहमदियों को उनके धर्म से जबरन मुकरने पर मजबूर किया।
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान चला रहा मुहिम
पाकिस्तान में हाल के महीनों में धार्मिक कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान मुहिम चला रहा है और अहमदिया समुदाय के खिलाफ लोगों को भड़का रहा है।
इस संगठन ने अहमदी समुदाय को उनके उपासना स्थल (मस्जिद) में जुमे की नमाज पढ़ने से भी रोकने का सिलसिला शुरू कर रखा है।
इस महीने ईद से पहले अहमदी समुदाय को पुलिस थानों में तलब किया गया और जबरन यह लिखवाया गया कि वे ईद की नमाज नहीं पढ़ेंगे और ना ही अपने धार्मिक विश्वास के अनुसार बलि देंगे।
नमाज से रोका, उपासना स्थल किया सील
जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान के अनुसार, अहमदियों को खुशाब, मीरपुर खास, लोधरां, भक्कर, राजनपुर, उमरकोट, लरकाना और कराची में ईद की नमाज अदा करने से रोका गया।
धार्मिक कट्टरपंथियों ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर अहमदियों को उनके उपासना स्थल (मस्जिद) के भीतर ही नमाज पढ़ने से रोक दिया।
लाहौर के घरी शाही इलाके में स्थित अहमदी समुदाय के सबसे पुराने उपासना स्थल (मस्जिद) को शनिवार को ईद के दिन TLP कार्यकर्ताओं ने घेर लिया और पुलिस से उसे सील करने की मांग की। पुलिस ने उनकी मांग पर कार्रवाई करते हुए उस उपासना स्थल (मस्जिद) को सील कर दिया।
असुरक्षित महसूस करते हैं अहमदिया
जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान के अनुसार, ये घटनाएं पाकिस्तान में अहमदी समुदाय के खिलाफ भेदभाव के बढ़ते मामलों को दिखा रही हैं।
संगठन ने कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन करवाना मानवाधिकार उल्लंघन है और देश में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर गहरी चिंता पैदा करता है।
TLP जैसे कट्टरपंथी संगठनों की वजह से अहमदी समुदाय खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। इस संगठन से जुड़े लोग खुलेआम अहमदी समुदाय को निशाना बना रहे हैं। कट्टरपंथी संगठनों के खिलाफ कोई कानूनी भी नहीं होती है।