संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने सीधे पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकी हमलों का स्रोत बार-बार एक ही देश से जुड़ता है।
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत ने आज़ादी के बाद से आतंकवाद की चुनौती झेली है और दुनिया को भी इस खतरे से सतर्क रहने की आवश्यकता है।
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पाकिस्तान की बौखलाहट और राइट ऑफ रिप्लाई
जयशंकर के भाषण के तुरंत बाद पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने “राइट ऑफ रिप्लाई” का इस्तेमाल करते हुए आरोप लगाया कि भारत पाकिस्तान की बदनामी करने की कोशिश कर रहा है।
जबकि भाषण में कहीं भी पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया था। पाकिस्तान ने इसे “झूठ फैलाने का प्रयास” बताकर भारत पर पलटवार करने की कोशिश की।
भारत ने दिया करारा जवाब
भारत ने पाकिस्तान की प्रतिक्रिया पर तीखा जवाब दिया। भारत के स्थायी मिशन के दूसरे सचिव रेंटाला श्रीनिवास ने कहा कि यह और भी स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद की अपनी नीति को छुपा नहीं सकता।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की साख उसके आतंकवादी नेटवर्क से उजागर होती है, और इसका प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं है बल्कि पूरी दुनिया भुगत रही है।
अंतरराष्ट्रीय निंदा की अपील
जयशंकर ने अपने संबोधन में दुनिया से आग्रह किया कि वे उन देशों की निंदा करें जो आतंकवाद को राज्य नीति का हिस्सा बनाए हुए हैं। उन्होंने आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने और आतंकी सरगनाओं पर कठोर कार्रवाई की ज़रूरत पर जोर दिया।
उन्होंने उदाहरण देते हुए अप्रैल में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की हत्या का जिक्र किया और कहा कि भारत आतंकियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
पाकिस्तान की दूसरी प्रतिक्रिया और भारत का रुख
पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने एक बार फिर प्रतिक्रिया देने की कोशिश की, लेकिन भारत के अधिकारी श्रीनिवास ने वहां मौजूद रहना भी उचित नहीं समझा और हॉल से बाहर चले गए।
पाकिस्तान की असलियत उजागर
भारत ने यह साफ कर दिया कि पाकिस्तान की बौखलाहट उसकी पुरानी आतंकी नीतियों को बेनकाब करती है।
दुनिया को इस तथ्य से सावधान रहना चाहिए कि पाकिस्तान अब भी आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली अपनी पुरानी राह पर चल रहा है।

