ध्वजारोहण: अयोध्या के राम मंदिर परिसर में एक बार फिर भव्य आयोजन की तैयारियां जोर पर हैं।
करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र बन चुका दिव्य राम मंदिर अब अपने शिखर पर ‘धर्म ध्वज’ को फहराने वाला है।
यह ध्वज कोई साधारण प्रतीक नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता, परंपरा और भारतीय शिल्प का अद्भुत मिश्रण है।
खास बात यह है कि यह पवित्र ध्वज गुजरात के अहमदाबाद के कारीगरों ने बेहद निष्ठा और कौशल से तैयार किया है।
इस वजह से अहमदाबाद के मजदूरों में यह क्षण गर्व और उत्साह दोनों लेकर आया है।
कैसा है राम मंदिर का दिव्य धर्म ध्वज?
ध्वजारोहण: राम मंदिर के शिखर पर लगाया जाने वाला यह ध्वज 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा है।
इसका वजन मात्र 2.5 किलोग्राम रखा गया है, जबकि पहले भेजे गए ध्वज का वजन करीब 11 किलोग्राम था।
इसे नायलॉन और रेशम मिश्रित पॉलीमर कपड़े से बनाया गया है, जो इसे मजबूत, हल्का और लंबे समय तक टिकने योग्य बनाता है।
तेज गर्मी हो, भारी बारिश, तूफान या 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाएं, यह ध्वज हर परिस्थिति में मजबूती से खड़ा रहने की क्षमता रखता है।
हर तीन साल बाद मंदिर पर नया ध्वज स्थापित किया जाएगा।
ध्वज पर उकेरे गए वैदिक प्रतीक और उनका महत्व
ध्वजारोहण: इस धर्म ध्वज को खास बनाते हैं उस पर अंकित पवित्र और वैदिक प्रतीक। ध्वज पर सूर्य का आकार बनाया गया है, जो श्रीराम के सूर्यवंश से जुड़े होने का परिचायक है।
इसके साथ ही वाल्मीकि रामायण में वर्णित कोविदार वृक्ष, रामराज्य की समृद्धि और न्याय की परंपरा का प्रतीक माना जाता है।
ध्वज पर अंकित ओंकार सर्वव्यापी ईश्वर की उपस्थिति का प्रतीक है, जो आध्यात्मिक शक्ति और सद्भाव का संदेश देता है।
ध्वज का केसरिया रंग धर्म, त्याग और पवित्रता का द्योतक है। इसके केंद्र में बना चक्र, धर्मपालन, न्याय और सतत गतिशीलता का संकेत देता है।
इन सभी प्रतीकों के संयोजन से धर्म ध्वज न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि रामराज्य की वैचारिक और सांस्कृतिक पहचान को भी उभारता है।
गुजरात में बनीं वे वस्तुएं जो राम मंदिर की शोभा बढ़ा रहीं
ध्वजारोहण: धर्म ध्वज ही नहीं, राम मंदिर में लगने वाली कई महत्वपूर्ण वस्तुएं भी गुजरात में तैयार की गई हैं।
अहमदाबाद के दबगर समुदाय ने मंदिर के लिए विशाल ढोल बनाया है, जिसे विशेष अवसरों पर बजाया जाएगा।
मुख्य मंदिर और आसपास बने छह छोटे मंदिरों के लिए ध्वज-स्तंभ भी गुजरात में निर्मित हुए हैं।
ध्वजारोहण: इसके अलावा, मंदिर में चढ़ाई जाने वाली चूड़ियां, पूजा के लिए बनाया गया दानपात्र, भगवान के आभूषणों को रखने के लिए पीतल की अलमारी, और मंदिर के दरवाजों का हार्डवेयर भी अहमदाबाद के ही कारीगरों ने तैयार किया है।
इन सभी वस्तुओं में गुजरात के शिल्पकारों की दक्षता और भारतीय पारंपरिक कला की सुंदरता साफ झलकती है।

