Friday, November 28, 2025

आज भी होती है लड़कियों का खतना, जानिए क्यों नहीं रुक रही ये दर्दनाक प्रथा

21वीं सदी में भी दुनिया की लाखों लड़कियां एक ऐसी परंपरा की शिकार बन रही हैं, जो न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि उनके पूरे जीवन को मानसिक और शारीरिक रूप से तबाह कर देती है।

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फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन यानी ‘खतना’। ये एक ऐसी प्रथा जिसे कुछ समाज आज भी सम्मान, पवित्रता और परंपरा के नाम पर जिंदा रखे हुए हैं।

भारत के दाउदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में यह प्रथा आज भी जारी है, और सुप्रीम कोर्ट अब इसकी कानूनी वैधता पर बड़ा फैसला सुनाने की तैयारी में है।

FGM क्या है और क्यों माना जाता है इसे सबसे अमानवीय प्रथा?

FGM का मतलब है, किसी मेडिकल कारण के बिना लड़कियों के बाहरी जननांगों को काटना, हटाना या किसी भी तरीके से नुकसान पहुंचाना।

इसे आमतौर पर छोटी बच्चियों पर किया जाता है, कभी-कभी मात्र 5–7 साल की उम्र में।

WHO के अनुसार दुनिया की 23 करोड़ से ज़्यादा लड़कियां और महिलाएं इस दर्दनाक प्रक्रिया से गुजर चुकी हैं।

यह कोई इलाज नहीं, बल्कि महिलाओं के शरीर पर नियंत्रण का प्रतीक है।

हर साल 40 लाख लड़कियां खतरे में

अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के 31 देशों में आज भी FGM का चलन गहराई से मौजूद है।

भारत में भी यह पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। हर साल करीब 40 लाख लड़कियों पर यह कुप्रथा थोप दी जाती है, जो मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है।

FGM के प्रकार: चारों ही खतरनाक, चारों ही दर्दनाक

FGM के चार प्रमुख प्रकार हैं—

टाइप 1:

क्लिटोरिस के बाहरी हिस्से को आंशिक या पूरी तरह हटाना।

टाइप 2:

क्लिटोरिस और अंदरूनी होंठों को काटना, कभी-कभी बाहरी होंठों तक।

टाइप 3 (इन्फिबुलेशन):

सबसे खतरनाक। योनि का मुंह सिलकर लगभग बंद कर दिया जाता है।

टाइप 4:

छेद करना, जलाना, चीरा लगाना और किसी भी तरह की चोट पहुंचाना।

तुरंत होने वाले दर्दनाक प्रभाव

FGM कोई सामान्य प्रक्रिया नहीं है। यह एक सदमे जैसा अनुभव है, जिसके तुरंत बाद कई गंभीर जोखिम सामने आते हैं:

  • असहनीय दर्द
  • अत्यधिक रक्तस्राव
  • सूजन और तेज बुखार
  • टेटनस जैसे गंभीर इंफेक्शन
  • पेशाब में जलन या रुकावट
  • जननांगों और आसपास के अंगों को नुकसान
  • कई मामलों में मौत तक

लंबे समय तक रहने वाली समस्याएं

इस दर्द के निशान सिर्फ शरीर पर नहीं, मन पर भी रह जाते हैं। वर्षों तक महिलाएं झेलती हैं—

  • बार-बार यूरिन इन्फेक्शन
  • पीरियड के दौरान तेज दर्द
  • यौन संबंध में दर्द या असमर्थता
  • निशान, टांके और बार-बार सर्जरी की जरूरत
  • डिप्रेशन, चिंता और आत्मसम्मान में गिरावट
  • गर्भावस्था और प्रसव के दौरान खतरे

टाइप 3 FGM वाली महिलाओं को अक्सर बाद में खोलने के लिए सर्जरी करानी पड़ती है, ताकि वे सामान्य जीवन जी सकें।

लड़कियों पर क्यों थोपी जाती है यह प्रथा?

इसके पीछे कई सामाजिक और सांस्कृतिक वजहें हैं—

  1. सामाजिक दबाव

समुदाय में ‘सम्मान’ बचाए रखने के लिए लड़कियों पर ये प्रथा थोपी जाती है।

  1. विवाह और पवित्रता का भ्रम

कई परिवार मानते हैं कि FGM लड़की को ‘संयमी’ बनाता है और शादी के लिए तैयार करता है।

  1. धार्मिक गलतफहमियां

हर जगह यह दावा किया जाता है कि धर्म में ऐसा कहा गया है, जबकि किसी भी धार्मिक ग्रंथ में FGM का उल्लेख नहीं है।

  1. मेडिकलाइजेशन का भ्रम

कई जगह डॉक्टर भी इसे करते हैं, कुछ पैसे के लालच में, कुछ समाज के दबाव में।

WHO क्यों कहता है—FGM एक वैश्विक मानवाधिकार संकट है

2008 में WHO ने साफ कहा कि FGM न सिर्फ महिलाओं के शरीर पर हमला है, बल्कि उनकी आज़ादी और पहचान पर भी अत्याचार है।

WHO कर रहा है—

  • हेल्थ वर्कर्स को ट्रेनिंग
  • समुदायों में जागरूकता
  • मेडिकल FGM रोकने की ग्लोबल स्ट्रैटेजी
  • रिसर्च और डेटा कलेक्शन
  • उनके कैंपेन की वजह से कई देशों ने कानून बनाए हैं, लेकिन लड़ाई अभी लंबी है।

भारत में क्या हो रहा है? सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नज़र

भारत में बोहरा समुदाय की महिलाएं और कई सामाजिक संगठन इस प्रथा को अपराध घोषित करने की मांग कर रहे हैं।

दायर याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बड़ी बेंच सुनवाई कर रही है, जिसका फैसला भारत में FGM के भविष्य का रास्ता तय करेगा।

आखिर ये लड़ाई क्यों जरूरी है?

क्योंकि FGM किसी परंपरा को बचाने का नाम नहीं, बल्कि लड़कियों के शरीर, जीवन और भविष्य को बचाने की लड़ाई है।

क्योंकि कोई भी परंपरा इतनी महत्वपूर्ण नहीं कि वह एक बच्चे की चीख को अनसुना कर दे।

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