बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र ने 2004 में बीकानेर से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव जीता था।
उस समय उनकी लोकप्रियता चरम पर थी, और राजनीतिक गलियारों में यह माना जा रहा था कि धर्मेंद्र अपने क्षेत्र के लिए बड़ी भूमिका निभाएंगे।
शुरुआत में उन्होंने स्थानीय मुद्दों को उठाया, विकास कार्यों पर ध्यान दिया और जनता से लगातार संवाद बनाए रखा।
संसद का माहौल और नेताओं का व्यवहार बना सबसे बड़ी वजह
कहा जाता है कि समय बीतते-बीतते धर्मेंद्र को संसद का वातावरण परेशान करने लगा था। लगातार हंगामा, आरोप-प्रत्यारोप और कई नेताओं द्वारा की जाने वाली तीखी भाषा ने उन्हें राजनीतिक जीवन से दूर कर दिया।
धर्मेंद्र ने अपने इंटरव्यू में साफ कहा था कि उन्हें संसद का “हल्ला-गुल्ला” और “गाली-गलौज” जैसे व्यवहार कभी पसंद नहीं आए।
उन्होंने स्वीकार किया कि राजनीति की चालबाज़ी, गुटबाज़ी और सौदेबाज़ी उनके स्वभाव का हिस्सा नहीं थीं।
बढ़ती उम्र, स्वास्थ्य समस्याएँ और सक्रियता में गिरावट
2009 के आसपास उनकी उम्र और स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ने लगीं। दिल्ली में लगातार रहना और संसद की कार्यवाही में नियमित रूप से शामिल होना उनके लिए कठिन हो गया था।
इससे वे अपने परिवार, फिल्मों और पंजाब स्थित फार्महाउस से दूर रहने के कारण असहज महसूस करने लगे।
यह भी राजनीति से दूर होने का एक प्रमुख कारण रहा था।
सिस्टम से निराशा और ‘क्रेडिट पॉलिटिक्स’
धर्मेंद्र ने कई मौकों पर कहा कि उन्होंने बीकानेर में कई विकास कार्य करवाए, लेकिन कई बार इसका श्रेय दूसरे लोगों ने ले लिया।
उन्होंने यह भी कहा था कि “मैंने काम किया, पर क्रेडिट किसी और को मिला।”
इसके अलावा, उन्हें राजनीति में मौजूद भ्रष्टाचार, अंदरूनी सौदों और ब्यूरोक्रेसी की सुस्ती से भी निराशा हुई।
एक पुराने इंटरव्यू में उनकी यह पंक्ति राजनीति से उनके मोहभंग को साफ दिखाती है। “सियासत ने मुझे तोड़ दिया। यह मेरी सोच से मेल नहीं खाती।”
मीडिया से भी रही नाराज़गी
धर्मेंद्र का यह आरोप भी रहा कि मीडिया ने उनके किए गए कार्यों को उचित कवरेज नहीं दी।
उनका मानना था कि जिस पारदर्शिता की जरूरत थी, वह उन्हें नहीं मिली।
इस कारण उनकी राजनीतिक छवि को वह पहचान नहीं मिल पाई, जिसकी वे उम्मीद करते थे।
सांसद रहते हुए धर्मेंद्र ने क्या काम किये
- MPLADS फंड से कई स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक सुविधाओं का विकास
- सुर सागर की सफाई का कार्य
- बीकानेर के कुछ स्कूलों की फीस कम करवाने में भूमिका
- सामाजिक संगठनों व संस्थाओं को आर्थिक सहायता
- स्थानीय समस्याओं को सुनने और समाधान के लिए अपने ऑफिस को सक्रिय रखना

