दिल्ली ब्लास्ट केस: दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, कई चौंकाने वाले राज सामने आ रहे हैं। पूछताछ के दौरान गिरफ्तार डॉक्टर शाहीन ने एजेंसियों को बताया कि वह इस पूरे नेटवर्क में डॉक्टर मुजम्मिल के कहने पर शामिल हुई थी।
शाहीन के मुताबिक, वह वही करती थी जो मुजम्मिल उसे निर्देश देता था, यानी उसके पास कोई स्वतंत्र भूमिका नहीं बल्कि पूरी तरह से “फॉलो ऑर्डर” वाली स्थिति थी।
फरीदाबाद–सहारनपुर मॉड्यूल और अल-कायदा का मीठा वादा
दिल्ली ब्लास्ट केस: केंद्रीय एजेंसियों ने एक हफ्ते की पड़ताल के बाद यह भी पता लगाया कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डर पर बैठे हैंडलरों ने डॉक्टर आदिल के भाई मुजफ्फर को बड़ी जिम्मेदारी और मोटा फंड देने का ऑफर दिया था।
सूत्र बताते हैं कि मुजफ्फर को अंसार गजवात-उल-हिंद की कमान दिलाने का वादा किया गया था और हर साल करीब 10 करोड़ रुपये इस मॉड्यूल को ऑपरेशन्स के लिए देने की बात कही गई थी।
जाकिर मूसा की सोच से प्रभावित ये ‘डॉक्टर मॉड्यूल’
दिल्ली ब्लास्ट केस: जांच में सामने आया कि मुजफ्फर और मुजम्मिल दोनों ही आतंकी जाकिर मूसा की विचारधारा के भक्त थे। फिर उनके हैंडलर फैसल इशफाक भट्ट ने इन डॉक्टरों को समझाया कि—“अगर भारत के अलग-अलग राज्यों में बड़े ब्लास्ट होंगे तो ‘निज़ाम-ए-मुस्तफा’ का सपना पूरा होगा।”
इसके पीछे लालच ये भी था कि बड़े हमलों के बाद इन्हें अल-कायदा भारत प्रमुख उस्मान महमूद और जैश-ए-मोहम्मद की फिदायीन यूनिट के कमांडरों से मिलवाया जाएगा।
तुर्की मीटिंग: अबू उकाशाह का रोल सामने आया
जांच एजेंसियों को अब डॉक्टर अबू उकाशाह नाम के एक हैंडलर का टेलीग्राम अकाउंट भी मिला है। साल 2022 में मुजफ्फर, आदिल और उमर तुर्की गए थे, जहां इनकी मुलाकात इसी अबू उकाशाह से हुई थी।
एजेंसियों के अनुसार, उकाशाह मूल रूप से कराची का रहने वाला है और जैश-ए-मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान और अल-कायदा से जुड़ा हुआ है।
इसी ने फैसल इशफाक भट्ट और हंजुल्लाह से इन आरोपियों का लिंक तैयार करवाया
उसकी अंतिम लोकेशन अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में ट्रैक की गई है, जहां कई आतंकी कनेक्शन पहले भी सामने आ चुके हैं।
हंजुल्लाह: 42 बम बनाने की वीडियो भेजने वाला रहस्यमयी हैंडलर
दिल्ली ब्लास्ट केस: इस मॉड्यूल में एक और नाम सामने आया—हंजुल्लाह उर्फ उमर बिन खत्ताब। यही वह शख्स है जिसने डॉक्टर उमर को बम तैयार करने की 42 अलग-अलग वीडियो भेजी थीं। टेक्निकल जांच में उसकी IP लोकेशन पीओके के बराली इलाके में पाई गई।
दिलचस्प बात यह है कि मॉड्यूल के किसी भी सदस्य ने उससे कभी आमने-सामने या वीडियो कॉल पर बात होने की बात नहीं मानी ।
वह सिर्फ दो लोगों से बात करता था—डॉक्टर उमर और इरफान अहमद वागे ।
एजेंसियां अब ये जांच रही हैं कि क्या जैश के पोस्टरों पर दिखाया गया “हंजल्ला” और यही “हंजुल्लाह” एक ही व्यक्ति है?
पूरे नेटवर्क की दिशा किसने तय की?
दिल्ली ब्लास्ट केस: दिल्ली ब्लास्ट केस में सामने आए कनेक्शन सिर्फ एक मॉड्यूल तक सीमित नहीं, बल्कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्की और पीओके तक फैले एक बड़े आतंकी नेटवर्क को उजागर कर रहे हैं।
अब जांच एजेंसियों का ध्यान इस बात पर है कि—
इन डॉक्टरों को किस अंतिम मिशन के लिए तैयार किया जा रहा था?
ब्लास्ट की प्लानिंग आखिर किस राज्य में होने वाली थी?
और सबसे बड़ा सवाल—इस मॉड्यूल के जरिए आखिर किस ‘टॉप कमांड’ का एजेंडा आगे बढ़ाया जा रहा था?

