बिहार चुनाव 2025: अमेरिकी निर्देशक फ्रांसिस फोर्ड कोपोला की पुस्तक द गॉडफादर की मशहूर लाइन “अपने दोस्तों को करीब रखें और अपने दुश्मनों को और भी करीब रखें” बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के व्यवहार और शैली पर बिलकुल सटीक बैठती है।
हाल ही के विधानसभा चुनाव में यही रणनीति नीतीश और राजग (NDA) की जीत की सबसे बड़ी वजह बनी।
उन्होंने न केवल विपक्ष को समझा बल्कि हर कदम पर उनकी घोषणाओं को इस तरह निष्क्रिय किया कि जनता के सामने विकल्प ही खत्म हो गए।
बिहार चुनाव 2025: शांत रणनीति, लेकिन जोरदार असर
चुनाव शुरू होते ही सत्तारूढ़ राजग ने लगातार घोषणाओं की श्रृंखला शुरू की।
विपक्ष ने इसे “नकल” करार दिया, लेकिन नीतीश कुमार ने बिना किसी विवाद में पड़े अपने काम को आगे बढ़ने दिया।
उनकी रणनीति सीधी थी विपक्ष जो बोले, जनता के लिए उसका व्यावहारिक विकल्प तुरंत पेश कर दो।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया। यह महागठबंधन का बड़ा चुनावी नैरेटिव बनने की कोशिश कर रहा था पर नीतीश कुमार ने तुरंत 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा कर दी।
देखने में यह कम लगता है, लेकिन बिहार में बड़ी आबादी ऐसी है जिनकी मासिक खपत इसी दायरे में है।
इस कदम से न केवल बिजली बिल का बोझ कम हुआ, बल्कि “प्रीपेड मीटर” के कारण बढ़ती नाराजगी भी शांत हो गई।
डोमिसाइल बनाम महिला सशक्तीकरण
महागठबंधन ने “100 प्रतिशत डोमिसाइल नीति” की मांग उठाई, जो युवाओं में बड़ा मुद्दा बन सकता था, लेकिन नीतीश कुमार ने इसका जवाब महिलाओं को केंद्र में रखकर दिया।
उन्होंने वही प्रावधान महिलाओं के लिए लागू करते हुए यह सुनिश्चित किया कि उनका सबसे मजबूत वोट बैंक विपक्ष की ओर न झुके। यह कदम राजनीतिक ही नहीं, सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत प्रभावी रहा।
कल्याणकारी योजनाओं का सटीक ताना-बाना
असंगठित और कम आय वाले वर्गों की नाराजगी को दूर करने के लिए कई ठोस आर्थिक कदम उठाए गए।
आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में बढ़ोतरी, जीविका दीदियों के लिए विशेष लाभ और बुजुर्ग महिलाओं समेत कमजोर समूहों के लिए पेंशन में बढ़ोतरी ने शासन की स्थिर और भरोसेमंद छवि मजबूत की।
महिलाओं के वोट पर केन्द्रित सटीक प्रहार
तेजस्वी यादव ने ‘माई बहिन सम्मान योजना’ के तहत महिलाओं को आकर्षित करने की कोशिश की थी, लेकिन नीतीश कुमार ने ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ लागू करके इसे राजनीतिक तौर पर मात दे दी।
इस योजना के तहत एक करोड़ से अधिक महिलाओं के खाते में 10,000 रुपये भेजे गए। बिहार की राजनीति में महिला मतदाता की शक्ति को देखते हुए यह कदम निर्णायक साबित हुआ।
विपक्ष की सीमाएं और जनता का विश्वास
महागठबंधन की तरफ से सबसे बड़ा दावा था “हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी।” यह वादा सुनने में आकर्षक था, पर इसे व्यवहारिक नहीं माना जा रहा था।
जबकि नीतीश कुमार लगातार छोटे-छोटे लेकिन प्रभावी कदमों से जनता को भरोसेमंद विकल्प देते रहे।
उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनके वोटर की प्राथमिकता किसी भी स्थिति में न बदलें।
प्रचंड बहुमत, मजबूत नेतृत्व
राजग की जीत सिर्फ संयोग नहीं थी, बल्कि एक सुविचारित रणनीति का परिणाम थी।
नीतीश कुमार ने यह साबित कर दिया कि राजनीति में सिर्फ घोषणाएं नहीं, बल्कि विपक्ष की चाल को समझकर समय पर जवाब देने की क्षमता ही वास्तविक नेतृत्व की पहचान है।

