Thursday, November 21, 2024

Waqf Board: क्या है वक्फ बोर्ड जिसकी शक्तियों पर लगाम लगाएगी मोदी सरकार, जानें सब

Waqf Board: वक्फ बोर्ड को लेकर इन दिनों काफी बवाल मचा हुआ है। चर्चा है कि मोदी सरकार जल्द ही संसद में वक्फ बोर्ड को लेकर संसद में बिल पेश कर सकती हैं। सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम करने का प्लान बना रही है। ऐसे में आज हम जानेंगे कि आखिर हैं ये वक्फ बोर्ड नाम की बला आखिर हैं क्या और सरकार इसके अधिकारों को कम करने का क्यों सोच रही हैं।

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1954 में हुयी थी Waqf Board की शुरुआत

1954 में वक्फ बोर्ड नाम की एक statutory body बनी हालांकि, 1995 में वक्फ बोर्ड को कुछ ऐसी शक्तियां मिली जिनकी वजह से आज वो भारत का तीसरा सबसे बड़ा land owner बन गया है। पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ने वक्फ एक्ट 1954 में वक्फ बोर्ड में नए-नए प्रावधान जोड़कर वक्फ बोर्ड को सबसे पावरफुल bodies में से एक बना दिया। वक्फ एक्ट 1995 का सेक्शन 3(आर) के मुताबिक, अगर कोई property, किसी भी उद्देश्य के लिए मुस्लिम कानून के मुताबिक पाक, मजहबी या चेरिटेबल मान लिया जाए तो वह वक्फ की संपत्ति हो जाएगी। वक्फ एक्ट 1995 का आर्टिकल 40 कहता है कि यह जमीन किसकी है, यह वक्फ का सर्वेयर और वक्फ बोर्ड तय करेगा।
क्यों बनाया गया था वक्फ बोर्ड

वक्फ बोर्ड एक statutory body हैं जो मुस्लिम समुदाय की properties पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था। वक्फ का मतलब होता हैं “अल्लाह के नाम ” यानि ऐसी प्रॉपर्टीज जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं हैं। आप इनकी मनमानी तो देखिये ये बोर्ड खुद तय करता हैं कि कौनसी प्रॉपर्टीज इनकी है और कौनसी नहीं। इसका मतलब तो ये है कि अगर किसी जमीन को वक्फ ने अपना बता दिया तो वो उनकी हो जाती है। वक्फ बोर्ड एक सर्वेयर की तरह होता है।

क्या कहता है Waqf Board का एक्ट 1995

1995 का वक्फ एक्ट कहता है कि अगर बोर्ड को लगता हैं कि ये उनकी प्रॉपर्टी हैं तो यह साबित करने की जिम्मेदारी वक्फ की नहीं बल्कि उसकी जमीन के असली मालिक की होती है कि वो बताये उसकी जमीन वक्फ की नहीं हैं। 1995 का कानून यह जरूर कहता है कि किसी निजी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपना दावा नहीं कर सकता, लेकिन यह तय कैसे होगा कि संपत्ति निजी है? अगर वक्फ बोर्ड को सिर्फ लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो उसे कोई दस्तावेज या सबूत पेश नहीं करना है। सारे कागज और सबूत उसे देने हैं जो अब तक दावेदार रहा है। कौन नहीं जानता है कि कई परिवारों के पास जमीन का पुख्ता कागज नहीं होता है। और इस ही फायदा ये वक्फ बोर्ड उठाता है और जमीनें हड़प लेता है।

वक्फ प्रॉपर्टी निर्धारण के पैमाने क्या है ?

वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी निर्धारण के लिए तीन आधार होते हैं। अगर किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी हो, अगर कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन की लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा हो या फिर सर्वे में जमीन का वक्फ की संपत्ति होना साबित हुआ हो। वक्फ बोर्ड को मुस्लिम समाज की जमीनों पर नियंत्रण रखने के लिए था लेकिन ये तो कुछ और करने के इरादे में ही है। वक्फ बोर्ड अगर कब्रिस्तान के नाम पर कहीं बाउंड्री वाल भी करवाता है तो उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति करार कर देता है। उन मजारों और उसके आसपास की सभी जमीनें भी इनकी हो जाती है।

Waqf Board को मिली है ये शक्तियां

वक्फ बोर्ड को कई ऐसी शक्तियां मिली हैं जिसकी वजह से आज ये सरेआम मनमानी करते हैं। आइये आपको बताते हैं कि ये शक्तियां क्या हैं।अगर आपकी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति बता दी गई तो आप उसके खिलाफ कोर्ट नहीं जा सकते। आपको वक्फ बोर्ड से ही गुहार लगानी होगी। वक्फ बोर्ड का फैसला आपके खिलाफ आया, तब भी आप कोर्ट नहीं जा सकते। तब आप वक्फ ट्राइब्यूनल में जा सकते हैं। इस ट्राइब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं। उसमें गैर-मुस्लिम भी हो सकते हैं। वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि ट्राइब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है।

Waqf Board पर सरकार की ढील का ये है नतीजा

आज हमारे देश में एक सेंट्रल वक्फ बोर्ड और 32 स्टेट बोर्ड मौजूद हैं। अब तक की सरकारों में वक्फ बोर्ड पर काफी ढील दी जाती रही है। मोदी सरकार में भी वक्फ को लेकर उदारता दिखाई गई हैं। सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने नियम बनाया कि अगर वक्फ की जमीन पर स्कूल, अस्पताल आदि बनते हैं तो पूरा खर्च सरकार का होगा। यह तब हुआ जब मुख्तार अब्बास नकवी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे।

और आज उस ही का ये नतीजा हैं कि भारत के लैंड का एक सबसे बड़ा हिस्सा वक्फ़ बोर्ड के पास है। देश में डिफेन्स और रेलवे के बाद सबसे बड़ा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। बोर्ड की धन संपत्ति दिन दूना रात चौगुना की तेजी से बढ़ रही है। वक्फ बोर्ड के कब्जे की जमीन का रकबा सिर्फ 13 सालों में दोगुना से भी ज्यादा हो गया है। आज देश के सभी वक्फ बोर्डों के पास कुल मिलाकर 8 लाख 54 हजार 509 संपत्तियां हैं जो 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैली है।

इनकी मनमानी का एक उदहारण

तमिलनाडु के एक गांव तिरुचिरापल्ली गांव की पूरी जमीन को वक्फ बोर्ड ने अपना करार कर दिया। कहा कि ये पूरी ज़मीन उनके नाम पर हैं। उनके इस दावे से गाँव के सभी लोग हैरान रह गए। इस गांव में 1500 साल पुराना मंदिर भी मौजूद है जिसकी दीवारों पर ये स्पष्ट रूप से लिखा हुआ की इसकी कुछ एकड़ जमीन मंदिर की हैं। अब आप बताइये कैसे पूरा की पूरा गांव वक्फ बोर्ड अपना claim कर सकता हैं। ये तो खुलेआम गुंडागर्दी है।

इनकी मनमानी को देखते हुए मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड की शक्तियां कम करने का प्लान बनाया है। जल्द ही मोदी सरकार अब वक्फ़ बोर्ड के शक्तियां कम करने के लिए संसद ने बिल पेश करेगी। जो की बेहद जरुरी हैं। क्यूंकि अगर ऐसा नहीं किया गया तो हो सकता है कि जल्द ही भारत भी इस्लामिक देश बन जाए।

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