Waqf Bill: वक्फ (संशोधन) बिल 2024 की ड्राफ्ट रिपोर्ट और संशोधित बिल को संसद की संयुक्त समिति (JPC) ने बुधवार (29 जनवरी, 2025) को बहुमत से मंजूरी दे दी। समिति के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने मीडिया को बताया कि विपक्षी सांसदों को असहमति पत्र (डिसेंट नोट) जमा करने के लिए शाम 4 बजे तक का वक्त दिया गया।
इस फैसले से विपक्ष खासा नाराज दिखा, क्योंकि समिति ने एनडीए सांसदों के सभी संशोधनों को मंजूर कर लिया, जबकि कांग्रेस, एआईएमआईएम, टीएमसी, शिवसेना (उद्धव गुट) और वाम दलों के सुझावों को पूरी तरह खारिज कर दिया। विपक्षी पार्टीयों का दावा है कि मंगलवार को सांसदों को 600 से ज्यादा पन्नों की ड्राफ्ट रिपोर्ट दी गई, जिसे पढ़कर अपनी आपत्ति दर्ज कराना लगभग नामुमकिन था।
Table of Contents
आदिवासियों की जमीनों पर दावा नहीं कर पाएगा वक्फ
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने सरकार को जनजातीय भूमि को ‘वक्फ’ संपत्ति घोषित करने से रोकने के लिए एक कानून लाने की सिफारिश की है। JPC का कहना है कि ‘इन सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों के अस्तित्व’ के लिए ‘गंभीर खतरा पैदा करने वाले’ कई मामले सामने आए हैं।
Waqf Bill: अब लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
वक्फ (संशोधन) बिल 2024 की रिपोर्ट गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को सौंपी जाएगी। बता दें कि अगस्त 2024 में यह बिल संसद में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा पेश किया गया था और जेपीसी को इसके अध्ययन के लिए भेजा गया था। इसका मकसद वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन कर वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाना बताया गया है। गौरतलब है कि जिस तरह से यह प्रक्रिया पूरी हुई उससे विपक्ष और सरकार के बीच टकराव और बढ़ने के आसार हैं। अब संसद के बजट सत्र में इस मुद्दे पर जबरदस्त बहस होने की संभावना है।
जानें संशोधित बिल को लेकर विपक्ष के विचार
शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद अरविंद सावंत ने कहा, “मैंने असहमति पत्र जमा कर दिया है क्योंकि इस बिल को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। इसे न्याय के लिए नहीं, बल्कि राजनीतिक मकसद से आगे बढ़ाया जा रहा है।”
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी बिल के प्रावधानों की आलोचना करते हुए कहा, “जो संशोधन किए गए हैं, वे वक्फ बोर्ड के हित में नहीं हैं, बल्कि उसे खत्म कर देंगे।”
टीएमसी ने कहा, “जेपीसी की पूरी कार्यवाही केवल दिखावा थी। समिति के अध्यक्ष ने जिस मनमाने तरीके से इसे आगे बढ़ाया, वह कानून की प्रक्रिया के खिलाफ है। इससे सांसदों को विरोध करने का अधिकार छीन लिया गया।”
यह भी पढ़े: 71 साल पहले महाकुंभ में मची थी भगदड़, 800 लोगों की हुई थी मौत