Turkey: साल 2008 में भारत सरकार ने तुर्की की कंपनी Çelebi को देश के नौ हवाईअड्डों पर हाई-सिक्योरिटी ग्राउंड हैंडलिंग और कार्गो ऑपरेशन्स का कॉन्ट्रैक्ट दिया था। यह निर्णय एक सामान्य व्यवसायिक सौदे के तहत लिया गया, लेकिन इसके गहरे रणनीतिक और सुरक्षा पहलू शायद नजरअंदाज कर दिए गए।
एर्दोगन की बेटी और ड्रोन निर्माता से कनेक्शन
Turkey: Çelebi कंपनी का एक हिस्सा तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान (Recep Tayyip Erdoğan) एर्दोगन की बेटी के पास है। खास बात यह है कि उनकी शादी सेल्चुक बेयरक्तार से हुई है — वही शख्स जो तुर्की के खतरनाक ड्रोन ‘Bayraktar’ के निर्माता हैं। ये ड्रोन पाकिस्तान के पास हैं और वह इन्हें भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर चुका है।
इसका सीधा मतलब है कि भारत में संवेदनशील एयरपोर्ट सेवाओं को आंशिक रूप से उस व्यक्ति के नेटवर्क के हाथों सौंपा गया है जो भारत विरोधी रक्षा टेक्नोलॉजी से जुड़ा हुआ है।
दिल्ली एयरपोर्ट में संवेदनशील क्षेत्रों के पास Çelebi का संचालन
Turkey: दिल्ली एयरपोर्ट पर Çelebi कंपनी एक कार्गो टर्मिनल का संचालन करती है जो बेहद संवेदनशील ज़ोन के बिल्कुल नजदीक स्थित है। इस ज़ोन में प्रधानमंत्री का विशेष विमान, मिलिट्री जेट्स और खुफिया मिशनों के लिए प्रयोग किए जाने वाले विमान खड़े रहते हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या इस स्थान पर किसी भी तरह की जानकारी या गतिविधि विदेशी प्रभाव से सुरक्षित है?
तुर्किश एयरलाइंस के पायलट और सुरक्षा चिंताएं
Turkey: एक और चिंता यह है कि तुर्किश एयरलाइंस में कई पायलट पूर्व तुर्की एयरफोर्स के सदस्य रहे हैं। जब इन पायलटों को भारत के एयरस्पेस या हवाई अड्डों के संवेदनशील क्षेत्रों में एक्सेस मिलता है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न बन जाता है।
क्या हमें यह सुनिश्चित नहीं करना चाहिए कि जिन लोगों को ऐसे महत्वपूर्ण ज़ोन में पहुंच मिल रही है, उनका पृष्ठभूमि पूरी तरह साफ और भारत के लिए भरोसेमंद हो?
Turkey: इस पूरे मामले से यह सवाल उठता है कि क्या भारत को अपनी एयरपोर्ट ऑपरेशन्स और रक्षा-संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों की भागीदारी पर दोबारा विचार नहीं करना चाहिए?
यह समय है जब देश को न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करनी है, बल्कि अपने रणनीतिक इंफ्रास्ट्रक्चर की भी निगरानी और सुरक्षा के उपायों को और सख्त बनाना होगा।