Saturday, September 6, 2025

ट्रंप की बदलती रणनीति से हिलता पश्चिम, एशिया में शक्ति संतुलन की नई तस्वीर

भारत और जापान अमेरिका से रिश्ते बिगाड़ना नहीं चाहते, लेकिन वे पश्चिमी यूरोप जैसी अधीन स्थिति में भी नहीं जाना चाहते।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

हाल की एक बैठक में पश्चिम यूरोप के राष्ट्राध्यक्षों और ट्रंप की मुलाकात चर्चा का विषय बनी, जहां ट्रंप हेडमास्टर जैसी मुद्रा में बैठे और बाकी नेता अधीनस्थ से दिखाई दिए।

यह दृश्य इसलिए और उल्लेखनीय बन गया क्योंकि अफ्रीकी राष्ट्राध्यक्षों के साथ ट्रंप ने ऐसा व्यवहार कभी नहीं किया।

जब अफ्रीकी नेता अमेरिका आए थे तो सभी लोग बराबरी से ओवल टेबल के चारों ओर बैठे थे।

लेकिन यूरोप के साथ उनके रुख ने साफ कर दिया कि मुफ्त सुरक्षा का युग समाप्त हो चुका है।

पश्चिमी यूरोप की निर्भरता और अमेरिकी दबाव

अमेरिका अब पश्चिमी यूरोप को खुलकर संदेश दे रहा है कि सुरक्षा के नाम पर मुफ्तखोरी नहीं चलेगी। अधिकांश देश जो अपनी सुरक्षा खुद करते हैं।

वे अपने बजट का बड़ा हिस्सा रक्षा पर खर्च करते हैं, लेकिन यूरोप ने दशकों तक इस जिम्मेदारी को अमेरिका पर छोड़ दिया।

अब जब अमेरिका जान गया है कि पश्चिमी यूरोप किसी जवाबी स्थिति में नहीं है, वह नई शर्तें थोप रहा है।

इसमें निवेश बढ़ाना, अमेरिकी तरल गैस खरीदना और अपने बाज़ारों को अमेरिकी हित में खोलना शामिल है।

नतीजा यह है कि सदियों से दुनिया पर दबदबा बनाए रखने वाला पश्चिम अब कमजोर पड़ता जा रहा है।

संप्रभुता और अस्तित्व का संकट

पश्चिमी यूरोप के सामने अब दो विकल्प हैं। पहला, अमेरिका से अलग होकर अपनी सुरक्षा खुद करना और इसके चलते अपने इंफ्रास्ट्रक्चर व कल्याणकारी योजनाओं पर कटौती सहना, जिससे भविष्य में विद्रोह की स्थिति पैदा हो सकती है।

दूसरा, लगातार अमेरिका के सामने झुकते रहना और धीरे-धीरे अपनी संप्रभुता खो देना।

इन दोनों स्थितियों का अंतिम निष्कर्ष यही है कि देर-सबेर सबको अपनी सुरक्षा खुद करनी पड़ेगी।

यह प्रक्रिया अमेरिका और यूरोप के गठबंधन को कमजोर करती जाएगी और वैश्विक शक्ति संतुलन एशिया की ओर खिसकता चला जाएगा।

एशिया का उभार और संभावनाएं

दुनिया का केंद्र अब पश्चिम से एशिया की ओर बढ़ रहा है। जापान लंबे समय से चीन के विरोध में अमेरिका का सहयोगी रहा है, लेकिन वह भी एशिया का हिस्सा और एक बड़ी आर्थिक शक्ति है।

चीन, रूस और भारत पहले से ही क्षेत्रफल, जनसंख्या और अर्थव्यवस्था के पैमाने पर महाशक्ति हैं।

आज यह कल्पना कठिन है, लेकिन अगर भारत और चीन अपने रिश्ते सुधार सकते हैं तो भविष्य में जापान और चीन भी ऐसा कर सकते हैं।

अगर अमेरिका लगातार रणनीतिक भूलें करता रहा, तो एशिया की एकजुटता की संभावना और मजबूत हो जाएगी।

ट्रंप की रणनीति और उसका प्रभाव

ट्रंप की नीतियां अभी भले ही दुनिया को खतरे जैसी लगती हों, लेकिन लंबी अवधि में ये सभी को आत्मनिर्भर बनाकर फायदे का कारण बन सकती हैं।

ट्रंप के सत्ता में आते ही कहा गया था कि वह सबको अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाएंगे और अब वही परिदृश्य बनता दिख रहा है।

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप दरअसल एक श्वेत ईसाई सुपरमेसिस्ट हैं जो जानबूझकर यह सब कर रहे हैं।

पश्चिमी यूरोप अमेरिकी सुरक्षा कवच में इतना आरामतलब हो चुका है कि उसका युद्ध लड़ने का उत्साह खत्म हो गया है। प्रवासियों का दबाव और सांस्कृतिक संकट इसे और गहरा कर रहे हैं।

भारत की स्थिति और संदेश

भारत ने चीन के साथ खड़ा होकर और मीडिया में चीनी गुट के प्रभाव का इस्तेमाल करके अमेरिका को मजबूत संदेश दिया है।

हालांकि भारत चीन के साथ नहीं जाना चाहता, लेकिन वह यह साफ बता रहा है कि अगर उसकी संप्रभुता को चुनौती दी गई तो वह अमेरिका के वैश्विक नेतृत्व को चुनौती देने की स्थिति में है।

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest article