अब जल्द ही भारत में एआई के इस्तेमाल को लेकर कानून आ सकता है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कांग्रेस सांसद अदूर प्रकाश के एआई पर कानून को लेकर पूछे गए सवाल पर एक अहम बयान दिया है। वैष्णव का कहना है कि अगर समाज और सदन सहमति दे तो एआई के इस्तेमाल को लेकर कानून लाने को सरकार तैयार है।
दुनियाभर में एआई से हो रहे नुकसान और खतरे की चर्चा जोरो पर है। इसलिए कई देशो ने इसके लिए नियम-कानून बनाना शुरू कर दिया है। भारत भी इस दिशा में सक्रिय है। इसी को लेकर बुधवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि यदि सदन और समाज सहमत हो तो हम एआई के इस्तेमाल के लिए कानून बना सकते हैं। इसके लिए बस आम सहमति की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण में विश्वास करती है।
37 से अधिक देशों में एआई के इस्तेमाल को लेकर कानून
बता दें कि अब तक सिंगापुर,चीन, कनाडा जैसे 37 से अधिक देशों ने पारदर्शिता, डेटा सुरक्षा और ह्यूमन राइट्स की रक्षा के लिए एआई गवर्नेंस फ्रेमवर्क तैयार किए हैं। जहा एक तरफ चीन ने डीपफेक सामग्री की पहचान अनिवार्य की है,वहीँ दूसरी तरफ अमेरिका और कनाडा ने डेटा प्राइवेसी और नैतिकता पर जोर दिया है। भारत में भी इस मुद्दे पर कानूनी सिफारिशें करने के लिए टास्क फोर्स बनी है।
इसी के साथ कुछ समय पहले प्रधानमंत्री मोदी ने भी बिल गेट्स से बातचीत के दौरान डीपफेक वीडियोस पर चिंता जताते हुए AI जनरेटेड चीज़ो पर वॉटरमार्क लगाने का सुझाव दिया था। ताकि लोगों को सच्चे और झूठे के बिच फर्क पता चल सके।
AI के इस्तेमाल को लेकर कानून से पहले स्पैम मैसेज पर लगेगी रोक
इस सिस्टम को लागू करने का उद्देश्य स्पैम को रोकना और उपयोगकर्ता तक पहुंचने वाले प्रत्येक कमर्शियल संदेश की पूरी श्रृंखला को स्पष्ट करना है। यह नियम ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने में भी मदद करता है। ट्राई के मुताबिक, कमर्शियल मैसेज भेजने वाले 90% ऑपरेटर्स ने अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है। 120 करोड़ मोबाइल यूजर्स को होगा फायद।