तेजस्वी यादव का सीमांचल मिशन: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार सीमांचल क्षेत्र (कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया और अररिया) सियासी मुकाबले का केंद्र बन गया है।
कुल 24 सीटों वाले इस इलाके में मुस्लिम और पिछड़े वर्गों की बड़ी आबादी है, जो किसी भी दल की किस्मत बदलने की ताकत रखते हैं।
यही वजह है कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव इस बार सीमांचल पर पहले से कहीं ज्यादा फोकस कर रहे हैं।
AIMIM से पिछली बार को झटका, अब वोट बैंक पर पकड़ की कोशिश
तेजस्वी यादव का सीमांचल मिशन: 2020 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने सीमांचल की सियासत में अप्रत्याशित सेंध लगाई थी।
ओवैसी की पार्टी ने यहां की पांच सीटों पर जीत हासिल कर महागठबंधन को बड़ा नुकसान पहुंचाया था।
तेजस्वी यादव अब उस गलती को दोहराना नहीं चाहते। इसलिए उन्होंने सीमांचल के अल्पसंख्यक वोट बैंक को फिर से साधने के लिए खास रणनीति तैयार की है।
उनका सीधा लक्ष्य ओवैसी की पार्टी को ‘वोट कटवा’ साबित करना है।
कटिहार की रैली में तेजस्वी का तेवर
तेजस्वी यादव का सीमांचल मिशन: कटिहार जिले की प्राणपुर विधानसभा सीट से आरजेडी उम्मीदवार इशरत परवीन के समर्थन में तेजस्वी यादव ने आजमनगर मैदान में बड़ी सभा की।
यहां उन्होंने भाजपा और ओवैसी, दोनों पर तीखा हमला बोला।
तेजस्वी ने कहा, “बीजेपी जो वक्फ बिल मुस्लिम समाज की मर्जी के खिलाफ लाई है, हमारी सरकार आने पर उसे कूड़ेदान में फेंक देंगे।”
उनका यह बयान साफ संकेत देता है कि इस बार सीमांचल में आरजेडी का प्रचार मुस्लिम असंतोष और वक्फ संपत्ति के मुद्दे पर केंद्रित रहेगा।
ओवैसी पर सीधा हमला: ‘वोट कटवा पार्टी’
तेजस्वी यादव का सीमांचल मिशन: तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में ओवैसी को भाजपा का परोक्ष सहयोगी बताते हुए कहा कि AIMIM की वजह से ही पिछले चुनाव में महागठबंधन को सीमांचल में हार झेलनी पड़ी थी।
उन्होंने जनता से अपील की कि वोटों का बंटवारा न होने दें, क्योंकि इससे केवल बीजेपी को फायदा होगा।
इस बयान से साफ है कि तेजस्वी इस बार सीमांचल में एम-वाई समीकरण (मुस्लिम-यादव गठजोड़) को फिर से मजबूत करने की पूरी कोशिश में हैं।
सीमांचल का गणित: मुस्लिम आबादी 47% तक
तेजस्वी यादव का सीमांचल मिशन: किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जिलों में मुस्लिम आबादी 40 से 70 प्रतिशत तक है। यादव और अत्यंत पिछड़ा वर्ग भी इस क्षेत्र के प्रभावशाली मतदाता हैं।
राजनीतिक रूप से यह इलाका कभी किसी एक दल के कब्जे में नहीं रहा। कभी कांग्रेस, कभी आरजेडी तो कभी एनडीए ने यहां बढ़त बनाई। मगर मुस्लिम वोटों की एकजुटता हमेशा से चुनावी समीकरण तय करती रही है।
2020 के परिणामों से सबक
तेजस्वी यादव का सीमांचल मिशन: पिछले विधानसभा चुनाव में सीमांचल की 24 सीटों में से एनडीए ने 12, महागठबंधन ने 7 और AIMIM ने 5 सीटें जीती थीं। ओवैसी के प्रवेश ने यहां का पूरा सियासी संतुलन बदल दिया था।
तेजस्वी यादव अब इस गणित को पलटने की कोशिश में हैं ताकि सीमांचल से ही राज्य की सत्ता तक पहुंचने का रास्ता खोला जा सके।
सीमांचल की जनता तय करेगी बिहार का भविष्य
तेजस्वी यादव का सीमांचल मिशन: सीमांचल अब केवल एक क्षेत्र नहीं रहा, बल्कि बिहार की सत्ता की चाबी बन चुका है।
तेजस्वी यादव का यह मिशन साफ दिखाता है कि आरजेडी मुस्लिम वोट बैंक को साधने और ओवैसी की सेंधमारी रोकने के लिए हर संभव दांव खेल रही है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार तेजस्वी अपने ‘मिशन सीमांचल’ में सफल हो पाएंगे, या ओवैसी एक बार फिर बिहार की राजनीति का खेल बिगाड़ देंगे।

