Sports: देश का प्रतिनिधत्व करने के साथ ही मेडल दिलाने वाले खिलाड़ी गांव के खेतों में ओलंपिक की तैयारी कर रहे हैं। जी हां उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के रधिया देवरिया गांव के तालाब में ही गांव के बेटे-बेटियां ओलिंपिक की तैयारी कर रहे हैं।
Sports तालाब में करते है प्रैक्टिस
गांव में संसाधनों के अभाव के बीच युवा खिलाड़ी तालाब को ही स्विमिंग पूल बना चुके है। नेशनल खेल चुकी सौम्या, अंकिता और प्रियंका का कहना है कि हम लोगों का अब यही सपना है की हम ओलिंपिक में अपने देश के लिए खेलें और तैराकी में मेडल लाएं। खिलाड़ियों ने बताया की हम रोज सुबह-सुबह तालाब पहुंच जाते हैं और 4 घंटे तालाब में प्रैक्टिस करते है।
1985 में हुई शुरूआत
गांव में तैराकी की शुरुआत साल 1985 में हुई, जब गांव के भूपेंद्र उपाध्याय ने इस तालाब में तैराकी सीखी और पूर्वोत्तर रेलवे के कोच बन गए। इसके बाद गांव के युवाओं में जोश भर गया और वो तैराक बनने के लिए गांव के तालाब में ही प्रैक्टिस करने लगे। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि गांव का तालाब ही खिलाड़ियों के लिए स्वीमिंग पूल बन गया। तैराकी के वजह से 50 से ज्यादा युवक और युवती सरकारी नौकरी कर रहे हैं।
नेशनल लेवल पर सौम्या कांस्य पदक जीत चुकी है तो, राष्ट्रीय सब जूनियर तैराकी में अजीत ने 50 मीटर बटरफ्लाई में गोल्ड जीत चुके हैं। बता दें कि पेरिस पैरालिंपिक में भारत ने कुल 29 मेडल जीते जिसमें 7 गोल्ड, 9 सिल्वर और 13 ब्रोंज शामिल है। इसी के साथ भारत मेडल की लिस्ट में 18वें स्थान पर आ चूका है। पेरिस पैरालिंपिक में 84 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिय़ा था।