Monday, December 1, 2025

सोनिया गाँधी की मीटिंग से गायब शशि थरूर, 2 हफ्ते में कांग्रेस की दो बैठक से रहे दूर, क्या शशि थरूर पार्टी छोड़ देंगे?

सोनिया गाँधी की मीटिंग से गायब शशि थरूर: संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से कुछ ही दिन पहले कॉन्ग्रेस पार्टी के भीतर फिर से हलचल दिखाई देने लगी है।

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सोमवार को सोनिया गाँधी के आवास पर पार्टी के स्ट्रेटजी ग्रुप की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

लेकिन तिरुवनंतपुरम से सांसद और पार्टी के प्रमुख चेहरे शशि थरूर इस अहम चर्चा से गायब रहे।

यह पिछले दो हफ्तों में दूसरी बार है, जब थरूर किसी महत्वपूर्ण कॉन्ग्रेस बैठक में नहीं दिखे।

क्या थरूर कॉन्ग्रेस नेतृत्व से दूरी बना रहे हैं?

सोनिया गाँधी की मीटिंग से गायब शशि थरूर: थरूर की लगातार गैर-मौजूदगी ने अंदरूनी राजनीति को और तेज कर दिया है। चर्चाओं का केंद्र यही है कि क्या वह धीरे-धीरे कॉन्ग्रेस नेतृत्व से दूरी बना रहे हैं?

कुछ नेताओं का मानना है कि यह थरूर की “पॉलिटीकल स्टैंड” का संकेत हो सकता है, जबकि कुछ इसे केवल परिस्थितिजन्य अनुपस्थिति बता रहे हैं।

थरूर माँ के साथ केरल में, चुनाव प्रचार में व्यस्त

सोनिया गाँधी की मीटिंग से गायब शशि थरूर: थरूर की टीम ने स्पष्ट किया कि वह इन दिनों केरल में अपनी 90 वर्षीय माँ के साथ समय बिता रहे हैं और स्थानीय निकाय चुनाव के प्रचार में भी व्यस्त हैं।

इसी कारण वह दिल्ली की बैठक में शामिल नहीं हो सके। दिलचस्प यह है कि चुनावी व्यस्तता के चलते संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल भी बैठक में नहीं पहुँचे।

बावजूद इसके, केरल के सीनियर नेता के. सुरेश की मौजूदगी ने थरूर की गैर-मौजूदगी को और चर्चित बना दिया है।

इससे पहले SIR बैठक में भी नहीं पहुँचे थे थरूर

सोनिया गाँधी की मीटिंग से गायब शशि थरूर: 18 नवंबर को मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) पर बुलाई गई एक महत्वपूर्ण बैठक में भी थरूर शामिल नहीं हुए थे।

उस समय स्वास्थ्य खराब होने का कारण बताया गया था। लेकिन उसी दिन वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक कार्यक्रम में दिखाई दिए थे और बाद में उन्होंने पीएम मोदी के भाषण की सोशल मीडिया पर तारीफ भी की थी।

इसी वजह से कॉन्ग्रेस के अंदर अब उनके हर कदम को संदेह की नजर से देखा जा रहा है।

शीतकालीन सत्र में थरूर की भूमिका पर नजरें टिकीं

सोनिया गाँधी की मीटिंग से गायब शशि थरूर: पार्टी के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि यह शीतकालीन सत्र बेहद अहम है। कॉन्ग्रेस बेरोजगारी, महँगाई, अर्थव्यवस्था और SIR जैसे मुद्दों पर सरकार से कड़े सवाल पूछने की तैयारी में है।

ऐसे में शशि थरूर की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। राजनीतिक विश्लेषक अब यह देखने के इंतज़ार में हैं कि थरूर सत्र के दौरान पार्टी की लाइन के साथ मजबूती से खड़े दिखेंगे या उनकी चुप्पी किसी नए राजनीतिक संकेत का रास्ता खोलेगी।

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