Shalini Devi Holkar: शालिनी देवी होल्कर भारत की हथकरघा परंपरा की एक सशक्त प्रवक्ता हैं, जिन्होंने महेश्वरी वस्त्रों को नया जीवन दिया और महिला बुनकरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जीवन समर्पित कर दिया। उनके इन्हीं सराहनीय कार्यों के चलते 2025 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
उनकी अद्वितीय सेवाओं के लिए उन्हें हस्तशिल्प एवं हथकरघा क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
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विदेश में जन्म, भारत में संस्कार
Shalini Devi Holkar: 11 अगस्त 1945 को अमेरिका में जन्मी शालिनी देवी ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की, जहाँ उन्होंने कला, संस्कृति और इतिहास के प्रति गहरी रुचि विकसित की।
इंदौर के होल्कर शाही परिवार में विवाह के बाद उनका परिचय महेश्वरी बुनाई की समृद्ध परंपरा से हुआ।
REHWA सोसाइटी की स्थापना
Shalini Devi Holkar: 1978 में उन्होंने महेश्वर, मध्यप्रदेश में REHWA Society की स्थापना की, जिसका उद्देश्य महेश्वरी बुनाई उद्योग को पुनर्जीवित करना और बुनकरों को स्थायी आजीविका प्रदान करना था।
उनके नेतृत्व में सैकड़ों बुनकरों को प्रशिक्षण मिला, नए डिज़ाइन विकसित हुए और भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में महेश्वरी वस्त्रों की पहचान बनी।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम
Shalini Devi Holkar: शालिनी देवी ने महिला बुनकरों को आर्थिक स्वतंत्रता दिलाने के लिए कई सामाजिक पहलें शुरू कीं, जिनमें बुनकरों के लिए आवास कॉलोनी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ शामिल हैं।
उन्होंने “देवी अहिल्याबाई बाल ज्योति स्कूल” की भी स्थापना की, जहाँ बुनकर समुदाय के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है।
Women Weave Charitable Trust की नींव
Shalini Devi Holkar: 2003 में उन्होंने Women Weave Charitable Trust की स्थापना की, जिसका उद्देश्य गैर-बुनकर पृष्ठभूमि की महिलाओं को हथकरघा उद्योग में रोजगार देना था।
यह संस्था खादी और प्राकृतिक रंगों में समकालीन डिज़ाइन पर काम करती है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय हथकरघा को पहचान दिला रही है।