पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एक बार फिर विवादों में हैं। मिस्र में हुई गाज़ा शांति सम्मेलन के दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इतनी तारीफ की कि अब पूरा पाकिस्तान उन्हें “ट्रंप भक्त” कहकर ट्रोल कर रहा है।
सोशल मीडिया पर यूजर्स ने लिखा कि “अगर चापलूसी के लिए नोबेल अवॉर्ड होता, तो शहबाज शरीफ उसके सबसे बड़े हकदार होते।”
पर सवाल ये है कि आखिर शहबाज शरीफ को अमेरिका की इतनी परवाह क्यों है? आइए समझते हैं, इसके पीछे की 5 बड़ी वजहें।
कंगाली में डूबे पाकिस्तान को चाहिए अमेरिका की आर्थिक बैसाखी
पाकिस्तान इस समय भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है। विदेशी कर्ज़, बढ़ती महंगाई और डूबती अर्थव्यवस्था के बीच शहबाज शरीफ को उम्मीद है कि अमेरिका उसे इस दलदल से बाहर निकालेगा।
इसी वजह से पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के पसनी बंदरगाह को अमेरिका को विकसित करने का प्रस्ताव दिया है। यह वही इलाका है जहां बड़े पैमाने पर सोने और अन्य खनिज संसाधनों की खुदाई की संभावना है।
अमेरिका को पसनी में दिलचस्पी इसलिए भी है क्योंकि यह चीन द्वारा संचालित ग्वादर पोर्ट से सिर्फ 110 किलोमीटर की दूरी पर है।
सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी कंपनी यूएस स्ट्रैटेजिक मेटल्स ने पाकिस्तानी सेना की कंपनी फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन (FWO) के साथ 500 मिलियन डॉलर की डील भी साइन की है।
बाइडन सरकार से बिगड़े रिश्ते सुधारने की कोशिश
ट्रंप के समय अमेरिका और पाकिस्तान के बीच रिश्ते कुछ हद तक सामान्य थे, लेकिन जो बाइडन के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच दूरी बढ़ गई। बाइडन प्रशासन पाकिस्तान की आतंकवाद-समर्थक नीतियों से नाराज़ था।
इमरान खान के शासनकाल में तो संबंध इतने खराब हो गए कि खान ने खुद कहा था कि “अमेरिका ने मेरी सरकार गिराई”।
अब शहबाज शरीफ उसी दरार को भरने की कोशिश कर रहे हैं ताकि अमेरिका फिर से पाकिस्तान को ‘पसंदीदा सहयोगी’ के रूप में देखे।
हथियारों और सैन्य समर्थन की उम्मीद
भारत के खिलाफ हुए ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के बाद पाकिस्तान को युद्धविराम कराने के लिए ट्रंप की मध्यस्थता का फायदा मिला। इसके बाद पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर ने ट्रंप से मुलाकात की और अब शरीफ भी उनसे बार-बार संपर्क में हैं।
पाकिस्तान को उम्मीद है कि किसी संभावित युद्ध में अमेरिका उसे आधुनिक हथियारों और मिसाइलों से मदद करेगा।
अभी हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को AIM-120 AMRAAM मिसाइल देने की योजना बनाई है — ये वही मिसाइलें हैं जो हवा में उड़ते हुए दुश्मन के विमान को 100 किमी दूर से गिरा सकती हैं।
भारत पर दबाव और कश्मीर मुद्दे की राजनीति
पाकिस्तान लंबे समय से अमेरिका के जरिए भारत पर दबाव बनाना चाहता है।
कश्मीर पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने एक बार मध्यस्थता की पेशकश की थी। उसी बयान ने पाकिस्तान की उम्मीदें और बढ़ा दीं।
पाकिस्तान की कोशिश रहती है कि अमेरिका के जरिए भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरा जाए। इसके साथ ही, अमेरिका से मिलने वाले एफ-16 और एडवांस मिसाइल सिस्टम को वह भारत के खिलाफ ताकत के रूप में देखता है।
याद रहे, 2019 बालाकोट स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने भारतीय मिग-21 को गिराने के लिए ऐसी ही अमेरिकी मिसाइल का इस्तेमाल किया था।
चीन की नजदीकी के बावजूद अमेरिका को नाराज नहीं करना चाहता पाकिस्तान
वर्तमान पाकिस्तानी सत्ता का असली केंद्र प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि सेना प्रमुख असीम मुनीर हैं। यह “हाइब्रिड सरकार” हर तरफ संतुलन साधने की कोशिश कर रही है — एक तरफ चीन से अरबों डॉलर का निवेश, तो दूसरी ओर अमेरिका को खुश रखने की नीति।
पाकिस्तान जानता है कि अगर वह चीन के बहुत करीब जाएगा, तो अमेरिका नाराज हो सकता है। इसलिए वह दोनों के बीच ‘डबल गेम’ खेल रहा है। चीन से पैसे लेकर विकास की बात और अमेरिका को बंदरगाह देकर रणनीतिक संतुलन।
अमेरिका पाकिस्तान की मजबूरी है, पसंद नहीं
शहबाज शरीफ की ट्रंप प्रशंसा भले ही सोशल मीडिया पर मजाक बन गई हो, लेकिन यह पाकिस्तान की असली हकीकत उजागर करती है।
देश आर्थिक रूप से दिवालिया, राजनीतिक रूप से अस्थिर और सैन्य रूप से असुरक्षित है।
ऐसे में अमेरिका का सहयोग पाकिस्तान के लिए सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि जीवित रहने की मजबूरी बन चुका है।