Ram Mandir Dhwajarohan: अयोध्या में वह ऐतिहासिक क्षण उतर आया है जिसका इंतजार करोड़ों श्रद्धालु वर्षों से कर रहे थे।
राम मंदिर अब अपने संपूर्ण स्वरूप में खड़ा है और इसके शिखर पर धर्मध्वज फहराया जा चुका है।
यह केसरिया ध्वज सिर्फ कपड़े का टुकड़ा नहीं, बल्कि उस विश्वास और गौरव का प्रतीक है जिसे अयोध्या सदियों से संजोए हुए है।
भव्य मंदिर के शिखर से लहराता यह पावन ध्वज आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक ऐतिहासिक निशानी बनेगा।
इसी बीच एक सवाल फिर चर्चा में है कि राम मंदिर का असली मालिक कौन है और यहां आने वाली दान राशि किसके पास जाती है।
Ram Mandir Dhwajarohan: रामलला हैं असली मालिक
अयोध्या का राम मंदिर दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक स्थलों में से एक है और यहां हर दिन लाखों भक्त पहुंचते हैं।
मंदिर की कानूनी स्थिति को लेकर लंबे समय तक विवाद रहा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में अपने ऐतिहासिक फैसले के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया कि राम जन्मभूमि की भूमि का असली मालिक रामलला विराजमान हैं,
यानी भगवान राम के बाल स्वरूप को ही इस भूमि का वैध स्वामी माना गया। अदालत ने यह निष्कर्ष ऐतिहासिक साक्ष्यों, पुरातात्विक रिपोर्टों, धार्मिक ग्रंथों और सदियों से चली आ रही परंपराओं को ध्यान में रखते हुए निकाला।
कोर्ट का यह निर्णय न सिर्फ कानूनी तौर पर महत्वपूर्ण था, बल्कि इससे हिंदू समाज की आस्था को भी मान्यता मिली।
ट्रस्ट में 15 लोग शामिल
रामलला भले ही मंदिर के आधिकारिक कानूनी मालिक हैं, लेकिन मंदिर का प्रबंधन और विकसित करने की जिम्मेदारी भारत सरकार द्वारा फरवरी 2020 में बनाए गए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के हाथों में है।
इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य शामिल हैं और यही मंदिर के निर्माण, देखरेख, सुरक्षा, वित्तीय संचालन और धार्मिक गतिविधियों से जुड़े सभी निर्णय लेता है।
ट्रस्ट की बैठकें नियमित रूप से होती हैं और मंदिर की व्यवस्था से जुड़े हर बड़े निर्णय पर विस्तृत चर्चा की जाती है।
ट्रस्ट के बैंक खाते में जमा होता पैसा
राम मंदिर में आने वाला दान भी लगातार चर्चा का विषय रहा है। हर दिन हजारों भक्त नकद, चेक, ऑनलाइन भुगतान, सोना-चांदी और अन्य बहुमूल्य वस्तुएं दान के रूप में देते हैं।
मंदिर परिसर में कई दान पात्र और काउंटर बनाए गए हैं, जहां से रसीद जारी की जाती है।
दान पात्रों को खोलने और राशि गिनने की प्रक्रिया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों और ट्रस्ट सदस्यों की मौजूदगी में होती है,
ताकि पारदर्शिता बनी रहे। हर छोटी-बड़ी राशि सीधे ट्रस्ट के बैंक खातों में जमा होती है और उसका पूरा लेखा-जोखा रखा जाता है।
मंदिर निर्माण में लगी धनराशि
मार्च 2023 तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार, ट्रस्ट के विभिन्न खातों में तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा थी, जिनमें से लगभग एक हजार करोड़ रुपये मंदिर निर्माण पर पहले ही खर्च किए जा चुके थे।
शेष धनराशि का उपयोग मंदिर परिसर के विस्तार, भक्तों की सुविधाओं, सुरक्षा व्यवस्थाओं, धार्मिक आयोजनों और आने वाले वर्षों में विकसित होने वाले भव्य तीर्थ क्षेत्र की तैयारियों में किया जा रहा है।
ट्रस्ट ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि दान के हर रुपये का उपयोग ठीक उसी उद्देश्य के लिए किया जाता है जिसके लिए वह प्राप्त हुआ है।
करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाएं जुड़ी
अयोध्या में धर्मध्वज का आरोहण सिर्फ एक धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का उत्सव है।
यह वह क्षण है जिसमें आस्था, परंपरा और इतिहास एक साथ जुड़कर एक नया अध्याय लिख रहे हैं।
रामलला विराजमान के नाम पर स्थापित यह मंदिर न केवल करोड़ों भावनाओं को जोड़ता है बल्कि यह साबित करता है कि विश्वास की शक्ति कितनी अटूट हो सकती है।
राम मंदिर का मालिकाना हक भले ही भगवान राम के नाम है, लेकिन इसके निर्माण, संरक्षण और संचालन में जनता की आस्था, दान और सरकार द्वारा बनाए गए ट्रस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका है।
यह पूरा ढांचा इस तरह तैयार किया गया है कि आने वाला हर भक्त न सिर्फ मंदिर के दिव्य दर्शन करे बल्कि यह भरोसा भी रखे कि उसके द्वारा दिया गया हर दान सही और पवित्र उद्देश्य में उपयोग हो रहा है।

