राम मंदिर ध्वज
25 नवंबर के आयोजन को लेकर अयोध्या में व्यापक हलचल
अयोध्या में 25 नवंबर को होने वाला ध्वजारोहण समारोह राम मंदिर के इतिहास का अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण बनकर सामने आ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत मंदिर के शिखर पर विशेष केसरिया धर्म ध्वज की स्थापना करेंगे।
यह आयोजन न केवल मंदिर पूर्णता का प्रतीक बनेगा बल्कि देश-विदेश में मौजूद करोड़ों राम भक्तों के लिए ऐतिहासिक संदेश लेकर आएगा।

तैयारियाँ कई दिनों से युद्धस्तर पर की जा रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व्यक्तिगत रूप से अयोध्या पहुँचकर तैयारियों की समीक्षा कर चुके हैं।
स्थानीय प्रशासन, मंदिर ट्रस्ट और सुरक्षा एजेंसियाँ सभी विभागों को समन्वित कर इस आयोजन को त्रुटिरहित बनाने में लगी हैं।
अभिजित मुहूर्त में ध्वजारोहण, सेना की रिहर्सल भी पूरी
ध्वज फहराने का मुहूर्त दोपहर 11:55 से 12:10 बजे के बीच निर्धारित किया गया है। यह काल ‘अभिजित मुहूर्त’ माना जाता है, जो शुभता और सफलता का प्रतीक माना जाता है।
ध्वज फहराने की संपूर्ण प्रक्रिया उच्च स्तर की तकनीकी व्यवस्था के तहत संचालित होगी। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने कई बार परीक्षण किया है ताकि निर्धारित क्षण पर हर चरण बिना रुकावट पूरा हो सके।
इस व्यवस्था में सबसे उल्लेखनीय हिस्सा यह है कि बटन दबाने के केवल दस सेकंड के भीतर विशाल ध्वज हवा में फहराने लगेगा।
यह सिस्टम पूरी तरह स्वचालित है और इसके हर हिस्से का परीक्षण विशेषज्ञों द्वारा किया जा चुका है।
विशेष ध्वज: सूर्यवंशीय प्रतीकों से सुसज्जित केसरिया ध्वज
मंदिर के लिए जो केसरिया धर्म ध्वज तैयार किया गया है, वह 22 फुट लंबा और 11 फुट चौड़ा है। इस पर सूर्य, ॐ और कोबिदार वृक्ष अंकित हैं, ये तीनों प्रतीक सूर्यवंश की परंपरा और रामलला की वंशावली से जुड़े माने जाते हैं।
ध्वज की बनावट और रंग इस प्रकार चुने गए हैं कि तेज हवा में भी ध्वज की शान और गरिमा पूरी तरह बनी रहे।
ध्वज फहरते ही अयोध्या और देशभर के मंदिरों में घंट-घड़ियाल बजाने की परंपरा को पुनर्जीवित किया जाएगा।
मंदिर ट्रस्ट ने विभिन्न धार्मिक संस्थानों से अनुष्ठान के दौरान ध्वनि उत्पन्न करने का अनुरोध किया है, ताकि पूरा देश उस क्षण की आध्यात्मिक ऊर्जा को महसूस कर सके।
161 फीट ऊँचा शिखर और 42 फीट का स्तंभ
राम मंदिर का शिखर 161 फीट ऊँचा है, जिस पर 42 फीट का मजबूत स्तंभ स्थापित किया गया है। इसी पर यह विशाल ध्वज लगाया जाएगा।
ध्वज इतना बड़ा है कि धूप और साफ मौसम में इसे लगभग चार किलोमीटर तक आसानी से देखा जा सकेगा। यह दृश्य अयोध्या पहुँचे लाखों श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण बनेगा।
ध्वज को इस तरह डिजाइन किया गया है कि हवा के अधिक प्रवाह के दौरान यह 360 डिग्री घूम सके। इससे मंदिर परिसर से लेकर दूरस्थ क्षेत्रों तक सभी दिशाओं में ध्वज का दर्शन संभव होगा।
ऑटोमेटिक फ्लैग होस्टिंग सिस्टम: परंपरा-तकनीक का संगम
राम मंदिर में स्थापित ऑटोमेटिक फ्लैग होस्टिंग सिस्टम इस समारोह की सबसे उन्नत तकनीकी विशेषता है। यह प्रणाली ध्वज को सुरक्षित, नियंत्रित और निर्धारित गति से ऊपर उठाती है।
भविष्य में जब भी ध्वज बदला जाएगा, इसी सिस्टम की सहायता ली जाएगी।
स्वचालित नियंत्रण व्यवस्था इस कार्यक्रम को बेहद सटीकता देती है, निर्धारित क्षण पर बटन दबते ही दस सेकंड में ध्वज पूर्ण रूप से खुलकर शिखर पर फहरने लगेगा।
मंदिर ट्रस्ट ने इसकी कई बार परीक्षण प्रक्रिया पूरी की है, ताकि समारोह के दिन किसी भी प्रकार की तकनीकी असुविधा न आए।
अतिथियों की उपस्थिति और सुरक्षा व्यवस्था
इस कार्यक्रम में देशभर से छह से आठ हजार विशेष मेहमानों को बुलाया गया है। इनमें संत, विद्वान, जनप्रतिनिधि और विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियाँ शामिल होंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सरसंघचालक डॉ. भागवत, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी उपस्थित रहेंगे।
अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विस्तृत प्लान तैयार किया गया है। पुलिस, पैरामिलिट्री बल और विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) ने संयुक्त रूप से पूरे मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों की सुरक्षा का निरीक्षण किया है।
पूरे देश के लिए लाइव दर्शन की व्यवस्था
ध्वजारोहण की भव्यता को देशभर के भक्तों तक पहुँचाने के लिए अयोध्या के प्रमुख चौराहों पर बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई जा रही है।
दूरदर्शन इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण करेगा, जिससे भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में मौजूद भक्त भी उस क्षण का साक्षात्कार कर सकेंगे।
राम मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष आचार्य गोविंद देवगिरि के अनुसार कार्यक्रम की तैयारियाँ युद्धस्तर पर चल रही हैं और इस आयोजन के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी राम मंदिर निर्माण की पूर्णता का संदेश पूरे विश्व को देंगे।
राष्ट्र के लिए आस्था और पूर्णता का संदेश
ध्वजारोहण का यह क्षण केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि अयोध्या विवाद के लंबे संघर्ष के बाद देश को मिली एक आध्यात्मिक उपलब्धि का प्रतीक बन रहा है।
मंदिर पूर्णता और रामलला की दिव्यता का यह संदेश संपूर्ण राष्ट्र की सांस्कृतिक स्मृति में दर्ज होने जा रहा है।
यह आयोजन अयोध्या को नए युग की शुरुआत के रूप में स्थापित करेगा, जहां धर्म, इतिहास और आधुनिक तकनीक मिलकर एक अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करेंगे।

