कांग्रेस नेता और नेता विपक्ष राहुल गाँधी एक बार फिर विदेश यात्रा के दौरान भारत के लोकतंत्र को ‘खतरे में’ बताते नज़र आए।
इस बार मंच था लैटिन अमेरिकी देश कोलंबिया का ईआईए विश्वविद्यालय, जहाँ छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में लोकतांत्रिक ढाँचे पर गंभीर हमला हो रहा है।
राहुल गाँधी की यह शैली नई नहीं है। अमेरिका, लंदन, बहरीन, मलेशिया और सिंगापुर जैसे देशों से भी वह पहले कई बार ऐसे ही आरोप लगा चुके हैं।
विदेश में जाकर भारत की छवि पर सवाल उठाना उनकी राजनीतिक पहचान का अहम हिस्सा बन चुका है।
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‘लोकतंत्र पर हमला सबसे बड़ा खतरा’, राहुल गाँधी
अपने भाषण में राहुल गाँधी ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहाँ विविधता और संवाद ही लोकतंत्र की असली ताकत है। लेकिन मौजूदा समय में लोकतांत्रिक व्यवस्था पर व्यापक हमले हो रहे हैं और यही भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
उन्होंने मोदी सरकार पर संस्थाओं को कमजोर करने, सत्ता को केंद्रीकृत करने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
राहुल ने दावा किया कि कुछ कंपनियाँ पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था पर क़ब्ज़ा कर चुकी हैं और इनका सीधा संबंध प्रधानमंत्री से है।
बीजेपी ने दिया करारा जवाब, परिवारवाद ही लोकतंत्र का सबसे बड़ा दुश्मन
राहुल गाँधी के बयानों पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि राहुल गाँधी विदेश में जाकर भारत को बदनाम कर रहे हैं और उनका रिमोट कंट्रोल विदेशी ताक़तों के हाथ में है।
बीजेपी का कहना है कि जब परिवारवाद की राजनीति करने वाले राहुल लोकतंत्र की बात करते हैं तो देश को आपातकाल का काला दौर याद आता है, जब इंदिरा गाँधी ने संविधान और नागरिक अधिकारों को रौंद दिया था।
लोकतंत्र की दुहाई कोलंबिया से क्यों?
दिलचस्प तथ्य यह है कि जिस कोलंबिया से राहुल गाँधी लोकतंत्र पर भाषण दे रहे थे, वहाँ कभी स्थिर लोकतांत्रिक व्यवस्था पनप ही नहीं सकी।
यह देश लंबे समय तक ड्रग माफियाओं, गृहयुद्ध और अस्थिर राजनीति का शिकार रहा है।
ऐसे में वहाँ से भारत के लोकतंत्र को नसीहत देना क्या भारत विरोधी अजेंडे का हिस्सा नहीं है?
पहले भी उठे हैं ऐसे सवाल
राहुल गाँधी ने इससे पहले भी विदेशी धरती से भारत को लेकर कई विवादित बयान दिए।
2024, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय: लोकतंत्र पर हमले का आरोप।
2022, लंदन: कहा भारत की आत्मा पर हमला हो रहा है, संस्थाओं का दुरुपयोग हो रहा है।
2018, बहरीन: मोदी सरकार पर नफरत फैलाने का आरोप।
2017, कैलिफ़ोर्निया: प्रधानमंत्री पर केवल शीर्ष कंपनियों को लाभ पहुँचाने का आरोप।
हर बार विदेश जाकर उन्होंने भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने को कमजोर बताया, जबकि देश में उन्हें संविधान के तहत नेता विपक्ष का पद, सुरक्षा और तमाम सुविधाएँ मिली हुई हैं।
पाकिस्तान को क्यों भाते हैं राहुल के बयान?
विशेषज्ञों का मानना है कि राहुल गाँधी की भाषा और तर्क अक्सर पाकिस्तान की मीडिया में सुर्खियाँ बनते हैं।
वहाँ उन्हें भारत विरोधी आवाज़ के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। उनके बयान पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा को बल देते हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को बार-बार सफाई देनी पड़ती है।
विपक्ष के नाम पर विदेशी मंच पर भारत की छवि ख़राब करते राहुल
लोकतंत्र में आलोचना और सवाल उठाना स्वाभाविक है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह काम विदेशी मंचों से होना चाहिए?
भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में जाना जाता है। ऐसे में जब नेता विपक्ष ही अंतरराष्ट्रीय मंचों से उसकी नींव पर सवाल उठाते हैं, तो यह विरोध सिर्फ़ मोदी सरकार का नहीं बल्कि पूरे देश की छवि को प्रभावित करता है।