Monday, October 13, 2025

राहुल गाँधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका: ‘वोट चोरी’ मामले में SIT जाँच की माँग ठुकराई, कोर्ट बोला “शिकायत चुनाव आयोग के पास ले जाएँ”

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (13 अक्टूबर 2025) को कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गाँधी से जुड़ी उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 2024 के लोकसभा चुनाव में कथित ‘वोट चोरी’ की जाँच के लिए विशेष जाँच दल (SIT) बनाने की माँग की गई थी।

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यह याचिका अधिवक्ता रोहित पांडे ने दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र के मतदाता सूची में हेरफेर की गई थी।

राहुल गाँधी ने भी चुनावों के दौरान इसी मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाया था, विशेष रूप से महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में गड़बड़ी के दावे किए थे।

हालाँकि, बाद में चुनाव आयोग (ECI) ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया था।

“ऐसे मामलों में अधिकार केवल चुनाव आयोग का”- कोर्ट

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया और साफ कहा कि इस तरह के मामलों में जांच का अधिकार केवल चुनाव आयोग के पास है।

कोर्ट ने कहा,“ऐसे मामलों में जाँच कराने या कार्रवाई करने का अधिकार चुनाव आयोग को है। यदि किसी को मतदाता सूची में गड़बड़ी का संदेह है, तो उसे अपनी शिकायत आयोग के समक्ष प्रस्तुत करनी चाहिए।”

न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव प्रक्रिया या परिणामों से जुड़े मामलों में सीधा न्यायिक हस्तक्षेप संभव नहीं है।

राहुल गाँधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस बनी थी आधार

याचिकाकर्ता रोहित पांडे ने अपनी दलील में राहुल गाँधी की 7 अगस्त 2024 को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बेंगलुरु सेंट्रल में बड़ी संख्या में नकली मतदाताओं के नाम जोड़े गए हैं।

पांडे ने दावा किया कि उन्होंने स्वतंत्र रूप से इन आरोपों की जाँच की और कुछ ऐसे सबूत मिले जो मतदाता सूची में गड़बड़ी की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने कोर्ट से यह भी माँग की थी कि इन सूचियों का स्वतंत्र ऑडिट कराया जाए और तब तक उनमें कोई संशोधन न किया जाए।

जनहित याचिका के दायरे से बाहर मामला

सुप्रीम कोर्ट ने पांडे की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि इस प्रकार के मुद्दे जनहित याचिका (PIL) के अंतर्गत नहीं आते। अदालत ने यह भी माना कि याचिकाकर्ता पहले ही अपनी शिकायत चुनाव आयोग को दे चुके हैं, लेकिन वहाँ से अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

फिर भी कोर्ट ने चुनाव आयोग को कोई समय सीमा तय करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा “हम इस याचिका पर आगे विचार नहीं करना चाहते। याचिकाकर्ता यदि चाहें तो अपनी शिकायत फिर से चुनाव आयोग के समक्ष रख सकते हैं।”

‘वोट चोरी’ पर कांग्रेस के आरोप

पिछले कुछ महीनों में राहुल गाँधी और कांग्रेस पार्टी ने ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। उनका आरोप था कि बेंगलुरु सेंट्रल क्षेत्र में मतदाता सूचियों में धांधली कर भाजपा को लाभ पहुँचाया गया।

इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में भारी हलचल मच गई थी और मामला अदालत तक जा पहुँचा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से SIT जाँच की संभावना खत्म

अब सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद राहुल गाँधी के आरोपों की SIT जाँच की सारी संभावना समाप्त हो गई है।

अदालत ने साफ संकेत दिया है कि चुनावी मामलों में हस्तक्षेप केवल चुनाव आयोग के दायरे में आता है।

इस निर्णय के बाद अब याचिकाकर्ता रोहित पांडे के पास एकमात्र विकल्प बचा है— चुनाव आयोग के समक्ष अपनी शिकायत को और मजबूती से रखना।

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