Pt. Tejendra Narayan Majumdar: भारतीय शास्त्रीय संगीत की सरोद परंपरा के शीर्षस्थ प्रतिनिधि पंडित तेजेन्द्र नारायण मजूमदार को वर्ष 2025 में भारत सरकार द्वारा ‘पद्म श्री’ सम्मान से नवाजा गया।
यह सम्मान उनके उस समर्पण, नवाचार और वैश्विक संगीत मंच पर भारतीय सरोद को गौरव दिलाने के लिए दिया गया, जो उन्होंने पांच दशकों में अपने संगीत सफर के माध्यम से अर्जित किया।
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Pt. Tejendra Narayan Majumdar: संगीत यात्रा की शुरुआत और गुरुओं का आशीर्वाद
17 मई 1961 को जन्मे पंडित तेजेन्द्र मजूमदार को संगीत की शिक्षा उनके दादा बिभुति रंजन मजूमदार और पिता रंजन मजूमदार (सितार वादक) से प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने सरोद वादन की बारीकियाँ उस्ताद बहादुर ख़ान से 18 वर्षों तक सीखी।
उनके अन्य गुरुओं में पंडित अमरेश चौधरी, श्री अनिल पालित, श्री अजय सिन्हा राय, और अंततः पद्म विभूषण उस्ताद अली अकबर ख़ान शामिल रहे। यह गुरु-शिष्य परंपरा ही उनके संगीत में गहराई, अनुशासन और भावनात्मक स्पर्श का आधार बनी।
सरोद की विविध शैलियाँ और वैश्विक प्रस्तुतियां
पंडित मजूमदार सेनिया मैहर घराने की परंपरा के सशक्त संवाहक माने जाते हैं। वे ध्रुपद, तंत्रकारी और गायकी अंगों का सुंदर समन्वय अपने सरोद वादन में प्रस्तुत करते हैं। उनकी तकनीकी दक्षता और भावनात्मक अभिव्यक्ति उन्हें श्रोताओं से गहराई से जोड़ती है।
उन्होंने मैडिसन स्क्वायर गार्डन (USA), वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, सिंघापुर के एस्प्लानेड थिएटर, थिएटर दे ला विले (फ्रांस), MIT, स्टैनफोर्ड, कोर्नेल, टोरंटो यूनिवर्सिटी, ड्यूक, संगीत नाटक अकादमी के 50 वर्षों के समारोह (मिस्र) जैसी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुति दी है।
वर्ष 2009 में पंडित रविशंकर ने उन्हें हॉलीवुड बाउल, लॉस एंजेलिस में प्रदर्शन हेतु आमंत्रित किया था।
संगीत संरचना और ग्रैमी नामांकन
सरोद वादन के अलावा पंडित मजूमदार ने अनेक फिल्मों, नाटकों, डांस ड्रामा, डॉक्यूमेंट्री, एल्बम्स और विज्ञापनों के लिए संगीत रचना की है। उनकी रचना “Soul Call – Om Namo Narayana” को 2010 में ग्रैमी अवॉर्ड्स के लिए नामांकित किया गया था।
वे पारंपरिक संगीत के साथ प्रयोग करने वाले उन चंद कलाकारों में से हैं जिन्होंने भारतीय संगीत को समकालीन संदर्भों में भी सार्थकता दी।
रंजनी फाउंडेशन और स्वरस्म्राट महोत्सव
वे रंजनी फाउंडेशन ट्रस्ट के संस्थापक और अध्यक्ष हैं, जो 2013 से ‘स्वरस्म्राट फेस्टिवल’ के माध्यम से भारतभर में शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य को बढ़ावा दे रहा है। यह महोत्सव आज भारतीय सांस्कृतिक कैलेंडर का एक प्रमुख आयोजन बन चुका है।
सम्मान और पुरस्कारों की झलक
पंडित मजूमदार को समय-समय पर अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं–
- 1981 में ऑल इंडिया रेडियो म्यूजिक कॉम्पिटिशन में प्रथम स्थान
- राष्ट्रपति का स्वर्ण पदक और पं. डी.वी. पालुस्कर अवार्ड
- ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के टॉप ग्रेड आर्टिस्ट
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (2019)
- संगीत महासम्मान (2014) एवं बंग भूषण (2015) – पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा
पद्म श्री 2025: क्यों दिया गया यह सम्मान
पंडित तेजेन्द्र नारायण मजूमदार को वर्ष 2025 में ‘पद्म श्री’ इसीलिए प्रदान किया गया क्योंकि उन्होंने सरोद की विरासत को विश्वस्तरीय पहचान दिलाई, संगीत की परंपरा और नवाचार के बीच सेतु बने, और साथ ही शास्त्रीय संगीत के सामाजिक, सांस्कृतिक प्रचार में निर्णायक भूमिका निभाई। उनका संगीत भारत की आत्मा है और उनका योगदान भविष्य की प्रेरणा।
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