PMO Name Change: पीएम मोदी ने देश में अंग्रेजों के दौर की मानसिकता और औपनिवेशिक प्रतीकों को हटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है।
सरकार का मानना है कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी कई नाम, प्रतीक और परंपराएं ऐसी हैं जो हमें औपनिवेशिक सोच की याद दिलाती हैं।
इसलिए इन्हें बदलकर भारतीय मूल्यों और सेवा की भावना को आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसी के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय, राजभवन और केंद्रीय सचिवालय जैसे प्रमुख सरकारी प्रतिष्ठानों के नामों में बदलाव किया गया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय, जिसे अब तक PMO के नाम से जाना जाता था, को नया नाम सेवा तीर्थ दिया गया है, ताकि यह सत्ता नहीं, बल्कि सेवा की भावना का प्रतीक बने।
PMO Name Change: केंद्रीय सचिवालय के नए नाम
राज्यों के राज्यपालों के आधिकारिक आवास, जिसे ब्रिटिश शासन के समय से राजभवन कहा जाता था, का नाम अब बदलकर लोक भवन कर दिया गया है।
यह बदलाव सीधे तौर पर औपनिवेशिक मानसिकता को खत्म करने और जनता-केंद्रित शासन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है।
इसी तरह केंद्रीय सचिवालय, जिसे प्रशासन का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है, का नाम अब कर्तव्य भवन कर दिया गया है। यह नाम जिम्मेदारी, पारदर्शिता और कर्तव्य आधारित शासन का संदेश देता है।
PMO का नए हाई-टेक परिसर में स्थानांतरण
दशकों से साउथ ब्लॉक में स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय अब एक नए, आधुनिक और सुरक्षित परिसर में स्थानांतरित होने वाला है। वायु भवन के पास बने इस हाई-टेक कॉम्प्लेक्स में प्रधानमंत्री का नया दफ्तर सेवा तीर्थ-1 में स्थापित किया गया है।
पूरी इमारत को अत्याधुनिक सुरक्षा, आधुनिक संचार तकनीक और इंटेलिजेंस-प्रूफ सिस्टम से लैस किया गया है, ताकि उच्चस्तरीय सरकारी कामकाज बिना किसी बाधा के संचालित हो सके।
14 अक्टूबर को हुई थी बैठक
पूरा सेवा तीर्थ परिसर तीन बड़े भवनों से मिलकर बना है। सेवा तीर्थ-2 में कैबिनेट सचिवालय को स्थापित किया जाएगा, जबकि सेवा तीर्थ-3 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) का कार्यालय बनाया जा रहा है।
नए परिसर का औपचारिक उपयोग तब शुरू हुआ जब 14 अक्टूबर को कैबिनेट सचिव टी.वी. सोमनाथन ने CDS और तीनों सेना प्रमुखों के साथ सेवा तीर्थ-2 में उच्चस्तरीय बैठक की। यह बैठक नए परिसर की कार्यात्मक शुरुआत का संकेत मानी गई।
अंग्रेजों की थोपी हुई मानसिकता
राजभवन और PMO के नाम बदलने से पहले भी मोदी सरकार कई प्रतीकात्मक निर्णय ले चुकी है। राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया गया था, ताकि यह रास्ता सत्ता की नहीं, बल्कि जिम्मेदारी की भावना को दर्शाए।
प्रधानमंत्री के निवास स्थान का नाम भी बदलकर लोक कल्याण मार्ग रखा गया था, जिससे जनता के कल्याण और विकास को प्राथमिकता देने का संदेश मिलता है।
इसी तरह, सरकारी वेबसाइटों पर अब हिंदी को प्राथमिकता दी जा रही है और अंग्रेजी का विकल्प बाद में दिया जाता है।
बीटिंग रिट्रीट समारोह में पहले ‘एबाइड विद मी’ जैसी अंग्रेजी धुनें बजती थीं, लेकिन अब उनकी जगह भारतीय संगीत शामिल किया गया है। यह परिवर्तन देश की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

