Pakistan: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक बेहद चौंकाने वाला बयान देकर देश की प्रशासनिक व्यवस्था पर करारा प्रहार किया है।
उन्होंने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान की टॉप नौकरशाही भारी स्तर पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त है।
आसिफ का दावा है कि ये अधिकारी अरबों डॉलर की संपत्ति विदेशों में जमा कर रहे हैं, वहां प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं और विदेशी नागरिकता या रेजिडेंसी हासिल कर रहे हैं।
उनका कहना है कि यह सब काले धन के माध्यम से किया जा रहा है और इनका उद्देश्य साफ है देश से भागकर रिटायरमेंट के बाद विदेशी जमीन पर ऐशोआराम की जिंदगी जीना।
Pakistan: नौकरशाह करते है भ्रष्टाचार
ख्वाजा आसिफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि नौकरशाह भ्रष्टाचार करते हैं, लेकिन उनके खिलाफ न कोई जांच होती है और न ही कोई कठोर कार्रवाई। वे शांति से रिटायर होते हैं और विदेशों में बस जाते हैं।
इसके विपरीत, राजनेताओं को हर कदम पर जनता और कानून की कसौटी पर परखा जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि नेताओं के पास न विदेशी नागरिकता होती है और न ही विदेशों में संपत्ति, क्योंकि उन्हें जनता के बीच चुनाव लड़ना होता है।
इसके बावजूद, हर भ्रष्टाचार का ठीकरा केवल नेताओं पर फोड़ा जाता है। उन्होंने साफ कहा कि “नौकरशाही हमारी पाक जमीन को प्रदूषित कर रही है।
इमरान की पार्टी कर रही सड़कों पर विरोध
यह बयान ऐसे समय में आया है जब आसिफ की पार्टी और गठबंधन सरकार ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को भ्रष्टाचार और अन्य मामलों में जेल में बंद कर रखा है।
इमरान खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI), लगातार सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रही है।
अब पार्टी ने इमरान की रिहाई के लिए संयुक्त राष्ट्र तक जाने की तैयारी कर ली है। PTI का आरोप है कि इमरान खान और उनकी पत्नी के साथ जेल में अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है और उन्हें शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जा रही हैं।
आसिफ ने पाक पर खड़े किये सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने पाकिस्तान की राजनीति और प्रशासनिक ढांचे को कटघरे में खड़ा कर दिया है। एक ओर चुने हुए प्रतिनिधियों को जनता के प्रति हर कदम पर जवाबदेह ठहराया जाता है।
वहीं दूसरी ओर नौकरशाही की मनमानी और भ्रष्ट आचरण पर न तो चर्चा होती है और न ही कार्रवाई।
ख्वाजा आसिफ का यह साहसिक बयान इस सच्चाई को उजागर करता है कि पाकिस्तान की असली बीमारी केवल राजनीतिक भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि उससे भी गहरे स्तर पर जमी नौकरशाही की गैर-जवाबदेही और सुविधा-सम्पन्न लूट है।