पाकिस्तान में धार्मिक असहिष्णुता यानी दूसरों के धर्म को न सहने की प्रवृत्ति अब खतरनाक रूप ले चुकी है।
इसी वजह से पाकिस्तान की पूरी दुनिया में निंदा हो रही है।
अमेरिका के “अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग” (USCIRF) की एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों, हिंदुओं और ईसाइयों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जा रहा है।
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पाकिस्तान: 400 भीड़ ने किया हमला
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान का कानून खुद अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ है। उन्हें मुसलमान कहलाने या अपने धर्म के रीति-रिवाजों को खुले में अपनाने की इजाजत नहीं है।
यही वजह है कि इस समुदाय के लोगों पर लगातार हमले हो रहे हैं। कई अहमदिया मस्जिदों को तोड़ा गया, और जो लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे थे, उन्हें मार दिया गया।
पंजाब में दस दिनों के भीतर तीन अहमदिया मस्जिदों को गिरा दिया गया। अप्रैल में 400 लोगों की भीड़ ने एक मस्जिद पर हमला किया और अहमदिया कार्यकर्ता लईक चीमा की बेरहमी से हत्या कर दी।
अदालत के अंदर दो अहमदिया लोगों पर हमला
इसके अलावा, कराची की एक अदालत में अहमदिया समुदाय के दो लोगों पर हमला हुआ जिसमें ताहिर महमूद नाम के व्यक्ति की मौत हो गई।
सरगोधा में भी एक अहमदिया व्यक्ति को सिर्फ धमकियों के कारण गोली मार दी गई।
पंजाब में अहमदिया लोगों को संपत्ति की नीलामी में शामिल होने से रोका गया और उनके खिलाफ नमाज़ पढ़ने पर मुकदमे भी दर्ज किए गए।
ईद के मौके पर तो पुलिस ने उन्हें इकट्ठा होकर नमाज़ पढ़ने से भी रोक दिया।
पंजाब में हिंदू लड़कियों का धर्म परिवर्तन
सिर्फ अहमदिया मुसलमान ही नहीं, बल्कि हिंदू और ईसाई लड़कियाँ भी पाकिस्तान में असुरक्षित हैं।
सिंध और पंजाब में अक्सर उनका अपहरण कर लिया जाता है और उन्हें ज़बरदस्ती इस्लाम कबूल करवाकर शादी करा दी जाती है।
ये सब घटनाएं पाकिस्तान के समाज में धार्मिक नफरत और कट्टरता की गहराई दिखाती हैं।
अमेरिकी रिपोर्ट में पाकिस्तान के “ईशनिंदा कानून” की भी आलोचना की गई है।
इस कानून के तहत किसी पर भी अल्लाह या इस्लाम के खिलाफ बोलने का झूठा आरोप लगाकर जेल भेजा जा सकता है। इस वजह से कई निर्दोष लोग सालों से जेल में बंद हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को इन सख्त और अन्यायपूर्ण कानूनों को खत्म करना चाहिए और धार्मिक अल्पसंख्यकों यानी हिंदू, ईसाई और अहमदिया जैसे समुदायों को सुरक्षा देनी चाहिए।
अगर पाकिस्तान ऐसा नहीं करता तो उसकी छवि दुनिया में और खराब होगी और अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ेगा।