Friday, May 30, 2025

Padma Awards: एमटी वासुदेवन नायर को पद्म विभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया

Padma Awards: एम. टी. वासुदेवन नायर, जिन्हें प्यार से “एम. टी.” कहा जाता है, भारतीय साहित्य और सिनेमा में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। उनका जन्म 15 जुलाई, 1933 को केरल के पलक्कड़ जिले के कुडल्लूर गाँव में हुआ।

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बचपन से ही पढ़ने-लिखने के शौकीन एम. टी. ने सरकारी विक्टोरिया कॉलेज, पलक्कड़ से स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्हें साहित्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए में पद्म विभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

Padma Awards: पहला उपन्यास नालुकेट्टू

1954 में उन्होंने “विश्व लघु कहानी प्रतियोगिता” में मलयालम में सर्वश्रेष्ठ कहानी के लिए पुरस्कार जीतकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बनाई। इसके बाद वह ‘मातृभूमि’ नामक प्रमुख मलयालम पत्रिका में उप संपादक बने।

उनका पहला उपन्यास नालुकेट्टू 1958 में प्रकाशित हुआ, जिसे केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। इसके साथ ही उन्होंने मलयालम साहित्य में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की।

देश से विदेश तक सम्मान

1965 में एम. टी. ने अपनी पहली फिल्म मुराप्पेन्नु की पटकथा लिखी, जो उनकी ही लघु कहानी पर आधारित थी। 1973 में उन्होंने निर्मल्यम नामक फिल्म से निर्देशन की शुरुआत की, जिसने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के साथ-साथ जकार्ता एशियाई फिल्म महोत्सव में भी सम्मान अर्जित किया।

सिनेमा, संस्कृति और अमिट विरासत

एम. टी. वासुदेवन नायर ने 200 से अधिक लघु कहानियाँ, 8 उपन्यास, कई निबंध संग्रह, यात्रा वृत्तांत और एक नाटक प्रकाशित किए। मलयालम सिनेमा में उन्होंने पटकथा लेखन को एक साहित्यिक कला के रूप में स्थापित किया। उन्होंने 55 फिल्मों की पटकथाएँ लिखीं और 7 फिल्मों का निर्देशन किया।

वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पटकथाओं को प्रकाशित कराया और इस विधा को साहित्यिक महत्व दिलाया। यह कार्य आगे आने वाले लेखकों के लिए एक मार्गदर्शक बन गया।

मातृभूमि साप्ताहिक के संपादक के रूप में उन्होंने न केवल युवा लेखकों को प्रोत्साहित किया, बल्कि अनुवाद के माध्यम से मलयाली पाठकों को अंतरराष्ट्रीय साहित्य से जोड़ा।

1992 में उन्होंने थुंचन स्मारक परियोजना का नेतृत्व किया, जो अब मलयालम भाषा के जनक थुंचत रामानुजन एझुथचन को समर्पित भारत का सबसे प्रतिष्ठित स्मारक है।

सम्मान और अंतिम विदाई

एम. टी. को उनके जीवनकाल में देश के सर्वोच्च साहित्यिक और सिनेमा पुरस्कारों से नवाजा गया। इनमें शामिल हैं:

साहित्य अकादमी पुरस्कार (1970)

ज्ञानपीठ पुरस्कार (1995)

साहित्य अकादमी फेलोशिप (2013)

पद्म भूषण (2005)

वायलार पुरस्कार (1984)

एज़ुथाचन पुरस्कार (2011)

जे सी डेनियल पुरस्कार (2013)

केरल ज्योति पुरस्कार (2022)

उन्होंने सर्वाधिक चार बार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (1989, 1991, 1993, 1994) और 17 राज्य पुरस्कारों का कीर्तिमान अपने नाम किया।

25 दिसंबर, 2024 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनका साहित्यिक और सिनेमाई योगदान आज भी जीवंत है। एम. टी. वासुदेवन नायर न केवल एक लेखक थे, बल्कि एक विचारधारा, एक आंदोलन और एक विरासत हैं जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे।

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Madhuri Sonkar
Madhuri Sonkarhttps://reportbharathindi.com/
ETV Bharat में एक साल ट्रेनिंग कंटेंट एडिटर के तौर पर काम कर चुकी हैं। डेली हंट और Raftaar News में रिपोर्टिंग, V/O का अनुभव। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और बॉलीवुड न्यूज पर अच्छी पकड़।
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