Thursday, June 12, 2025

Noida, Delhi: 65 करोड़ की रंगदारी और ब्लैकमेलिंग के आरोप में नॉएडा से दो पत्रकार हुए गिरफ्तार, मीडिया पर खड़े किये कई सवाल

Noida, Delhi: हाल ही में नोएडा से सामने आया एक चौंकाने वाला मामला पत्रकारिता की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

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एक निजी न्यूज़ चैनल की एंकर शाजिया निसार और एक राष्ट्रीय अख़बार के डिजिटल विंग एंकर आदर्श झा को पुलिस ने ब्लैकमेलिंग और 65 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

दोनों पर आरोप है कि इन्होंने चैनल के वरिष्ठ अधिकारियों को झूठे यौन उत्पीड़न के केस में फंसाने की धमकी दी और इसके बदले मोटी रकम वसूलने की साजिश रची।

गिरफ्तारी और भारी मात्रा में कैश बरामद

Noida, Delhi: जब पुलिस शाजिया के घर पहुंची तो वहां से 34.50 लाख रुपये कैश बरामद किया गया।

गिरफ्तारी के दौरान शाजिया ने कोर्ट परिसर में हंगामा मचाया और पुलिस पर ही गंभीर आरोप लगाने की कोशिश की, लेकिन अदालत ने कोई ढिलाई न दिखाते हुए दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

मामले की गंभीरता को देखते हुए चैनल प्रबंधन की ओर से अब तक तीन एफआईआर दर्ज करवाई जा चुकी हैं।

ये एफआईआर चैनल के एमडी, कंसल्टिंग एडिटर और एचआर हेड ने दर्ज करवाई हैं।

सिंडिकेट की साजिश में मां भी शामिल

Noida, Delhi: पुलिस जांच में सामने आया कि शाजिया और आदर्श एक ब्लैकमेलिंग सिंडिकेट चला रहे थे।

इनका मकसद चैनल के भीतर डर और अस्थिरता फैलाकर पैसे वसूलना था।

इतना ही नहीं, इस गिरोह में शाजिया की मां नसीम बानो की भी भूमिका सामने आई है।

मामले की गंभीरता से यह स्पष्ट हो गया है कि यह केवल दो पत्रकारों की करतूत नहीं, बल्कि एक संगठित साजिश थी।

मीडिया की गिरती साख और भरोसे का संकट

Noida, Delhi: जब पत्रकार खुद खबर का विषय बन जाएं और पत्रकारिता के नाम पर वसूली और ब्लैकमेलिंग का धंधा चलाने लगें, तो यह पूरी इंडस्ट्री की छवि पर कलंक बन जाता है।

मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, लेकिन जब वही स्तंभ खुद भ्रष्ट हो जाए, तो आम जनता का भरोसा डगमगाना तय है।

शायद यही कारण है कि आज लोग न्यूज़ चैनल्स की बजाय सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स पर ज्यादा भरोसा जताने लगे हैं।

Noida, Delhi: इस घटना ने साबित कर दिया है कि मीडिया संस्थानों के भीतर भी आत्मचिंतन की सख्त ज़रूरत है।

पत्रकारिता का चोला पहनकर अगर कोई ब्लैकमेलिंग करता है, तो उससे सख्ती से निपटना लोकतंत्र की रक्षा के लिए अनिवार्य है।

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