Thursday, September 19, 2024

New Criminal Law: देश में आपराधिक कानून में हुए बड़े बदलाव, लागू हुए तीन नए कानून,जानें IPC-CRPC और एविडेंस एक्ट से कैसे है अलग

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New Criminal Law: आज से भारत में तीन नए में आपराधिक कानून लागू हो जायेंगे। ये तीनों नए कानून IPC-CRPC और एविडेंस एक्ट की को रिप्लेस करेंगे।

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राजधानी दिल्ली में सोमवार (1 जुलाई, 2024) से तीन नए आपराधिक कानून लागू हुए हैं। इन्हें लागू करने के लिए दिल्ली पुलिस लंबे समय से तैयारियों में जुटी हुई थी। इसके लिए पिछले कई महीनों से दिल्ली पुलिस को ट्रेनिंग भी दी जा रही थी। अब तक करीबन 50 हजार पुलिसकर्मी ट्रेनिंग ले चुके हैं। अब से सभी शहरों में पुलिस को इन्ही कानूनों को मद्देनजर रखते हुए कार्यवाही करनी होगी। आइये जानते हैं तीन कानून हैं क्या और पुराने कानूनों से कैसे अलग हैं।

तीनों नए कानून वर्तमान में लागू ब्रिटिश काल के (आईपीसी), भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), (सीआरपीसी) , आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के (Indian Evidence Act) , भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) को हटाकर इनकी जगह लेंगे।

इन नए कानून के नाम भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) हैं, जिन्हें लंबे समय पहले ही संसद भवन में पास कर दिया गया था लेकिन इन्हें लागू करने से पहले काफी तैयारियां की जा रही थी जो की अब पूरी हो चुकी है। इस साल फरवरी महीने में इन तीनों आपराधिक कानूनों को लेकर गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था। नए कानूनों के लागू होने से कई बड़े बदलाव आएंगे। ये सभी कानून समयबद्ध होंगे जिनकी वजह से पुलिस को जल्द ही कार्यवाही करनी होगी।

ट्रेनिंग के लिए 14 सदस्य समिति का किया गया गठन

दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि, ‘‘नए कानूनों को समझने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण प्राप्त करनेवाले सभी पोलिसकरणियों को नए कानूनों को समझने के लिए किताब भी दी गई हैं।” जनवरी में कानूनों का अच्छे से समझने के लिए पुलिसकर्मियों को इसे समझने के लिए तैयार सामग्री, स्पेशल सीपी छाया शर्मा के नेतृत्व में एक 14 सदस्यीय समिति का गठन किया। बीते 15 दिनों में पुलिसकर्मियों ने परीक्षण प्रक्रिया के दौरान ‘डमी एफआईआर’ भी दर्ज करवाई गयी।

दुष्कर्मियों को फांसी तक की सजा

नए आपराधिक कानून के तहत नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान है। वहीं, नाबालिग के साथ गैंगरेप करने को नए अपराध की श्रेणी में रखा गया है। नए कानून में राजद्रोह को अब अपराध नहीं माना जाएगा। इन नए कानून में मॉब लिंचिंग के दोषियों को को भी सजा दी जाएगी। पांच या उससे ज्यादा लोग जाति या समुदाय के आधार पर किसी की हत्या करते हैं तो उन्हें उम्रकैद की सजा दी जाएगी।

क्या है भारतीय न्याय संहिता कानून

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 163 साल पुराने आईपीसी (IPC) को हटाकर लागू किया जायेगा। इस कानून के सेक्शन 4 के तहत सजा के तौर पर दोषी को समाज सेवा करनी होगी। शादी का हवाला देकर शारीरिक संबंध बनाने पर 10 साल तक की सजा और जुर्माना का प्रावधान है। साथ ही अपनी पहचान छिपाकर या नौकरी का हवाला देकर शादी करने पर भी सजा होगी। संगठित अपराध जैसे गाड़ी की चोरी, अपहरण, डकैती, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, आर्थिक अपराध, साइबर क्राइम के लिए भी कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) में राष्टीय सरक्षा को खतरे में डालने वाले काम पर भी सख्त सजा दी जाएगी।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 1973 के सीआरपीसी (CRPC) को हटाकर लागू किया जायेगा। इस कानून के जरिए प्रक्रिया को लेकर बड़े बदलाव किये गए हैं। इस कानून के मुताबिक अगर किसी को पहली बार अपराधी माना गया तो वह अपने अपराध की अधिकतम सजा का एक तिहाई पूरा करने के बाद जमानत ले सकता है। ऐसे में विचाराधीन कैदियों के लिए तुरंत जमानत लेना मुश्किल हो जायेगा। हालांकि, यह कानून उम्रकैद की सजा वाले अपराधियों पर लागू नहीं होगा। इस कानून के अंतर्गत कम से कम सात साल की कैद की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच करवाना जरुरी होगा। फोरेंसिक एक्सपर्ट्स अपराध वाली जगह से सबूत इकट्ठा और रिकॉर्ड करेंगे। वहीं अगर किसी राज्य में फोरेंसिक सुविधा का अभाव होने पर दूसरे राज्य में इस सुविधा का इस्तेमाल किया जायेगा।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 1872 के साक्ष्य अधिनियम की( इंडियन एविडेंस एक्ट ) को हटाकर लागू होगा। इस कानून में कई बड़े बदलाव किये गए हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को लेकर नियमों को डिटेल से बताया गया है साथ ही दूसरे सबूतों को भी शामिल किया गया है। अब तक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स की जानकारी एफिडेविट तक ही सीमित थी लेकिन अब इसके बारे में कोर्ट को पूरी जानकारी डीटेल में देनी होगी। कोर्ट को बताना होगा कि इलेक्ट्रॉनिक सबूत में क्या चीजें शामिल थी।

 

 

 

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