नैनीताल में एक 12 साल की मासूम के साथ हुई हैवानियत ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। बच्ची की करुण कहानी आंसुओं में डूबी है, जहां उसका तन-मन असहनीय दर्द से टूट चुका है। इस जघन्य अपराध ने न केवल पीड़िता के जीवन को उजाड़ दिया, बल्कि समाज और व्यवस्था की संवेदनहीनता को भी उजागर कर दिया है।
10 दिन तक रेंगती रही मासूम
12 अप्रैल की शाम को एक गरीब परिवार की छोटी बेटी बाजार से सामान लेने गई थी। इसी दौरान रुकुट कंपाउंड निवासी 72 वर्षीय ठेकेदार उस्मान ने 200 रुपये का लालच देकर मासूम को अपने घर ले गया। वहां उसने गैरेज में खड़ी कार में बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। विरोध करने पर उसने चाकू दिखाकर धमकाया और मुंह पर कपड़ा बांध दिया। बच्ची को पूरे परिवार को खत्म करने की धमकी दी गई।
इस क्रूर कृत्य के बाद बच्ची की हालत इतनी खराब हो गई कि वह ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। दर्द और डर से टूटी हुई मासूम करीब 10 दिन तक घुटनों के बल रेंगकर चलती रही। वह न तो बैठ पा रही थी और न ही अपनी पीड़ा किसी से साझा कर पाई।
अस्पताल की संवेदनहीनता
25 अप्रैल को बच्ची की मां, जो संभल (यूपी) से नैनीताल पहुंची थी, उसे लेकर हल्द्वानी के महिला अस्पताल गई। वहां ओपीडी पर्चा तो बनाया गया, लेकिन डॉक्टर ने बच्ची की गंभीर हालत देखकर भी कोई इलाज नहीं किया। उल्टा, मां को पहले पुलिस के पास जाने को कहकर लौटा दिया गया। बिना इलाज के मासूम को और तड़पने के लिए छोड़ दिया गया।
मोहल्ले में फैली चर्चा, तब खुला राज
बच्ची ने डर के मारे अपनी आपबीती किसी को नहीं बताई, लेकिन उसकी हालत देखकर मोहल्ले में अनहोनी की खबरें फैलने लगीं। एक स्थानीय महिला की सलाह पर मां ने समाजसेवी की मदद ली। समाजसेवी और मां के बार-बार पूछने पर बच्ची टूट गई और उसने सारी घटना बता दी। मां का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उसने कहा, “अगर मेरे पास चाकू होता, तो मैं उस्मान को मार डालती।”
स्कूल छोड़ चुकी थीं बहनें
घटना ने बच्ची को इतना तोड़ दिया कि वह और उसकी बड़ी बहन स्कूल जाना छोड़ चुकी थीं। दोनों ने 16 अप्रैल को अपनी टीसी कटवा ली थी। बच्ची गुमसुम रहने लगी थी, और उसकी बड़ी बहन ने पहले नानी को और फिर मां को बुलाया।
प्रशासन का रवैया और मदद
जिलाधिकारी वंदना ने बताया कि बच्ची को स्पॉन्सरशिप योजना के तहत हर माह 4,000 रुपये की सहायता दी जाएगी। साथ ही, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और समाज कल्याण विभाग से भी आर्थिक मदद की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी पीड़ित परिवार से बात की और दोनों बहनों की शिक्षा का खर्च सरकार द्वारा उठाने का वादा किया।
परिवार को कड़ी सुरक्षा में रखा गया है, और बच्ची व परिवार की काउंसलिंग के लिए दो काउंसलर नियुक्त किए गए हैं। अगर अस्पताल में लापरवाही की पुष्टि होती है, तो ओपीडी पर्चे के आधार पर डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
नैनीताल में आक्रोश
इस घटना ने नैनीताल में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। लोग सड़कों पर उतर आए हैं, और मल्लीताल व तल्लीताल में जुलूस निकाले गए। स्थानीय लोग और संगठन इस क्रूर अपराध के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
एक सवाल समाज के लिए
यह घटना केवल एक अपराध की कहानी नहीं, बल्कि समाज की संवेदनहीनता और व्यवस्था की नाकामी का जीता-जागता सबूत है। क्या हमारा समाज इतना असंवेदनशील हो चुका है कि एक मासूम की चीखें 10 दिन तक अनसुनी रहें? क्या हमारी व्यवस्था इतनी लाचार है कि एक बच्ची को इलाज तक न मिले? यह सवाल हर किसी के मन में गूंज रहा है।