Myth Broken: पानी हमारे शरीर के लिए ऑक्सीजन जितना अहम है।
यह पाचन, डिटॉक्स और टेम्परेचर कंट्रोल में मदद करता है।
लेकिन यह मान लेना कि जितना ज्यादा पानी पिएंगे उतना हेल्दी रहेंगे, पूरी तरह सही नहीं है। शरीर को जितनी जरूरत हो, उतना ही पानी पीना सही है।
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प्यास शरीर का संकेत है
Myth Broken: जब शरीर को पानी की कमी होती है तो वह संकेत देता है।
जैसे गला सूखना, होंठों का फटना या हल्की थकान। ऐसे समय पर पानी पीना स्वाभाविक है।
अगर आप बिना प्यास के बार-बार पानी पी रहे हैं, तो यह शरीर पर अनावश्यक दबाव डाल सकता है।
ओवरहाइड्रेशन, छुपा हुआ खतरा
Myth Broken: पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) जितनी हानिकारक है, पानी की अधिकता (ओवरहाइड्रेशन) भी उतनी ही खतरनाक हो सकती है।
जरूरत से ज्यादा पानी पीने से इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बिगड़ जाता है, जिससे कमजोरी, सिर दर्द, उलझन और यहां तक कि गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
कब ज़्यादा पानी पीना चाहिए?
Myth Broken: अगर आप भारी शारीरिक मेहनत कर रहे हैं, जिम में वर्कआउट कर रहे हैं, धूप में काम कर रहे हैं या पसीना ज्यादा निकल रहा है, तो पानी की जरूरत भी बढ़ जाती है।
ऐसे समय शरीर खुद ज्यादा प्यास का संकेत देता है।
हाइड्रेशन चेक करने का आसान तरीका
Myth Broken: अपने पेशाब का रंग देखें।
हल्का पीला: शरीर सही मात्रा में हाइड्रेटेड है।
गहरा पीला या बदबूदार: पानी की कमी है।
बार-बार पेशाब आना और रंग बिल्कुल साफ: शायद आपने जरूरत से ज्यादा पानी पी लिया है।
सोशल मीडिया ट्रेंड्स से बचें
हर किसी का शरीर अलग है, इसलिए “दिन में 5 लीटर पानी” या “सुबह खाली पेट गुनगुना पानी” जैसे ट्रेंड्स हर किसी पर फिट नहीं बैठते।
सबसे अच्छा तरीका है, अपने शरीर की सुनना और प्यास लगने पर ही पानी पीना।