Mental Health Crisis: क्या आपने कभी सोचा है कि हर साल लाखों लोग चुपचाप अपने दुख और संघर्षों से हार मानकर जिंदगी खत्म करने का फैसला क्यों ले लेते हैं?
उनकी एक-एक मुस्कान के पीछे छिपा दर्द समाज को शायद ही कभी दिखाई देता है।
यही कारण है कि आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य की समस्या आज पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।
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Mental Health Crisis: WHO रिपोर्ट का खुलासा
Mental Health Crisis: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में हर 100 मौतों में से एक आत्महत्या से होती है।
साल 2021 में ही करीब 7.27 लाख लोगों ने अपनी जान ले ली। और भी चौंकाने वाली बात यह है कि आत्महत्या से पहले औसतन 20 बार प्रयास किया जाता है।
रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में करोड़ों लोग मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से जूझ रहे हैं।
इनमें सबसे बड़ी समस्या डिप्रेशन है, जो कुल मानसिक बीमारियों के दो-तिहाई मामलों में मौजूद है।
बढ़ते मानसिक विकार
Mental Health Crisis: साल 2011 से 2021 के बीच मानसिक बीमारियों के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
जनसंख्या के मुकाबले यह वृद्धि कहीं अधिक है। नतीजतन, मानसिक विकारों की दर 13.6 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।
- Anxiety disorder अक्सर बचपन या किशोरावस्था में शुरू हो जाता है।
- 40 की उम्र के बाद यह अधिक दिखता है और 50 से 69 वर्ष की उम्र में सबसे ज्यादा फैलता है।
युवा सबसे अधिक प्रभावित
Mental Health Crisis: 20 से 29 वर्ष के युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं सबसे तेजी से बढ़ रही हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इस आयु वर्ग में मानसिक बीमारियां लगभग 1.8 प्रतिशत बढ़ीं हैं।
यह चिंता का विषय है क्योंकि यही उम्र सपनों को पूरा करने और करियर बनाने की होती है।
लेकिन मानसिक दबाव और अवसाद युवाओं को आत्महत्या की ओर धकेल रहा है।
जेंडर के आधार पर अंतर
रिपोर्ट में जेंडर के आधार पर मानसिक बीमारियों में अंतर भी सामने आया है।
- पुरुषों में ADHD और बौद्धिक विकास से जुड़ी परेशानियां ज्यादा पाई जाती हैं।
- वहीं महिलाओं में डिप्रेशन और ईटिंग डिसऑर्डर्स अधिक देखने को मिलते हैं।
आत्महत्या के पीछे छिपे कारण
Mental Health Crisis: विशेषज्ञ मानते हैं कि आत्महत्या का कोई एक कारण नहीं होता, बल्कि कई परिस्थितियां मिलकर इंसान को इस कदम तक पहुंचा देती हैं।
इनमें शामिल हैं:
- बचपन की मानसिक या शारीरिक परेशानी
- तनावपूर्ण पारिवारिक या सामाजिक माहौल
- अकेलापन और सपोर्ट सिस्टम की कमी
- सामाजिक कलंक
- मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच
समाधान
Mental Health Crisis: एक्सपर्ट्स का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को केवल मानसिक अस्पतालों तक सीमित नहीं रखना चाहिए।
इनकी उपलब्धता सामान्य अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में भी होनी चाहिए। इसके लिए प्रशिक्षित डॉक्टरों, नर्सों और काउंसलर्स की ज़रूरत है
मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या का मुद्दा अब केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि वैश्विक संकट बन चुका है।
सही समय पर जागरूकता, इलाज और सपोर्ट सिस्टम से कई ज़िंदगियां बचाई जा सकती हैं।
ज़रूरत है कि समाज मानसिक स्वास्थ्य को एक “कमजोरी” नहीं, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य समस्या समझे।