Marijuana: न्यूरोसाइंस एंड बायोबिहेवरल रिव्यु में हाल ही में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति रेगुलर गांजे का नशा करता है तो उसे नशा बर्दाश्त करने की आदत हो जाती है।
गांजे के नशा किसके शरीर के किस हिस्से पर कितना असर करेगा ये कई फैक्टर्स पर डिपेंड करता है जैसे गांजा कितना स्ट्रांग है, उसे कितना बार पिया जा रहा है, ये सब।
सिडनी के साइकोफार्मेकोलॉजिस्ट लेन मेकक्रेगर ने एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें बताया गया है कि गांजा फूंकने के कई हफ़्तों तक शरीर में इससे निकलने वाले केमिकल टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल मिलता है लेकिन इसकी वजह शरीर में थकान होना या शरीर टूटना केवल कुछ समय तक ही रहता है। इसका असर शरीर के कई हिस्सों पर पड़ता है। हर व्यक्ति के शरीर पर गांजे का असर अलग-अलग होता है।
इस शरीर के हिस्से पर इतनी देर तक रहता है असर
आमतौर पर गांजे का असर बालों पर 90 दिन,यूरीन में 30 दिन और लार में 24 घंटे तक रहता है। ये सबसे ज्यादा निर्भर करता है गांजा के intake पर यानी गांजा कितनी बार फूंका गया है।
गांजे का केमिकल THC शरीर के कई टिश्यू और ऑर्गन्स में जाता है। इनमें हार्ट, लिवर, ब्रेन और फैट जैसे हिस्से शामिल हैं। लिवर 11-हाइड्रॉक्सी-THC और कार्बोक्सी-THC (मेटाबोलाइट्स) शरीर में मेटाबोलिज्म करता है। जिसका करीब 85% हिस्सा तो शरीर से निकल जाता है बाकी बचा हिस्सा शरीर में ही रह जाता है।
गांजे का शरीर पर क्या असर होता है
गांजे में THC और CBD नाम के दो केमिकल्स पाए जाते हैं। YE दोनों ही अलग-अलग काम करते हैं। THC नशे को बढ़ाता है तो वही CBD नशे के प्रभाव को काम करता है। CBD नशे से होने वाली घरहट को कम करता है लेकिन उस समय वो आदमी को अंदर से पूरा तोड़कर रह देता है। जब गांजे में टीएमसी की मात्रा सीबीडी से ज्यादा हो जाती है और उसी वक्त अगर कोई गांजा फूंक लेता है तो टीएमसी दिमाग तक पहुंचने लगता है और दिक्कत करने लगता है। इसकी वजह से दिमाग का न्यूरॉन्स कंट्रोल से बाहर हो जाता है।
शरीर के लिए हानिकारक है गांजा
- गांजा फूंकने से बाइपोलर डिसऑर्डर हो सकता है। इसकी वजह से व्यक्ति मानसिक दिखातों का सामना कर सकता है साथ ही डिप्रेशन का भी शिकार हो सकता है।
- गांजा फूंकने वाले व्यक्तियों में कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। इस पर अभी रिसर्च कि जरूरत है।
- आमतौर पर ज्यादा गांजा फूंकने से पुरानी खांसी का खतरा बढ़ सकता है। इससे फेफड़े की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज या अस्थमा हो सकता है।