Saturday, December 6, 2025

ठंड बढ़े, दिल धड़के: सर्दियों में क्यों चढ़ जाता है इश्क़ का तापमान? नई स्टडी में मिले हैरान करने वाले खुलासे”

ठंड बढ़े, दिल धड़के: जैसे ही ठंड दस्तक देती है, लोगों के व्यवहार में एक परिवर्तन दिखने लगता है। रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स इसे “कफिंग सीज़न” कहते हैं।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

मतलब कि ठंडी, लंबी रातों में अकेलापन कम करने के लिए लोग रिश्तों की तलाश में निकल पड़ते हैं।

सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक सोशल मीडिया ट्रेंड है या इसके पीछे वाकई साइंस है?

पार्टनर की तलाश क्यों बढ़ जाती है?

ठंड बढ़े, दिल धड़के: ठंड के मौसम में लोग घर के बाहर कम और आपसी बॉन्डिंग में ज़्यादा समय बिताते हैं। यही कारण है कि यह मौसम “रोमांस पीक सीज़न” कहा जाने लगा है।

सैन होजे स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर क्रिस्टीन मा-केलम्स बताती हैं कि मौसम इंसानी “मेटिंग बिहेवियर” को जटिल तरीक़े से प्रभावित करता है। ले ही वैज्ञानिक इस पर पूरी तरह एकमत नहीं हैं, लेकिन इंटरनेट डेटा कुछ और ही कहानी कहता है।

सर्च ट्रेंड्स: सर्दियों और गर्मियों में ‘रिलेशन’ सर्च क्यों बढ़ते हैं?

ठंड बढ़े, दिल धड़के: मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि नवंबर से फरवरी के बीच इंटरनेट पर इन चीज़ों की खोज अचानक बढ़ जाती है—

डेटिंग साइट्स की एक्टिविटी

  • पोर्न सर्च
  • सेक्स-वर्क से जुड़े सर्च
  • 2012 की एक रिसर्च भी यही कहती है कि साल में दो बार यह पैटर्न पीक पर जाता है। सर्दियों और गर्मियों में।
  • 90 के दशक के एक अध्ययन में यह भी देखा गया कि क्रिसमस के आसपास शारीरिक रिश्तों की सक्रियता बढ़ जाती है।

कई बार यह अनसेफ भी साबित होती है, जिसका सबूत जन्मदर, STI केस और कंडोम सेल के आंकड़े देते हैं।

ठंड Swipe Right का मौसम!

ठंड बढ़े, दिल धड़के: डेटिंग ऐप्स भी सर्दियों को “मैच सीज़न” मानते हैं।

बंबल के अनुसार, सबसे ज़्यादा स्वाइप नवंबर के आखिर से लेकर फरवरी तक होते हैं, यानी ठीक वैलेंटाइन्स डे के आसपास।

किंसी इंस्टीट्यूट के एक्सपर्ट जस्टिन गार्सिया बताते हैं कि सर्दियों में लोग बाहर कम निकलते हैं, इसलिए नए लोगों से मिलने के मौके घट जाते हैं, और यही डेटिंग ऐप्स को अचानक सुपर-एक्टिव बना देता है।

इंसान vs जानवर: क्या हम भी मौसम देखकर रिश्ते बनाते हैं?

ठंड बढ़े, दिल धड़के: जानवर, खासकर गाय और कई पक्षी, कड़ाई से मौसमी प्रजनन चक्र का पालन करते हैं ताकि बच्चों को जन्म के समय सही मौसम और भोजन मिल सके।

लेकिन इंसान अलग है।

इंडियाना यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सू कार्टर का कहना है कि मनुष्य ‘सीज़नल ब्रीडर’ नहीं है।

यानी इंसान किसी भी मौसम में रिश्ता बना सकता है, मूड, अवसर और भावनाओं के आधार पर। मौसम के हिसाब से नहीं।

तो क्या सर्दियां सच में रोमांस बढ़ाती हैं?

ठंड बढ़े, दिल धड़के: साइंस कहती है, आंशिक रूप से हां, लेकिन इंसान का प्यार पूरी तरह मौसम पर निर्भर नहीं करता।

डेटिंग ऐप्स, इंटरनेट सर्च, और घर में बढ़ा समय, ये सभी मिलकर रोमांस को सर्दियों में थोड़ा और चमका देते हैं।।

सर्दियों में ठंड भले पड़े, दिलों में गर्मी जरूर बढ़ती है।

- Advertisement -

More articles

- Advertisement -

Latest article