Love Explained: प्यार एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही हमारे मन में कई तरह की तस्वीरें बनने लगती हैं।
कभी यह रोमांस का प्रतीक होता है, कभी ममता का, तो कभी दोस्ती का।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि विज्ञान इसे कैसे देखता है? क्या वैज्ञानिक प्रेम को परिभाषित कर पाए हैं?
क्या इसे मापा जा सकता है, या यह केवल दिल की अनुभूति है?
हज़ारों सालों से दार्शनिकों, संतों, कवियों और कलाकारों ने प्रेम की व्याख्या की है।
लेकिन विज्ञान, विशेषकर मनोविज्ञान और न्यूरोसाइंस जैसे क्षेत्र, हाल के कुछ दशकों में ही इसे गंभीरता से समझने लगे हैं।
पहले, वैज्ञानिक ‘प्रेम’ शब्द से बचते थे, वे इसे ‘पारस्परिक आकर्षण’ या ‘लगाव’ जैसे शब्दों में बांधते थे।
उन्हें लगता था कि यह विषय बहुत भावुक, जटिल और वैज्ञानिक रूप से मापने लायक नहीं है। लेकिन अब परिस्थितियाँ बदल रही हैं।।
Love Explained: प्रेम को लेकर कैसे बदलता गया नजरिया
Love Explained: 20वीं सदी की शुरुआत में मनोविज्ञान सिगमंड फ्रायड और कार्ल जंग जैसे विचारकों के सिद्धांतों से प्रेरित था।
उनका ध्यान इस बात पर था कि हमारे बचपन के अनुभव हमारे वयस्क व्यक्तित्व को कैसे आकार देते हैं।
प्रेम उस समय भी चर्चा में था, लेकिन सीधे नहीं, बल्कि माता-पिता और बच्चों के लगाव, या विवाह के सामाजिक असर के रूप में।
फिर 1970 के दशक में एक बड़ा बदलाव आया।
सामाजिक मनोवैज्ञानिक एलेन बर्सचेड और इलेन हैटफील्ड ने पहली बार प्रेम को दो भागों में बाँटा। भावुक प्रेम (Passionate Love) और साथी प्रेम (Companionate Love)।
भावुक प्रेम वो होता है जिसमें तीव्र आकर्षण, जुनून और उत्साह होता है, जबकि साथी प्रेम समय के साथ गहरा और स्थिर होता है। दो लोगों के बीच विश्वास, साझेदारी और अपनापन।
“Passionate Love Scale” मापता है प्यार
Love Explained: इन वैज्ञानिकों ने ‘Passionate Love Scale’ नामक एक स्केल भी बनाया, जिससे यह मापा जा सकता है कि कोई व्यक्ति अपने प्रिय को लेकर कैसा महसूस करता है।
इसके आधार पर फंक्शनल एमआरआई (fMRI) जैसी तकनीकों से यह देखा गया कि जब हम किसी प्रिय व्यक्ति के बारे में सोचते हैं या उसकी तस्वीर देखते हैं, तो हमारे मस्तिष्क के इनाम केंद्र (Reward Centers) सक्रिय हो जाते हैं।
इसका मतलब यह है कि प्यार न केवल भावना है, बल्कि एक जैविक प्रक्रिया भी है।
क्या प्रेम सिर्फ भावना है या अभ्यास भी?
Love Explained: ग्रेटर गुड साइंस सेंटर जैसे संस्थान प्रेम को एक “निःस्वार्थ प्रतिबद्धता” मानते हैं।
एक ऐसी भावना, जो दूसरे की भलाई को अपनी प्राथमिकता बना देती है।
यह परिभाषा बताती है कि प्रेम केवल तात्कालिक आकर्षण या भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि एक जिम्मेदारी भी है।
प्रेम की सही भाषा आज तक क्या कोई पता लगा पाया है?
Love Explained: यह बहस आज भी जारी है कि क्या प्रेम एक ‘state’ है, जो आता है और चला जाता है, या एक ‘practice, ’जिसे हर दिन सींचना पड़ता है।
कुछ शोधकर्ता इसे जैविक मानते हैं, कुछ सामाजिक और कुछ आध्यात्मिक।
एक ही सवाल के इतने उत्तर यही साबित करते हैं कि प्रेम जितना साधारण दिखता है, उतना है नहीं।
क्या हम कभी पूरी तरह प्रेम को समझ पाएंगे
हालांकि आज विज्ञान ने प्रेम की कई परतों को उजागर किया है।
Love Explained: मस्तिष्क के व्यवहार, हार्मोन के प्रभाव और सामाजिक संरचनाओं के माध्यम से, फिर भी यह एक रहस्य ही बना हुआ है।
शायद यही प्रेम की खूबसूरती है। यह एक ऐसा अनुभव है जो हर किसी के लिए अलग है, हर रिश्ते में नया है और हर युग में अलग तरह से परिभाषित होता है।
शायद प्रेम को पूरी तरह समझ पाना असंभव है। लेकिन उसे जीना, महसूस करना और बाँटना ही इसकी असली परिभाषा है। मानें तो प्यार सब है ना मानें तो प्यार कुछ भी नहीं है।