Friday, September 20, 2024

ISRO ने तीन अलग लोकेशंस से कैप्चर किये सोलर इवेंट के निशान

Must read

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानि ISRO ने हाल ही में आए सोलर इरप्टिव इवेंट को अंतरिक्ष में तीन लोकेशंस से कैप्चर किया। ये तीन लोकेशंस हैं पृथ्वी और सूर्य के बीच L1 पॉइंट,पृथ्वी, और चांद। इस सोलर इवेंट को सोलर स्टॉर्म के नाम से भी जाना जाता है। ISRO ने इस सोलर स्टॉर्म के सभी सिग्नेचर्स को रिकॉर्ड करने के लिए अपने सभी ऑब्जर्वेशन प्लेटफॉर्म और सिस्टम्स को नियुक्त कर दिया था। सोलर स्टॉर्म का असर पृथ्वी पर शनिवार को देखा गया। आपको बता दें कि आदित्य L1 और चंद्रयान-2 ने इस इवेंट को लेकर ऑब्जर्वेशन्स रिकॉर्ड किए और इसकी हलचल का एनालिसिस किया।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

Analysis

आदित्य L1 के गैजेट्स ने सूर्य की तरंगों को किया ऑब्जर्व

आदित्य l1 के साथ गए उपकरणों में शामिल है SoLEXS और हेल१ोस। जिसने सूर्य के कोरोना और अन्य इलाकों से निकलने वाली X और M श्रेणी की तरंगों को ऑब्जर्व करने का काम किया। इसके अलावा मैग्नेटोमीटर पेलोड ने भी L1 पॉइंट के पास से गुजरते हुए इस सोलर इवेंट को रिकॉर्ड किया।

solar-storm-2

जब आदित्य L1 इस सोलर इवेंट को सूर्य और पृथ्वी के बीच लैगरेंज पॉइंट से देख रहा था, तब ही भारत के चंद्रयान 2 ने इस इवेंट को लूनार पोलर ऑर्बिट से कैप्चर किया। चंद्रयान-2 के एक्स-रे मॉनिटर (XSM) ने इस जियोमैग्नेटिक तूफान से जुड़े कई सिद्धांतों को ऑब्जर्व किया है

इस सोलर इवेंट की वजह से यूरोप से लेकर अमेरिका तक नजर आई नॉर्दर्न लाइट्स

आपको बता दें कि आयनॉस्फियर 80 से 600 किमी के बीच होती है, जहां एक्सट्रीम अल्ट्रावायलट और एक्स-रे वाली सोलर रेडिएशन एटम और मॉलिक्यूल में आयनाइज होती है। यह लेयर रेडियो वेव को रिफ्लेक्ट करने और मॉडिफाई करने का काम करती है, हजिसके जरिये कम्युनिकेशन और नेविगेशन किया जाता है।

Northern Lights

 

जब सोलर स्टॉर्म में मौजूद चार्ज्ड पार्टिकल्स पृथ्वी के वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के पार्टिकल्स से टकराते हैं, तो इनसे लाइट फोटोन रिलीज होते हैं। लाइट फोटोन से मतलब रोशनी, और ये रोशनी उस वेवलेंथ की होती है, जो आंखों को आसानी से नजर आती है और यही रोशनी नॉर्दर्न लाइट्स के तौर पर दिखाई देती है। यह पृथ्वी के नॉर्दर्न हेमिस्फियर यानी उत्तरी गोलार्ध में दिखती है, इसलिए इसका नाम नॉर्दर्न लाइट्स पड़ गया।

Northern Lights 2

2003 के बाद का अब तक का सबसे भीषण जियोमैग्नेटिक तूफान

ये 2003 के बाद का सबसे भीषण जियोमैग्नेटिक तूफान था। इसके चलते कम्युनिकेशन और GPS सिस्टम में रुकावट महसूस हुई। ये तूफान सूर्य के बेहद एक्टिव क्षेत्र AR13664 से उठा था। इस क्षेत्र से X श्रेणी की तरंगों वाली आंधी चली और कोरोनल मास इजेक्शन यानि CMEs हुआ जो धरती की तरफ आया। इस तूफान के चलते बीते कुछ दिनों में X श्रेणी के फ्लेयर्स और CMEs पृथ्वी से टकराए ।

ऊंचाई वाले इलाकों में इस इवेंट का असर ज्यादा देखने का मिला। इस घटना का भारत पर बेहद कम असर हुआ क्योंकि यह तूफान 11 मई की सुबह को आया था, जब पृथ्वी के वातावरण की ऊपरी परत आयनॉस्फियर पूरी तरह बनी नहीं थी तब प्रशांत महासागर और अमेरिका के ऊपर आयनॉस्फियर में काफी हलचल रिकॉर्ड की गई।

- Advertisement -spot_img

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

Latest article