भारतीय वायुसेना: भारत की वायुसेना ने एक बार फिर अपनी ताकत का लोहा मनवाया है। वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट (WDMMA) की ताजा रिपोर्ट में भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली वायुसेना के रूप में स्थान दिया गया है।
इस सूची में पहले नंबर पर अमेरिका और दूसरे नंबर पर रूस है, जबकि भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए तीसरा स्थान हासिल किया है।
यह उपलब्धि सिर्फ संख्या के आधार पर नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना की तकनीकी क्षमता, संतुलित इन्वेंट्री, और निरंतर आधुनिकीकरण की दिशा में उठाए गए कदमों का परिणाम है।
भारतीय वायुसेना: भारत की वायुसेना बेहतरीन
WDMMA हर साल दुनिया की प्रमुख वायुसेनाओं की शक्ति का मूल्यांकन एक विशेष फॉर्मूले के तहत करती है, जिसे “ट्रूवैल रेटिंग” या TVR कहा जाता है।
यह फॉर्मूला केवल विमानों की कुल संख्या पर निर्भर नहीं करता, बल्कि उनकी गुणवत्ता, विविधता, प्रशिक्षण प्रणाली, रख-रखाव, और परिचालन दक्षता जैसे तत्वों पर आधारित होता है।
रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की वायुसेना का TVR स्कोर 242.9 है, रूस का 114.2 और भारत का 69.4। वहीं चीन को 63.8 का स्कोर मिला है, जिससे वह चौथे स्थान पर चला गया है।
कुल 103 देशों और 129 एयर सर्विसेज पर नजर डालने वाली इस रिपोर्ट में भारत की वायुसेना ने अपनी बेहतरीन संगठनात्मक क्षमता और आधुनिक संरचना से विशिष्ट पहचान बनाई है।
चीन को छोड़ा पीछे
रैंकिंग तय करने में केवल युद्धक विमानों की गिनती नहीं की जाती, बल्कि यह भी देखा जाता है कि किसी देश की वायुसेना में किस प्रकार के विमान कितने संतुलित हैं।
भारत की वायुसेना में लड़ाकू विमानों के साथ-साथ प्रशिक्षण विमान, हेलीकॉप्टर और विशेष मिशन विमानों का ऐसा संयोजन है जो उसे संतुलित और सक्षम बनाता है।
WDMMA के आंकड़ों के अनुसार भारतीय वायुसेना में लगभग 31.6 प्रतिशत विमान लड़ाकू श्रेणी के हैं, जबकि 29 प्रतिशत हेलीकॉप्टर और 21.8 प्रतिशत प्रशिक्षण विमानों की संख्या है।
यही संतुलन भारतीय वायुसेना को चीन से आगे ले गया है, जिसके पास भले ही ज्यादा विमान हों लेकिन उनका तकनीकी और परिचालन संतुलन उतना मजबूत नहीं है।
सुखोई-30 एमकेआई और मिराज-2000 जैसे विमान वायुसेना की रीढ़
भारत की वायुसेना ने बीते कुछ वर्षों में तेज गति से आधुनिकीकरण की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। राफेल और तेजस जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों के शामिल होने से उसकी स्ट्राइक कैपेबिलिटी में बड़ा इज़ाफा हुआ है।
वहीं सुखोई-30 एमकेआई और मिराज-2000 जैसे विमान वायुसेना की रीढ़ माने जाते हैं।
भारत ने स्वदेशी तकनीक पर भी ध्यान केंद्रित किया है, जिससे देश की रक्षा आत्मनिर्भरता बढ़ी है और विदेशी निर्भरता में कमी आई है।
इस रिपोर्ट में अन्य देशों की बात करें तो जापान पांचवें, इज़राइल छठे और फ्रांस सातवें स्थान पर हैं।
ब्रिटेन को आठवां स्थान मिला है, जबकि सऊदी अरब और पाकिस्तान 17वें और 18वें स्थान पर हैं।
यह स्थिति दिखाती है कि दक्षिण एशिया में भारत की वायुसेना अब न केवल सबसे शक्तिशाली है बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अग्रणी शक्तियों में गिनी जाती है।