Saturday, November 8, 2025

मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्या: लोग टूट रहे हैं, पर मानने को तैयार नहीं

मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्या: आज का समाज “सब ठीक है” की मुस्कान के पीछे सबसे ज्यादा दर्द छुपा रहा है,मानसिक दबाव हर घर में मौजूद है, लेकिन स्वीकार्यता अभी भी बेहद कम ।

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भारत में मानसिक स्वास्थ्य आज एक ऐसी समस्या बन चुका है, जिसके लक्षण हर घर में मौजूद हैं लेकिन उसकी स्वीकार्यता अब भी बेहद कम है। काम का दबाव, आर्थिक तनाव, रिश्तों में दरार, सोशल मीडिया की तुलना और तेज़-रफ्तार जीवनशैली के बीच लोग भीतर से जितना टूट रहे हैं, उतना ही बाहर से अपने आप को मजबूत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।

यही वजह है कि अधिकांश लोग गंभीर मानसिक थकान, तनाव, चिंता और ओवरथिंकिंग जैसी परेशानियों से जूझने के बावजूद इसे न बीमारी मानते हैं और न इसकी चर्चा करते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्या: विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्या वैसी नहीं है जो अचानक दिख जाए, बल्कि यह धीरे-धीरे व्यक्ति को भीतर से कमज़ोर करती जाती है, और चूंकि लोग अपने मन की हालत को खुलकर स्वीकार नहीं करते, यह समस्या वर्षों तक अनदेखी रहती है और कई बार गंभीर रूप ले लेती है।

हर उम्र में तनाव बढ़ रहा है, लेकिन लोग इसे “मूड” कहकर टाल देते हैं

मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्या: आज स्कूल-कॉलेज के छात्रों से लेकर नौकरी करने वाले युवाओं, गृहणियों, बुजुर्गों तक हर उम्र का व्यक्ति मानसिक दबाव झेल रहा है। यह दबाव कई बार काम को लेकर होता है, कई बार जिम्मेदारियों को लेकर, तो कई बार उस भावनात्मक खालीपन से जो बाहर से दिखाई नहीं देता लेकिन भीतर लगातार बढ़ता रहता है।

सोशल मीडिया ने इस समस्या को और भी गहरा किया है, क्योंकि वहां हर कोई अपनी जिंदगी का सबसे सुंदर हिस्सा दिखाता है, और उसे देखकर लोग खुद की तुलना करने लगते हैं। यह तुलना धीरे-धीरे इंसान के आत्मविश्वास को कम करती है और एक ऐसे दबाव में बदल जाती है जिसकी पहचान अक्सर व्यक्ति खुद भी नहीं कर पाता।

विशेषज्ञों की चेतावनी: समस्या को छुपाना ही सबसे बड़ा खतरा

मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्या: मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, भारत में लगभग हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी रूप में मानसिक तनाव झेल रहा है लेकिन वह इसे सिर्फ “मूड खराब है”, “थोड़ा गुस्सा आया है”, “बस नींद पूरी नहीं हुई” जैसे शब्दों में छुपा देता है।

यही छुपाव मानसिक स्वास्थ्य का सबसे बड़ा खतरा बन रहा है, क्योंकि मन की बात को यदि लंबे समय तक दबाया जाए तो वह चिंता, पैनिक अटैक, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन और ओवरथिंकिंग जैसी समस्याओं में बदल जाती है।

मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्या: सोशल मीडिया की मुस्कुराती तस्वीरों के पीछे बढ़ता अकेलापन

मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्या: आज लोग दिनभर व्यस्त दिखते हैं, हँसते हैं, काम करते हैं, मज़ाक करते हैं, सोशल मीडिया पर मुस्कुराती तस्वीरें डालते हैं, लेकिन रात होते ही वही दबा हुआ तनाव सिर उठाने लगता है। यही कारण है कि आधुनिक जीवन में अकेलापन और भावनात्मक थकान तेजी से बढ़ रही है।

परिवारों में बातचीत कम हो रही है, रिश्तों में सुनने की क्षमता घट रही है और लोगों में यह आदत बन गई है कि वे अपने दर्द को भीतर दबाए रखें, क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं कोई उन्हें कमज़ोर न समझ ले।

मानसिक स्वास्थ्य कमजोरी नहीं—इसे स्वीकारना ही सबसे बड़ी हिम्मत है

मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्या: सच यह है कि मानसिक स्वास्थ्य कोई कमजोरी नहीं बल्कि पूरी तरह से एक वास्तविक स्वास्थ्य-स्थिति है, जिसे स्वीकार करना ही उपचार का पहला कदम होता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि लोग अपने मन की समस्याओं को खुले मन से स्वीकार करना शुरू कर दें, तो ईमानदार बातचीत, थोड़ी-सी सहानुभूति और समय पर मदद किसी भी व्यक्ति की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकती है।

मानसिक स्वास्थ्य को स्वीकार करना, उसे समझना और उसके बारे में बात करना किसी भी व्यक्ति के लिए कमजोरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ी हिम्मत है।

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