इथियोपिया: हज़ारों साल बाद अचानक सक्रिय हुए ज्वालामुखी ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है। इस दुर्लभ घटना को क्षेत्र के इतिहास की सबसे असाधारण भूवैज्ञानिक घटनाओं में गिना जा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार ज्वालामुखी के अंदर दबाव तेजी से बढ़ रहा है, जिससे भविष्य में और विस्फोट होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
इथियोपिया: सल्फर डाइऑक्साइड का बढ़ता स्तर चिंता बढ़ा रहा है
गल्फ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार इस विस्फोट के दौरान वायुमंडल में बड़ी मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) छोड़ी गई।
यह गैस पर्यावरण के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक मानी जाती है। SO₂ का अधिक उत्सर्जन हवा की गुणवत्ता को खराब करता है,
सांस संबंधी बीमारियों को बढ़ाता है और वातावरण में अम्लीय प्रभाव छोड़ता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि किसी भी ज्वालामुखी से अचानक इतनी ज्यादा गैसों का निकलना इस बात का संकेत है कि उसके भीतर बहुत तेज गति से परिवर्तन हो रहा है।
एमिरात एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के चेयरमैन इब्राहिम अल जरवान के अनुसार SO₂ का लगातार बढ़ना,
इस बात की पुष्टि करता है कि ज्वालामुखी के भीतर दबाव बन रहा है और मैग्मा सतह की ओर बढ़ रहा है। इससे निकट भविष्य में दोबारा विस्फोट की आशंका भी बढ़ जाती है।
हेली गुब्बी ज्वालामुखी क्यों खास है?
यह ज्वालामुखी हेली गुब्बी अफार रिफ्ट का हिस्सा है, जो दुनिया का वह इलाका है जहाँ धरती की टेक्टॉनिक प्लेटें लगातार अलग होती जा रही हैं।
इसी कारण यह क्षेत्र भूवैज्ञानिक दृष्टि से बहुत सक्रिय माना जाता है। यहां स्थित दूसरा प्रमुख ज्वालामुखी एर्टा एले पहले से ही वैज्ञानिक निगरानी में है, क्योंकि वह अक्सर सक्रिय रहता है।
हेली गुब्बी का अचानक फटना वैज्ञानिकों के लिए बड़ा सवाल है आखिर धरती के भीतर ऐसा क्या बदल रहा है जिसने हजारों साल शांत रहने वाले इस ज्वालामुखी को फिर सक्रिय कर दिया?
वैज्ञानिकों के अनुसार यह सक्रियता जरूरी संकेत दे रही है कि मैग्मा चेम्बर में तेजी से बदलाव हो रहे हैं, जो भविष्य में बड़े भूवैज्ञानिक परिवर्तनों की ओर इशारा कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय निगरानी और राख की ट्रैकिंग
ज्वालामुखी विस्फोट का असर केवल उस क्षेत्र तक सीमित नहीं रहता। राख के बादल हजारों किलोमीटर तक फैल सकते हैं और विमानन के लिए बड़ा खतरा बनते हैं।
इसी वजह से कई देशों की अंतरराष्ट्रीय उपग्रह टीमें, मौसम एजेंसियां और वॉल्कैनिक ऐश मॉनिटरिंग नेटवर्क इस घटना पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
इनकी मदद से राख की दिशा, उसकी घनता और उसके फैलाव का पता लगाया जा रहा है, ताकि समय पर चेतावनी जारी की जा सके और किसी भी तरह की उड़ान या स्वास्थ्य संबंधी आपदा से बचा जा सके।
भविष्य के शोध के लिए महत्वपूर्ण स्थल
हेली गुब्बी को अब वैज्ञानिक भविष्य के शोध के एक प्रमुख केंद्र के रूप में देख रहे हैं। उनका उद्देश्य यह समझना है कि इतने लंबे अंतराल के बाद ज्वालामुखी आखिर क्यों सक्रिय हुआ।
यह अध्ययन टेक्टॉनिक रिफ्ट वाले इलाकों में मौजूद शील्ड ज्वालामुखियों के व्यवहार के बारे में नई जानकारी देगा।
जो ज्ञान इस घटना से प्राप्त होगा, वह भविष्य में बड़े ज्वालामुखी विस्फोटों की भविष्यवाणी करने और धरती की आंतरिक संरचना को बेहतर समझने में मदद करेगा।

