Saturday, May 31, 2025

Dr. Jaspinder Narula kaul: जसपिंदर नरूला कौल, कला के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित

Dr. Jaspinder Narula kaul: डॉ. जसपिंदर नरूला कौल को वर्ष 2025 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

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यह सम्मान उन्हें 28 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किया गया।

Dr. Jaspinder Narula kaul: प्रारंभिक जीवन और संगीत की विरासत

डॉ. जसपिंदर नरूला का जन्म 14 नवंबर 1966 को एक संगीतमय परिवार में हुआ था। उनके पिता, एस. केसर सिंह नरूला, पंजाबी फिल्म और संगीत उद्योग के एक प्रसिद्ध संगीतकार थे, जबकि उनकी माँ, मोहिनी नरूला, पंजाबी और हरियाणवी लोक गायिका थीं

उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता से प्राप्त की और बाद में रामपुर सहसवान घराने के पंडित सीता राम जी और उस्ताद गुलाम सादिक खान से शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा ली।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रारंभिक प्रस्तुति

DR. JASPINDER NARULA KAUL: डॉ. नरूला ने अपने गायन करियर की शुरुआत बहुत कम उम्र में की। 1974 में, उन्होंने यू.के. और कनाडा में अपने पहले अंतरराष्ट्रीय संगीत दौरे की शुरुआत की।

1975 में, HMV (हिज मास्टर्स वॉयस) द्वारा उनका पहला भक्ति गीतों का सुपर 7 रिकॉर्ड जारी किया गया, जिसने उन्हें व्यापक पहचान दिलाई।

Dr. Jaspinder Narula kaul: : शिक्षा और संगीत में उच्च अध्ययन

संगीत में गहरी रुचि के बावजूद, डॉ. नरूला ने अपनी शिक्षा को प्राथमिकता दी। उन्होंने संगीत में स्नातक, परास्नातक और एमफिल की डिग्री प्राप्त की और 2008 में दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में पीएचडी पूरी की।

इस प्रकार, उन्होंने शास्त्रीय संगीत में गहन अध्ययन के साथ-साथ व्यावसायिक गायन में भी उत्कृष्टता प्राप्त की।

बॉलीवुड में सफलता की ऊँचाइयाँ

Dr. Jaspinder Narula kaul: : डॉ. नरूला को 1998 में फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के टाइटल ट्रैक “प्यार तो होना ही था” से व्यापक प्रसिद्धि मिली, जिसके लिए उन्हें 1999 में फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका पुरस्कार और स्टार स्क्रीन सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका पुरस्कार मिला।

इसके अलावा, उन्होंने ‘जुदाई’, ‘विरासत’, ‘फिजा’, ‘आ अब लौट चलें’, ‘पिंजर’, ‘सोल्जर’, ‘दूल्हे राजा’, ‘मेजर साब’, ‘मिशन कश्मीर’, ‘देवदास’, ‘मोहब्बतें’, ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’, ‘बंटी और बबली’, ‘हेलो ब्रदर’, ‘सूर्यवंशम’, ‘होगी प्यार की जीत’, ‘चार साहेबजादे’, ‘जानम समझा करो’, ‘दिल्लगी’, ‘जोरू का गुलाम’ जैसी फिल्मों में भी अपने गायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।

बहुआयामी संगीत प्रतिभा

डॉ. नरूला ने बॉलीवुड गायन के अलावा सूफी, भक्ति, पंजाबी लोक, शास्त्रीय और पश्चिमी संगीत शैलियों में भी महारत हासिल की। उन्होंने भारत और दुनिया के विभिन्न भाषाओं में रिकॉर्ड किए गए संगीत की सभी शैलियों में अनगिनत गाने जारी किए हैं, जिससे उनकी बहुआयामी संगीत प्रतिभा का परिचय मिलता है।

पुरस्कार और सम्मान

1999: फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका पुरस्कार (‘प्यार तो होना ही था’)

1999: स्टार स्क्रीन सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका पुरस्कार (‘प्यार तो होना ही था’)

2008: एनडीटीवी इमेजिन के ‘धूम मचा दे’ रियलिटी शो में भारत की सर्वश्रेष्ठ लाइव परफॉर्मर का खिताब

2025: पद्म श्री पुरस्कार (कला के क्षेत्र में)

अंतरराष्ट्रीय मान्यता

डॉ. नरूला को कनाडा की अलबर्टा विधानसभा, उज्बेकिस्तान के सिल्वर नाइटिंगेल पुरस्कार और अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, उत्तरी अफ्रीका, पूर्वी अफ्रीका, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, हॉलैंड, बेल्जियम, नॉर्वे, बांग्लादेश, सिंगापुर, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम आदि देशों के कई प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा सम्मानित किया गया है।

DR. JASPINDER NARULA KAUL: पद्म श्री सम्मान पर प्रतिक्रिया

पद्म श्री सम्मान प्राप्त करने के बाद, डॉ. नरूला ने कहा, “जब आपकी तपस्या सफल होती है तो बहुत अच्छा लगता है।” उन्होंने इस पुरस्कार को अपने माता-पिता को समर्पित किया और कहा कि यह सम्मान उनके लिए एक प्रेरणा है।

डॉ. जसपिंदर नरूला कौल का संगीत सफर प्रेरणादायक है। उनकी बहुआयामी प्रतिभा, समर्पण और संगीत के प्रति प्रेम ने उन्हें भारतीय संगीत जगत में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है।

पद्म श्री सम्मान उनके योगदान की आधिकारिक मान्यता है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।

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