INS विक्रांत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार भी दिवाली देश के वीर सिपाहियों के साथ मनाकर परंपरा को आगे बढ़ाया।
2025 की दिवाली के लिए उन्होंने गोवा और करवार के समुद्री तट पर स्थित भारतीय नौसेना के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत को चुना।
यहां जवानों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय सेना के समन्वय और पराक्रम ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया,
यह हमारी तीनों सेनाओं की संयुक्त शक्ति का प्रतीक है।
INS विक्रांत: “जिसके भीतर स्वयं लड़ने का साहस हो, उसका पलड़ा हमेशा भारी रहता है”
पीएम मोदी ने कहा कि जब दुश्मन सामने हो और युद्ध की आशंका मंडरा रही हो, तब जीत उसी की होती है जिसके भीतर अपने दम पर लड़ने की हिम्मत होती है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया कि भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना विश्व की सर्वश्रेष्ठ संयुक्त युद्ध क्षमता रखती हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय सैनिकों का साहस, शौर्य और अनुशासन देश की सबसे बड़ी शक्ति है, और यह दिवाली उनके नाम समर्पित है।
INS विक्रांत को बताया “अनंत समुद्री शक्ति का प्रतीक”
समुद्र की लहरों, सूर्य की किरणों और सैनिकों द्वारा जलाए गए दीपों का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने INS विक्रांत को भारत की नई सामरिक ऊर्जा का प्रतीक बताया।
उन्होंने कहा कि बड़े युद्धपोत, फाइटर जेट और पनडुब्बियां शक्तिशाली हैं, लेकिन असली ताकत उन जवानों में है जो जान की परवाह किए बिना इन्हें संचालित करते हैं।
उन्होंने बताया कि पिछली रात उन्होंने जवानों को देशभक्ति के गीत गाते सुना और ऑपरेशन सिंदूर की घटनाओं को सुनकर मानो वे स्वयं युद्धभूमि में खड़े हों।
“माओवादी आतंक के अंत से भी सेना की शक्ति सिद्ध”
पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने बीते वर्षों में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है देश में माओवादी आतंक को समाप्त करने की दिशा में निर्णायक सफलता।
उन्होंने कहा कि यह भी सुरक्षा बलों की वीरता, समर्पण और धरातल पर की गई कड़ी कार्रवाई का परिणाम है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने जवानों के त्याग और बलिदान को नमन किया और कहा कि जब देश उत्सव मनाता है, तब सिपाही सीमा पर खड़े होकर उस उत्सव की रक्षा करते हैं।
आत्मनिर्भर सेना और रक्षा निर्यातक भारत का लक्ष्य
प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय सेना अब तेज़ी से स्वदेशी रक्षा उपकरणों और तकनीक पर निर्भर हो रही है।
हजारों सैन्य वस्तुएँ अब विदेशों से नहीं मंगाई जा रही हैं, बल्कि भारत में ही तैयार की जा रही हैं।
मोदी ने कहा कि अगले दशक में भारत दुनिया के प्रमुख रक्षा निर्यातक देशों में शामिल होगा।